Khecheopalri Lake: सिक्किम के गांव खेचियोपालरी में एक ऐसी झील है, जिसे इच्छाओं को पूरी करने वाली जगह कहा जाता है। यह झील सिक्किम की राजधानी गंगटोक से लगभग 147 किमी और पेलिंग शहर से 34 किमी की दूरी पर स्थित है। इसलिए आप दोनों में किसी भी जगह से अपनी यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। इस झील का नाम भी खेचियोपालरी झील ही है।
यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि जो भी यहां आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही कारण है कि पर्यटक इस अद्भुत झील को देखने में रुचि रखते हैं। यहां जाने के लिए आप वीकेंड ट्रिप का प्लान भी बना सकते हैं।
खेचियोपालरी झील को स्थानीय लोग शो जो शो के नाम से भी जानते हैं। स्थानीय भाषा में इसका मतलब है ‘ओ औरत यहीं बैठो’। यह झील शांति का प्रतीक भी माना जाता है, क्योंकि झील के पास जाते ही किसी भी पर्यटक को असीम शांति का अनुभव होता है। यह भारत के सबसे अच्छे लेक प्लेसेस में से एक माना जाता है।
यहां आने वाले लोग झील के पास आकर प्रार्थना करते हैं और खुश होकर वापस जाते हैं। इस जगह को बौद्ध तीर्थ स्थल के नाम से भी जाना जाता है। यहां आप युकसोम, दुबडी मठ, पेमायांग्त्से मठ, रबडेंट्से खंडहर, सांगा चोलिंग मठ और ताशीदिंग मठ जैसे बौद्ध मठों में आसानी से जा सकते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आस्था लेकर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस जगह को लेकर लोगों की अलग-अलग धारणा है, क्योंकि इस झील का आकार पदचिह्न जैसा है। कुछ लोग मानते हैं कि यह भगवान शिव का पदचिह्न, वहीं कई लोग इसे भगवान बुद्ध का भी पद चिन्ह मानते हैं।
झील तक कैसे पहुंचे?
खेचियोपालरी गांव में घुसते ही आपको झील नजर नहीं आएगी। इसे देखने के लिए आपको थोड़ा जंगल में चलना होगा। कुछ दूर तक पेड़ों की छाया में चलेंगे तो आपको रंग-बिरंगे प्रार्थना झंडे लहराते दिखेंगे। इसके बाद जब आप आगे बढ़ेंगे, तो आपको एक लकड़ी का पुल जैसा पैदल मार्ग मिलेगा।
इस लकड़ी के पुल पर चलने के बाद आप इस झील तक पहुंच जाएंगे। यह झील वैसे तो पेड़ों से घिरी है, लेकिन फिर भी आपको पानी में पत्तियां नहीं नजर आएंगी। इस झील के पास डुपुकनी नामक एक गुफा भी मिलेगी, जहां आप जा सकते हैं। माना जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव ने वहां तपस्या की थी।
आपको यहां पहुंचने के लिए यात्रा की शुरुआत गंगटोक से करनी होगी। आपको पेलिंग-रिंबी रोड से झील तक पहुंचना होगा।