डॉ श्रीकृष्ण शर्मा
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में फिर खेला होबे। पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनाव में जो नारा और गाना खेला होबे चुनावी सभा और रैलियों में खूब चला वही अब खेल मैदान पर भी दिखाई और सुनाई पड़ेगा। लेकिन यह खेल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल में युवाओं और विद्यार्थियों को फुटबॉल से जोड़ने के लिए खेला जाएगा। सरकार का मानना है कि खेला होबे खेल खेला जाएगा। पहल से राज्य में फुटबॉल के प्रति रुचि और भागीदारी बढ़ने से इस खेल का माहौल बनाने में मदद मिलेगी।
खेला होवे दिवस के मौके पर पचास हजार फुटबॉल बांटेगी सरकार
पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार युवाओं के बीच फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए खेला होवे दिवस के मौके पर पचास हजार फुटबॉल बांटेगी। खेला होबे खेल भावना से भरपूर खेल होगा। इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विभिन्न क्लबों को फुटबॉल देंगी। राज्य का खेल विभाग इस आयोजन की तैयारी में लगा हुआ है।
फुटबॉल क्लबों ने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई
फुटबॉल पश्चिम बंगाल का लोकप्रिय खेल है जो वहां की जनता फुटबॉल के बिना जीवन अधूरा सा मानती है। कोरोना काल में तनावपूर्ण जीवन जी रहे लोगों में यह उत्सव नया जोश भरने की कोशिश भी मानी जा रही है। टोक्यो ओलंपिक खेलों के शुरू होने से पहले जब पूरी दुनिया यूरोपियन फुटबॉल प्रतियोगिता और कोपा अमेरिका टूनार्मेंट के रंग में रंगी हो तो पश्चिम बंगाल भला कैसे न इसका आनंद उठाए। जिसका अपना फुटबॉल का सफल इतिहास रहा है। यहां के फुटबॉल क्लबों ने तो दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। वहां के कई क्लब तो आधुनिक फुटबॉल का संगठन फीफा से भी पुराने हैं। भारत के दिग्गज खिलाड़ियों ने तो इन क्लबों से जुड़कर बड़ा ही गर्व महसूस किया है। भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया भी ईस्ट बंगाल से आई लीग में उतरे।
मोहन बागान एथलेटिक क्लब और ईस्ट बंगाल फुटबॉल क्लब को एशियाई के पुराने क्लबों का गौरव प्राप्त है। इन दोनों क्लबों की लंबी प्रतिद्वंद्विता की चर्चा के बिना भारत में फुटबॉल की बात अधूरी रह जाएगी। फुटबाल वहां की संस्कृति का हिस्सा बन गई है। जिससे वहां का हर इंसान इस फुटबॉल खेल से जुड़ने को व्याकुल दिखाई पड़ता है।