संजीव कौशिक, रोहतक:
- पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग अस्पताल में निभाता है अहम रोल
पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसन विभाग किसी भी अस्पताल में काफी अहम विभाग होता है। कोविड महामारी के बाद फेफडों से संबंधित मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है, ऐसे में पीसीसीएम विभाग को हमेशा अपडेट रहना चाहिए ताकि मरीजों को सर्वश्रेष्ठ प्रदान किया जा सके। यह कहना है पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डाॅ. अनिता सक्सेना का। वें रविवार को पीसीसीएम विभाग की छठी वार्षिंक कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में मुख्यअतिथि के तौर पर उपस्थित हुई थीं।
सीएमई का आयोजन करना चाहिए
कुलपति डाॅ. अनिता सक्सेना ने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड के चलते इस प्रकार की सीएमई का कम आयोजन किया जा रहा था, अब सभी विभागों को इस प्रकार की सीएमई का आयोजन करना चाहिए ताकि उनके विभाग में आई नवीनतम तकनीकों से सभी चिकित्सक अपडेट रह सकें। डाॅ. अनिता सक्सेना ने कहा कि गत दिवस डाॅ. सुनीता सिंह, डाॅ. अर्पणा परमार, डॉ. प्रशांत कुमार व डाॅ. पवन कुमार सिंह द्वारा जो विभिन्न विषयों पर वर्कशाप आयोजित करवाई गई थीं, उससे पूरे प्र्रदेश के चिकित्सकों को लाभ मिला है। डाॅ. अनिता ने कहा कि आज जो यह डाॅ. पवन द्वारा फेफडों के कैंसर पर लिखी गई पुस्तक का अनावरण किया गया है, उससे चिकित्सकों को काफी फायदा होगा क्योंकि पुस्तक में सारा डाटा एकत्रित होता है। कुलसचिव डाॅ.एच.के. अग्रवाल ने कांफ्रेंस में आने वाले सभी चिकित्सकों का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें काफी खुशी है कि इतनी अधिक संख्या में चिकित्सक एवं छात्र इस कांफ्रेंस में हिस्सा ले रहे हैं।
हरियाणा सरकार रिसर्च को काफी बढावा दे रही
डाॅ. अग्रवाल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सभी चिकित्सकों का इस कांफ्रेंस से ज्ञानवर्धन हुआ होगा। उन्होंने कहा कि वें इतनी अच्छी सीएमई आयोजित करने के लिए डाॅ. ध्रुव चौधरी, डाॅ. प्रशांत कुमार व डाॅ. पवन की टीम को बधाई देते हैं। निदेशक डाॅ. एस.एस. लोहचब ने कहा कि आज काफी शुभ दिन है क्योंकि आज महात्मा गांधी जी की जयंति है और ऐसे अच्छे दिन पर पूरे देश के विशेषज्ञ चिकित्सक यहां सीएमई में हिस्सा लेकर अपने व्याख्यान से संस्थान के चिकित्सकों व छात्रों का ज्ञानवर्धन कर रहे हैं। डाॅ. लोहचब ने कहा कि हरियाणा सरकार रिसर्च को काफी बढावा दे रही है और सरकार द्वारा रिसर्च के लिए 5 करोड रूपए मंजूर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें अधिक से अधिक रिसर्च करने पर जोर देना चाहिए। डाॅ. ध्रुव चौधरी ने कहा कि हम सभी को एंटीबाॅयोटिक दवाईयों के प्रयोग पर मंथन करने की जरूरत है।
मेडिकल कालेजों में फेफडों के कैंसर संबंधी जांच व इलाज हो
डाॅ. ध्रूव ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा फेफडों के कैंसर की बीमारी की जांच व इलाज के लिए सभी अत्याधुनिक मशीने उपलब्ध करवाई गई हैं, ऐसे में हमें कैंसर के लक्षणों की पहचान कर समय पर इलाज के लिए अस्पताल में पहुंचना चाहिए। डाॅ. ध्रुव चौधरी ने कहा कि हरियाणा सरकार चाहती है कि प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में फेफडों के कैंसर संबंधी जांच व इलाज हो। डाॅ. पवन ने बताया कि उनके द्वारा विभागाध्यक्ष डाॅ. ध्रुव चौधरी की अध्यक्षता में सोमवार, मंगलवार व शनिवार को चैधरी रणबीर सिंह ओपीडी में पीसीसीएम क्लीनिक में फेफडों के मरीजों की जांच की जाती है। उन्होंने बताया कि उनकी हर ओपीडी में प्रतिदिन फेफडों के कैंसर के 10 मरीज आते हैं, जिसमें से 5 मरीज नए होते हैं। उन्होंने बताया कि यह काफी चिंतनीय है, जिसके लिए लोगों को इसके प्रति जागरूकता लानी होगी और धूम्रपान को त्यागना होगा। डाॅ. पवन ने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि हर साल इस प्रकार सीएमई आयोजित की जाए ताकि प्रदेश के चिकित्सकों को पीसीसीएम विभाग में हुए नए अपडेटों से अवगत रखा जा सके। डाॅ. पवन कुमार सिंह ने बताया कि यदि खांसी में खून आता हो, छाती में दर्द रहता हो, मुंह पर सूजन आ गई हो, आवाज बैठ गई हो, अंगूली के आगे वाले हिस्से पर सूजन हो, वजन कम हो गया हो, निमोनिया ठीक नहीं हो रहा हो इत्यादि लक्षण फेफडों के कैंसर के हो सकते हैं, इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
पचास वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा
उन्होंने बताया कि पचास वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा पाई जा रही है और धूम्रपान इसका सबसे बडा कारण देखा जा रहा है। डाॅ. प्रशांत ने बताया कि पीजीआई के पैथोलोजी विभाग में प्रोफेसर डाॅ. मोनिका द्वारा अत्याधुनिक फिश टैस्ट किया जा रहा है जो कैंसर को प्रारंभिक अवस्था में पकड उसकी रिपोर्ट देने से कैंसर का जल्दी इलाज प्रारंभ होगा, जिससे मरीज की जान बचाने में चिकित्सक को बहुत मदद मिलेगी। डाॅ. प्रशांत ने बताया कि सीएमई के दौरान डाॅ. सुरेश जिंदल को 2020 की फैलोशिप प्रदान की गई। डाॅ. मंजूनाथ बीजी ने क्रोनिक क्रिटिकल केयर विषय पर व्याख्यान दिया। डाॅ. एस. के. जिंदल ने आक्सीजन थैरेपी पर व्याख्यान देते हुए बताया कि कम आक्सीजन होने पर क्या- क्या समस्याएं मरीज को हो सकती हैं और उससे मरीज को कैसे बचाया जा सकता है। डाॅ. नरेंद्र रूमटा ने आईसीयू के बढते खर्च को कम करने के तरीके बताए। इस अवसर पर प्राचार्य डाॅ. संजय तिवारी, डाॅ. मोनिका, डाॅ. अर्पणा, डाॅ. सुनीता, डाॅ. हरप्रीत, डाॅ. मंजूनाथ बीसी, डाॅ. पवन, डाॅ. मंजूनाथ, डाॅ. देबराज,डाॅ. दीपक जैन, डाॅ. प्रीति, डाॅ. लोकेश लालवानी, डाॅ. दीपक, अनील चाहर, प्रवीण आदि सैकडों चिकित्सक उपस्थित थे।
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