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king’s Concern : एक बार दरबार में राजा कृष्णदेव राय और मंत्रीगण बैठे हुए थे। तभी एक बूढ़े राज दरबारी देव परियां ने राजा से कहा की अब वह बहुत बूढ़ा हो चूका है और गाँव जाकर आखरी समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहता हूँ। राजा ने उस बूढ़े दरबारी को मना करते हुए कहा कि – आप रुक जाईये हमें आपकी सलाह की बहुत आवश्यकता है। वह दरबारी कमज़ोर और बुढा हो चूका था इसलिए राजा कृष्ण देव राय उसे मना ना कर सके और दरबार के कार्यों से मुक्त कर दिया और उसे सम्मान के साथ उन्हें भेजा।
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राजा ने राज्य के कार्यों पर ध्यान देना छोड़ दिया
उस दरबारी के जाने के बाद राजा को बहुत दुख हुआ क्योंकि राजा उनका बहुत आदर करते थे और वह उनके मुख्य सलाहकारों में से एक थे। उन्होंने अपने राज्य के कार्यों पर भी ध्यान देना छोड़ दिया। तेनालीराम उनके राजा के इस बदलाव को समझ गए और उन्होंने इसका हल निकालने का एक तरकीब सोचा। अगले दिन से तेनाली दरबार में नहीं गए। ऐसा करते करते एक हफ्ता हो गया तेनाली फिर भी दरबार नहीं आये। जब राजा ने अपने सैनिक को तेनाली के घर भेजा तो वहां भी ताला लगा हुआ था।
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नदी के सुन्दर नीले रंग के पानी को देखकर मुग्ध हो गए
सैनिक जब दरबार लौटे तो उन्होंने राजा को बताया और कहा उनके घर में तो ताला लगा है और लगता है तेनालीराम हमारा राज्य छोड़ कर चले गए। तभी दरबार में बैठे एक सलाहकार ने राजा से कहा – हे महाराज आप मन को शांत करने के लिए क्यों ना राज्य का दौरा कर आयें? यह बात राजा को पसंद आई और राजा राज्य का सैर करने निकले। राज्य का सैर करते-करते राजा नदी किनारे पहुंचे वहां वो नदी के सुन्दर नीले रंग के पानी को देखकर मुग्ध हो गए और राजा ने देखा की वहां एक साधू बैठा हुआ है।
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साधू राजा की बात सुनकर हसने लगता है
घूमने के बाद राजा अपने महल में लौट आते हैं। अगले दिन राजा फिर से नदी किनारे जाते हैं वहां वो दोबारा नदी के पानी को देख कर उसकी सुन्दरता का वर्णन करने लगते हैं। तभी वह साधू राजा की बात सुन कर हसने लगता है। राजा को समझ नहीं आता की साधू क्यों हंस रहा है और वह साधू से हंसने का कारण पूछते हैं। तब वह साधू राजा को बताते हैं कि कल जो पानी आपने देखा था वह अब बह चूका है और नया पानी बह कर आ चूका है।
साधू ने अपना असली रूप दिखाया
इसी प्रकार हमारे जीवन में लोगों का आना और जाना भी लगा रहता है इसलिए उनके जाने से हमें नहीं रूकना चाहिए। आप अपने बूढ़े दरबारी के जाने पर इतने दुखित क्यों हैं? राजा ने उत्तर दिया – परन्तु तेनालीराम जो जवान है और जिसे मैं बहुत पसंद करता हूँ वो मुझे क्यों छोड़ कर चले गए। क्या आप अपनी शक्ति से बता सकते हैं अभी तेनाली कहाँ हैं? साधू ने उत्तर दिया – मैं जरूर इसी वक्त आपके सामने तेनालीराम को ला सकता हूँ पर उसके लिए आपको एक वचन देना होगा कि आप इस राज्य को बिना किसी चिंता के चलायें और खुश रहें। ऐसा कह कर उस साधू ने अपना असली रूप दिखाया। वह तेनालीराम था जिसने साधू का रूप धारण किया था। राजा कृष्णदेव राय बहुत खुश हुए और उन्होंने तेनाली को गले से लगा लिया।
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