Haryana Assembly Election : संकट में किंगमेकर जजपा, पार्टी के सामने 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चुनौती

0
61
संकट में किंगमेकर जजपा, पार्टी के सामने 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चुनौती
संकट में किंगमेकर जजपा, पार्टी के सामने 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चुनौती

Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: पिछले विधानसभा चुनाव की किंगमेकर जननायक जनता पार्टी (जजपा) संकट में है। पार्टी के सामने बड़ी चुनौती यही है कि 90 विधानसभा सीटों में एकजुट होकर भाजपा-कांग्रेस का मुकाबला कैसे किया जाए। विधायक व कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। पार्टी के पास अब सिर्फ तीन ही विधायक बचे हैं। अजय चौटाला, दुष्यंत चौटाला, नैना चौटाला के अलावा कोई चेहरा भी नहीं बचा है। हालांकि पार्टी का दावा है कि वह मजबूत स्थिति में है और सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा ने करीब 14.80 फीसदी वोट हासिल किए थे और दस सीटों पर जीत हासिल की थी। कई जगह ऐसा मुकाबला था, जहां पार्टी को जितने वोट मिले थे, उतने वोटों से भाजपा व कांग्रेस की हार हुई थी। जजपा के बेहतरीन प्रदर्शन के चलते राजनीतिक हलकों में माना जा रहा था कि चौधरी देवीलाल की विरासत को दुष्यंत आगे लेकर जाएंगे, लेकिन फिलहाल स्थितियां जजपा के हाथ से निकलती हुई नजर आ रही हैं। बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी ने दसों लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे मगर कहीं भी जीत हासिल नहीं हुई। सिर्फ 0.87 फीसदी वोट मिले। सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। उसके बाद से पार्टी छोड़ने वालों का तांता लगा है। पार्टी के सात विधायक बगावत पर उतर आए। यहां तक कि पार्टी के अध्यक्ष निशान सिंह, जो पार्टी के शीर्ष नेताओं के वफादार माने जाते थे, वह भी पार्टी छोड़कर चले गए। इसी तरह से अनूप धानक भी अजय चौटाला के काफी करीबी हैं, वह भी इस्तीफा दे चुके हैं।

लोकसभा चुनाव के बाद संगठन का पुनर्गठन किया

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी ने अपने संगठन का पुनर्गठन करने का काम शुरू किया। पिछले दिनों सभी 22 जिला अध्यक्षों को बदल दिया। इसके साथ ही एक दिन पहले संगठन को मजबूत करते हुए 50 पदाधिकारियों की सूची जारी की। मगर पार्टी के सामने दिक्कत यह है कि उनके पास परिवार के अलावा कोई बड़ा चेहरा बचा नहीं है, जो पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत कर सके। हालांकि चुनाव की घोषणा के बाद दुष्यंत ने कहा कि जजपा विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। पार्टी के कार्यकर्ता चुनाव जीतने के लिए दिन-रात एक कर देंगे।

किसान आंदोलन की वजह से रही नाराजगी

जजपा को सबसे बड़ा नुकसान किसान आंदोलन की वजह से हुआ है। आंदोलन के दौरान जजपा भाजपा के साथ सरकार में शामिल थी। किसान आंदोलन के पक्ष में पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं था। इस वजह से उसे भारी आलोचना झेलनी पड़ी। लोकसभा चुनाव में दुष्यंत को जगह-जगह इसका विरोध भी झेलना पड़ा था।