जाने श्री दाऊजी मंदिर का इतिहास Know History Of Shri Dauji Temple

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Know History Of Shri Dauji Temple

आज समाज डीजिटल, अम्बाला
Know History Of Shri Dauji Temple : पलवल से करीब 25 किलो मीटर दूर स्थित जीटी रोड पर बंचारी गांव में श्री कृष्ण जी के बड़े भाई बलराम जी मंदिर है। भगवान श्री कृष्ण जी के बड़े भाई बलराम जी को समर्पित श्री दाऊजी मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है। मंदिर के गर्भगृह की मुख्य छवि भगवान बलराम तथा उनकी पत्नी देवी रेवती की है।

 मंदिर में प्रथम मेले का आयोजन हुआ 1912 में

मंदिर के निकट ईंटों से ढंका एक टैंक है, जिसे क्षीर सागर के नाम से जाना जाता है, ऐसा माना जाता है कि भगवान की मूल प्रतिमा यहाँ ही मिली थी। मंदिर परिसर में प्रथम मेले का आयोजन सन् 1912 में श्री श्याम लाल जी द्वारा किया गया था। हाथरस का यह मंदिर भक्ति-भारत का प्रथम दाऊजी को समर्पित मंदिर है।

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सोरोत सोलंकी जाटों ने बनवाया था दाऊजी मंदिर  Know History Of Shri Dauji Temple

दाऊजी मंदिर को सोरोत सोलंकी जाटों ने बनवाया था। बंचारी सोरोत जाटों की निचली शाखा द्वारा बसाया गया था। जब 1505 में ओझो सिंह सोरोत ने ओड्स से होडल पर कब्जा कर लिया तो उनके छोटे भाई ने खुद को बंचारी में स्थापित किया। बंचारी की जागीर उनके वंशजों के हाथों में रही। बंचारी के चौधरी जीवान राम सोरोत, बंचारी के जागीरदारों में सबसे प्रमुख थे। उन्हें डींग शासक (भरतपुर)) राजा बदन सिंहजी द्वारा दीवान के रूप में नियुक्त किया गया था। दीवान जीवान राम सिंह की पुत्री का विवाह भी ब्रजराज महाराजा सूरजमल सिंहजी से हुआ था।

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दीवान जीवन राम सिंह ने भी अपने लिए एक सुंदर लाल पत्थर का महल बनवाया। सोरोत क्षत्रिय जाटों का एक अन्य समूह 17 वीं शताब्दी में बंचारी से आगरा के पड़ोस में चला गया, जहाँ उन्होंने कागरोल के परगना पर विजय प्राप्त की और इसे स्वतंत्रता तक नियंत्रित किया।

मेले में 35 देश हिस्सा लेंगे  Know History Of Shri Dauji Temple

इंटरनेशनल सूरजकुंड मेले का आगाज होने जा रहा है, यह मेला सामान्यत: हर साल 1 से 15 फरवरी तक आयोजित किया जाता है, लेकिन इस बार मेले का आयोजन 19 मार्च से शुरू होगा और 4 अप्रैल तक चलेगा।  इस बार की थीम के केंद्र में जम्मू-कश्मीर रहेगा, मेले में 35 देश हिस्सा लेंगे। इनमें से 30 देशों ने आने की सहमति दे दी है।

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