गैस की मात्रा कम होने पर कमरे को सही तरीके से ठंडा नहीं कर पाएगा एसी
AC Tips (आज समाज) नई दिल्ली: आज के समय में चिलचिलाती गर्मी से बचने का एयर कंडीशनर (एसी) ही एकमात्र सहारा बन जाता है। अगर आपके एसी की गैस लीक हो जाती है, तो दोबारा गैस भरवानी पड़ती है, तभी आपको कूलिंग मिलेगी। हालांकि, गर्मी के इस सीजन में कई लोग शिकायत करते हैं कि उनके एसी की ठंडक पहले जैसी नहीं रही। इसका सबसे बड़ा कारण एसी में गैस का कम होना है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एसी की कूलिंग कम होने की एक वजह गैस की कम मात्रा हो सकती है। यह समस्या विंडो और स्प्लिट दोनों ही प्रकार के एसी में देखी जाती है। अगर एसी में गैस की मात्रा कम हो जाए, तो वह कमरे को सही तरीके से ठंडा नहीं कर पाता। इस लेख के जरिए हम आपको बता रहे है कि एसी में कौन सी गैस डाली जाती है और उस पर कितना खर्च आता है।
एसी में तीन प्रकार की गैसों का होता है उपयोग
भारतीय बाजार में फिलहाल एसी में तीन प्रकार की गैसों का उपयोग होता है। इसमें पहला नंबर R22 का है, दूसरे नंबर पर R410A गैस है, तो वहीं तीसरे नंबर पर R32 गैस है। बता दें कि भारत में ज्यादातर एसी में R32 गैस का इस्तेमाल किया जाता है। इसके पीछ एक बड़ा कारण यह है कि R32 गैस बाकी की तुलना में ज्यादा एनर्जी एफिशिएंट है और साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी अधिक सुरक्षित है।
2 किलोग्राम भरी जाती है गैस
अब सवाल ये है कि आखिर 1.5 टन के एसी में कितनी गैस डालने की जरूरत पड़ती है? तो आपको बता दें कि 1.5 टन के स्प्लिट या विंडो एसी में आमतौर पर 1.5 से 2 किलोग्राम गैस भरी जाती है। हालांकि, यह मात्रा एसी के मॉडल और उसमें इस्तेमाल हो रही गैस के प्रकार पर निर्भर करती है।
2,000 से 3,000 रुपए तक आ सकता है खर्च
अगर आपके एसी की गैस लीक हो जाती है, तो दोबारा गैस भरवानी पड़ती है। तभी आपको एसी से कूलिंग मिलेगी। 1.5 टन के स्प्लिट या विंडो एसी में आपको गैस भरवाने में 2,000 से 3,000 रुपए तक का खर्च आ सकता है। यह चार्ज आपकी लोकेशन, टेक्नीशियन की फीस और गैस के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
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