वैसे तो हर कोई केएल राहुल के टैलंट से वाकिफ है लेकिन दुबई के मैदान पर डेल स्टेन, उमेश यादव और नवदीप सैनी के सामने पॉवरहिटिंग करके उन्हें विशिष्ट श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने डेथ ओवरों में तगड़ी हिटिंग करके भविष्य के लिए उम्मीदें जगा दी हैं। आखिरी दो ओवर में 49 और आखिरी चार ओवर में 74 रन – किसी भी टीम को डेथ ओवरों में भला इससे ज़्यादा क्या चाहिए। इस दौरान डेल स्टेन के दो ओवरों में चार छक्के और दो चौके, शिवम दूबे पर दो छक्के और एक चौका और नवदीप सैनी पर दो छक्के राहुल की दिलेरी को ही दिखाते हैं। वह भी तब जबकि दुबई का ग्राउंड बड़ा था और खासकर स्कवेयर बाउंड्री भी काफी बड़ी थी।
जिन दिनों केएल राहुल आउट ऑफ फॉर्म थे तो उनसे टीम इंडिया में रन बनने मुश्किल हो रहे थे लेकिन टीम प्रबंधन उनमें छिपी प्रतिभा को पहचान चुका था। उन्हें खूब मौके मिले और राहुल ने मौकों का दोनों हाथों से फायदा उठाया और इसी का नतीजा है कि वह आज टीम इंडिया के अकेले ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो टीम में किसी भी ज़िम्मेदारी को उठाने में हमेशा तत्पर रहते हैं। उन्हें टीम इंडिया की ओपनिंग की ज़िम्मेदारी मिली, उसमें वह खरे उतरे। नम्बर पांच पर खिलाया गया, वहां अच्छे फिनिशर साबित हुए। दास्ताने सौंपे गए तो विकेट के पीछे भी शानदार प्रदर्शन किया। जिस फार्मेट में मौका मिला, उसके अनुकूल बल्लेबाज़ी करके उन्होंने अपनी उपयोगिता दिखाई। अब आईपीएल में कप्तानी का मौका मिला तो यहां भी वह अब तक खरे उतरते दिखाई दिए हैं। दुबई में आरसीबी के खिलाफ पहले उन्होंने पारी को संवारने का काम किया। इस दौरान छक्के लगाने से उन्होंने परहेज किया। पारी के जमने के बाद उन्होंने गेयर बदला और वह विस्फोटक बल्लेबाज़ के अंदाज़ में रन बनाते नज़र आए। उन्होंने इस बात की भी परवाह नहीं की कि सामने कौन सा गेंदबाज़ है। हालांकि उन्हें विराट कोहली के हाथों दो कैच छूटने का भी लाभ मिला जिससे उन्हें आईपीएल में सबसे बड़ी पारी खेलने वाले कप्तान होने का गौरव हासिल हुआ। यह आईपीएल में किसी भी भारतीय की सबसे बड़ी पारी भी है। पिछले साल उन्होंने मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में मुम्बई इंडियंस के खिलाफ 65 गेंदों पर सेंचुरी पूरी की थी।
राहुल की बल्लेबाज़ी की सबसे बड़ी खूबी गेंद को बल्ले के बीचोबीच लेना है। आरसीबी के खिलाफ खासकर कवर और मिडविकेट ड्राइव खेलते हुए उन्होंने अपनी इसी खूबी का परिचय दिया। किसी भी क्रिकेट एकेडमी में प्रैक्टिस कर रहा ट्रेनी ऐसे शॉट्स से बहुत कुछ सीख सकता है। उन्हें न तो नवदीप सैनी की रफ्तार डरा पाई, न चहल की गुगली और डेल स्टेन और उमेश यादव की स्लोवर ऑफ कटर। ऐसी ऑफ कटर गेंदों की उन्होंने चिर परिचित अंदाज़ में खूब धुनाई की।
अपने इंटरनैशनल करियर में पहले ही वनडे में सेंचुरी और दूसरे टेस्ट में सेंचुरी और वह भी विदेश में, उनके टैलंट को बताने के लिए काफी है और उन्हें तीनों फॉर्मेट में इंटरनैशनल क्रिकेट में सेंचुरी बनाने वाले तीसरे भारतीय होने का भी गौरव हासिल हुआ। टी-20 इंटरनैशनल की सेंचुरी चौथे नम्बर पर आकर लगाना वास्तव में बड़ी बात है, यही कमाल राहुल के बल्ले से देखने को मिला। इतना ही नहीं, राहुल आईपीएल में दो हज़ार रन पूरे करने वाले सबसे तेज़ भारतीय भी बन गए हैं। उन्होने आठ साल पुराना सचिन तेंडुलकर का रिकॉर्ड तोड़ा। दो हज़ार रन पूरा करने में उन्होंने सचिन से तीन पारियां कम खेलीं।
ऐसे ऑलराउंड प्रतिभासम्पन्न खिलाड़ी पर बोर्ड और टीम प्रबंधन को खास ध्यान देने की ज़रूरत है। उनके इंजरी से बचाने के लिए भी उन्हें नियमित अंतराल में आराम दिया जाना भी ज़रूरी है। बेहतर हो कि उन्हें टीम इंडिया में विकेटकीपिंग की ज़िम्मेदारी केवल टी-20 क्रिकेट में ही मिले क्योंकि वनडे क्रिकेट में भी यदि वह यह ज़िम्मेदारी ओपनर होने के साथ निभाते हैं तो निश्चय ही उन पर काफी दबाव आ जाएगा जिससे उनके खेल और फिटनेस दोनों कके प्रभावित होने का भी खतरा पैदा हो सकता है लेकिन राहुल ने यह बात साबित कर दी है कि वह बतौर ओपनर पॉवरप्ले का भी फायदा उठा सकते हैं और अगर मध्य क्रम में उन्हें ज़िम्मेदारी मिलती है तो वह डेथ ओवरों के भी उपयोगी बल्लेबाज़ साबित हो सकते हैं।