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Know History Of Aami Temple of Saran : आमी धिगवाड़ा के पश्चिम से 4 किमी दूरी पर तथा छपरा से 37 किमी दूर स्थित है। आमी में गहरे और चौड़े कुँयें के साथ एक बगीचा स्थित है जोकि प्राचीन अम्बा स्थान मन्दिर के पास है। बगीचे की प्रमुखता यह है कि यह कभी सूखता ही नहीं है। आमी मंदिर एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है। आमी मंदिर के नाम पर से ही शहर को आमी शहर कर के नाम पड़ा।
आमी मंदिर की रहस्यमयी कहानी
Know History Of Aami Temple of Saran :कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मदेव के पुत्र प्रजापति दक्ष एक बार भगवान शिव की पत्नी देवी सती के सामने ही बड़े आवाज में आलोचना करने लगे और ऐसा करते वक्त वो भगवान शिव का अपमान भी कर रहे थे।
ये अपमान शिव की पत्नी सती बर्दास्त नहीं कर पाती है और खुद को अग्नि के हवाले कर देती है जिस पर भगवान शिव को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गुस्से में देवी सती को कंधे पर बिठाकर तांडव करना शुरू कर दिया और उस तांडव के दौरान देवी सती के शरीर का कुछ हिस्सा निचे गिर गया।
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Know History Of Aami Temple of Saran :देवी मा अम्बिका ‘महादेवी’ का एक सौम्य रूप भी माना जाता है. देवी मा अम्बिका “आदि पराशक्ति” का एक अवतार भी माना जाता है। देवी के जो अंग निचे गिरे वहाँ शक्ति पीठ की स्थापना कर दी गयी उनमे से एक आमी मंदिर भी है। यहाँ के यज्ञ कुंड के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु लोग बहुत दूर दूर से आते है. नवरात्री में सभी श्रद्धालु भक्त देवी के दर्शन करने के लिए आते है जितने भी भक्त उस कुंड में जल चढाते है तो वो जल अपने आप ग़ायब हो जाता है, यही कुंड की खास बात है।
Know History Of Aami Temple of Saran : शिवरात्रि में यहाँ की रौनक देखते बनती है जिस तरह से यहाँ के लोग शिव और सती के विवाह को बड़े उत्साह से मनाते है। इस विवाह के दौरान एक तरफ़ से दुल्हे का लाया जाता है और दूसरी तरफ़ से दुल्हन को लाया जाता है. और फिर उनका विवाह कराया जाता है।
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