fasting benefits : भारत जैसे देश में सावन का महीना शुरू होते ही व्रत का सिलसिला शुरू हो जाता है। सोमवार का व्रत, तीज, हरतालिका तीज और कई ऐसे त्योहार आते हैं, जहां पर लोग दिनभर भूखे रहकर व्रत करते हैं। व्रत को लोग कई तरीकों से देखते हैं। कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि व्रत रखने से बॉडी डिटॉक्स हो जाती है। कई रिसर्च में भी यह बात सामने आ चुकी है कि व्रत रखना सेहत और शरीर के लिहाज से बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन हालही में एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि व्रत रखने से कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी छुटकारा मिल सकता है। मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि व्रत रखने से शरीर में बनने वाली कैंसर की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं और इस गंभीर बीमारी के खतरे को कम करती हैं।

क्या व्रत रखने से कैंसर का खतरा कम हो जाता है

मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने एक लंबे समय तक चूहों पर व्रत और कैंसर के बीच कनेक्शन का पता लगाने के लिए रिसर्च की। इस दौरान उन्होंने पाया कि व्रत रखने वाले चूहों में कैंसर के खिलाफ एक प्राकृतिक डिफेंस सिस्टम तैयार हुआ। रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि व्रत रखने वाले चूहों में तैयार होने वाला इम्यून डिफेंस सिस्टम, कैंसर के सेल्स को प्रभावित करता है, जिससे कैंसर का खतरा कम करने में मदद मिलती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि व्रत के कारण चूहों के शरीर में एक सेल्स ट्यूमर भी पैदा हुआ, जो उन्हें कैंसर से लड़ने की क्षमता प्रदान कर सकता है। इस अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने कहना है कि अगर व्रत, चूहों में कैंसर से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, तो यह मनुष्य में भी काम करेगा।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

क्या व्रत रखने से वाकई कैंसर का खतरा कम हो जाता है इस बात का कोई ठोस सुबूत नहीं है। सप्ताह में एक दिन व्रत रखने या रेगुलर भोजन की बजाय सात्विक आहार का सेवन करने से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। आम भाषा में कहें तो व्रत रखने से शरीर डिटॉक्सीफाई हो जाता है और यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। लेकिन जब बात आती है, व्रत के जरिए कैंसर को मात देने की तो किसी भी एक शोध या स्टडी के आधार पर इसके बारे में कहना मुश्किल कम है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि कैंसर एक घातक बीमारी है, जो शरीर में मौजूद सेल्स में लगातार बढ़ती ही चली जाती है। इसका इलाज थेरेपी और दवाओं के जरिए ही हो सकता है।