आज समाज डिजिटल, अम्बाला:
Know The History And Importance Of Bhandara: भारत में सभी धर्मों में त्योहारों व उत्सव पर धार्मिक अनुष्ठान के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन उत्सवों के दौरान यज्ञ, हवन और भोजन को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस भोजन को ही भंडारा भी कहते हैं। भारत के अलावा विश्व भर में बहुत से ऐसे मंदिर व धार्मिक स्थल हैं जहाँ पर भंडारों का आयोजन किया जाता हैं।
भंडारे का इतिहास और कथा Know The History And Importance Of Bhandara
कठोर तपस्या के कारण ब्रह्मलोक में नहीं मिला भोजन
पद्मपुराण के सृष्टिखंड में एक कथा में उल्लेख है कि जब विदर्भ के राजा श्वेत अपने कठोर तपस्या के कारण ब्रह्मलोक में गए थे तो जहाँ उन्हें भोजन का एक कण भी प्राप्त नहीं हुआ था जिस पर विदर्भ के राजा ने ब्रह्मा जी से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि तुमने जीवन में कभी भी अन्न दान नहीं किया था इसलियें तुम्हे ब्रह्मलोक में भोजन नहीं मिला।
भगवान शिव भिक्षुक का वेश धारण कर एक महिला से दान माँगा
प्रचलित कथा के अनुसार जब भगवान शिव एक भिक्षुक का वेश धारण कर पृथ्वी पर एक महिला से दान माँगा। महिला ने भगवान शिव से कहा कि वह अभी दान नहीं कर सकती क्योंकि वह उपले बना रही हैं।
जब भगवान शिव ने उस महिला से दान के लिए जिद की तो महिला ने क्रोध में आकर भगवान शिव को दान में गोबर के उपले दे दिए और मृत्यु के पश्चात जब महिला परलोक में पहुंची तो वहां उसे भोजन के स्थान पर गोबर के उपले प्राप्त हुए। Know The History And Importance Of Bhandara:
भंडारे का महत्त्व Know The History And Importance Of Bhandara:
भंडारे के लिए हर वर्ग, जाति व संप्रदाय के लोग एक साथ नीचे बैठकर भोजन करते हैं। भंडारे में सभी लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्नदान करते हैं। भंडारे में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता हैं। भंडारे की एक विशेष बात यह हैं कि भोजन में सभी सब्जियों को मिलाकर एक भाजी बनाई जाती हैं जिसे रामभाजी भी कहा जाता हैं। Know The History And Importance Of Bhandara:
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