नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत नेआज कृषि कानूनों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की और अगले आदेश तक इस कानून पर रोक भी लगा दी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किसानों को इसमें संतुष्टी नहीं है। उनका कहना है कि यह सरकार का ही तरीका है और हम इस कानून को खत्म करने की बात कह रहे हैंजब तक कानून खत्म नहीं होता तबतक आंदोलन जारी रहेगा। बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। साथ ही एक चार सदस्यीय समिति का गठन भी सुप्रीम कोर्ट ने किया। कोर्ट मेंसुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दुनिया की कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती और उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान भी कोर्ट नेकेंद्र सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि किसानों के साथ सरकार की बातचीत के तरीके से वह बहुत निराश है। बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद भी गतिरोध समाप्त होता नहीं दिख रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 48वें दिन भी जारी है। फैसले केबाद राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी मांग कानून वापस लेने की थी, इन पर स्टे लगाने की हमारी मांग नहीं थी। हमारी जीत तभी होगी जब कानून वापस होंगे और एमएसपी पर कानून बनेंगे। जब तक कानून वापस नहीं होंगे, तब तक घर वापसी नहीं होगी। वहीं सिंघु बॉर्डर पर डटे एक किसान भी इस फैसले से खुश नहीं थे। उन्होंने कहा कि कोर्ट की रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए। यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले। जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
-भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत नेकहा कि अगर सरकार जबरदस्ती किसानों को हटानेकी कोशिश करेगी तो यहां दस हजार किसान मारा जाएगा। 15 जनवरी को होने वाली किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत में भी शामिल होंगे। जो कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की है, उसमें बाद में बताएंगे कि जाएंगे या नहीं, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा। कानून जब तक वापस नहीं लिया जाएगा तब तक घर वापसी नहीं करेगा किसान। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसान परेड करके रहेगा। राकेश टिकैत ने आगे कहा कि किसान यहां से अब कहीं नहीं जा रहा है। ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। आंदोलन लंबा चलेगा। कोर्ट की तरफ से जारी समिति के नाम में सरकार से बातचीत कर रहे 40 संगठनों में से कोई भी नाम नहीं हैं।”