कानपुर: कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव का निवासी हिस्ट्रीशीटर और पांच लाख का इनामी बदमाश विकास दुबे की कहानी आज खत्म हो गई। वह कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों को गोलियों से भूनकर वहां से भाग निकला था। अपनी सत्ता और प्रशासन में पकड़ के कारण वह छोटे अपराधी से धीरे-धीरे बड़ा गैंगस्टर बन गया। इतने बड़े हत्याकांड को अंजाम देने के बाद भी वह पुलिस की गिरफ्त से कई दिनों तक बचा रहा। कहा जा रहा था कि विकास दुबे को पुलिस की गतिविधियों की सूचना मिल रही थी जिससे वह बचता जा रहा था।
क्या रही एनकाउंट की कहानी…
कल उज्जैन के महाकाल मंदिर में जाकर विकास दुबेने चिल्ला-चिल्लाकर अपनी पहचान बताई और उसके बाद उसे गिरफ्तार भी किया गया। आज उज्जैन से आज उसे एसटीएफ उत्तर प्रदेश टीम द्वारा पुलिस उपाधीकक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी वाहन से यूपी लाया जा रहा था। वापसी के समय कानपुर केकरीब ही एसटीएफ की गाड़ियों के काफिले के सामने गाय भैसों का झुंड आ गया जिससे गाड़ी अनियंत्रित होकर एक तरफ पलट गई। इस परिस्थति का फायदा उठाकर विकास ने पुलिस की पिस्टल लेकर खेत की ओर भागने लगा। पुलिस के अनुसार उसे जिंदा पकड़ने की पूरी कोशिश की गई लेकिन वह छीनी पिस्टल से फायर करने लगा जिसकेबाद उसे गोली मारी गई। विकास दुबे द्वारा की गई फायरिंग में एसटीएफ के शिवेंन्द्र सिंह, आरक्षी विमल यादव घायल हो गए। बता दें कि इस दुर्दांत अपराधी के खिलाफ साठ मुक्कदमें दर्ज थे। जिससे इसके अपराधी जीवन का अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है।
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हालांकि विकास दुबे के एनकाउंटर से जुड़े कुछ सवाल हैं जिनका जवाब अब भी नहीं मिला है
1- विकास दुबे जो लगातार कानपुर से उज्जैन तक भागा हो वो दोबारा काफिले से भागने की हालत में था? क्या उसमें इतनी हिम्मत थी कि वो पुलिस के हथियार छीनकर भागने की कोशिश कर सके?
2- विकास दूबे जैसा अपराधी जिसने 8-8 पुलिसकर्मियों का मर्डर किया हो, उसे लाते समय कोई सावधानी नहीं बरती गई? उसके हाथों में हथकड़ी क्यों नहीं पहनाई गई थी।
3- दोनों तरफ से कितने राउंड गोलियां चली?
4- विकास दुबे के एनकाउंटर की कहानी पूरी तरह सेप्रभात के एनकाउंटर से मेल खाती है। यहां गाड़ी का एक्सिडेंट हुआ और प्रभात के मामले में गाड़ी पंचर हो गई थी?
5- उसने मंदिर में चिल्ला कर अपनी पहचान जाहिर की थी? वह गिरफ्तारी देने के बाद दोबारा क्यों भागने की कोशिश करेंगा।
6- सवाल उठ रहे हैं कि पुलिसकमियों नेपहले पैर पर गोली क्यों नहीं मारी ? सीने पर गोली मार कर उसे सीध ेमार दिया गया क्यों?
7- विकास दुबे और एसटीएफ को लगातार मीडिया द्वारा फॉलो किया जा रहा था तो क्यों मुठभेड़ से सिर्फ 10 मिनट पहले मीडिया को हाइवे पर क्यों रोका गया?
ऐसे कई सवाल हैं जो बार-बार उठ रहे हैं। कई सवाल इस एनकाउंटर को लेकर जानकारों द्वारा उठाए जा रहे हैं। सवाल यह भी है कि कैसे छोटे अपराधी इतने बड़े बन जाते हैंकि उनकी पहुंच सत्ता के गलियारों की ऊचांइयों तक हो जाती है। सवाल पुलिस प्रशासन के उन लोगों के लिए भी है जो इन अपराधियों की जी हजूरी करते हैं और इनके खिलाफ खड़े होनेकी हिम्मत नहीं करतेहैं जिनका खामियाजा इमानदार पुलिसवालों को उठाना पड़ता है।