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Khattar’s action on atrocities on Hindus in Mewat: मेवात में हिन्दुओं पर अत्याचार पर खट्टर का एक्शन

पाकिस्तान में होने वाले अत्याचारों की खबरें तो हमें हमेशा विचलित करती हैं लेकिन जब वैसी ही घटनाओं को अपने देश में देखा जाता है तो गुस्सा सौ गुणा बढ़ जाता है। ऐसा देश के कई राज्यों में हो रहा है जिस पर सरकार ने अब शिकंजा कसने का निर्णय लिया है। इसको अंजाम हरियाणा से दिया जा रहा है। मामला यह है कि हरियाणा राज्य के मेवात जिले में एक लंबे अर्से से हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए कानून बनाने को लेकर घोषणा की है व इस ही सत्र में इससे संबंधित कानून भी पास कर दिया जाएगा। इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नूंह के दौरे के बाद अन्य कुछ और भी घोषणाएं की हैं जिससे वहां रह रहे हिन्दुओं के लिए एक नया सवेरा होगा। यह सुनकर बहुत अजीब लगता है कि अपने ही देश में अपनी आजादी व सुरक्षा की गुहार लगा रहे हिन्दुओं पर क्या बीतती होगी। हमारे देश में ऐसी जगहों का लगातार बढ़ना जारी है जहां लगातार हिन्दू अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। और जहां भी ऐसा हो रहा है वहां हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ने का सिलसिला जारी है। दरअसल मामला यह है कि कुछ कट्टर जिहादियों ने धर्मांतरण व लव जेहाद को बढ़ाना देने के लिए हर तरह का पैंतरे का प्रयोग करते हैं। ऐसे लोगों का काम मात्र यह ही है कि किसी भी रुप में अपनी जनसंख्या बढाओ और बाकी अन्य धर्म का नामोनिशान मिटा दो। पूर्व में मेवात को लेकर विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं ने एक रिपोर्ट में यह बताया गया था मेवात में सुयोजित तरीके से दलित, पिछड़े और आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के हिन्दुओं को डरा धमका कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है जिससे हिन्दुओं की संख्या लगातार कम होना बेहद गंभीर मामला बनता जा रहा है।यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपते हुए कहा था इस मामले की बडे स्तर पर जांच होनी चाहिए। मेवात में हिन्दुओं के धार्मिक व सार्वजनिक संपत्तियों के अलावा निजी संपत्तियों पर कब्जे की खबरों ने इस तरह का एहसास करा दिया था कि मानों यह पाकिस्तान की घटना हो लेकिन अब हिंदुओं की संपति पर कब्जे हटवाने के लिए धर्मादा बोर्ड का गठन होगा और सुरक्षा के लिए आईआरबी की बटालियन की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा गोकुशी के मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुना जाएगा। गोहत्यारों को सख्त सजा दिलवाने के लिए मौजूदा कानून में आवश्यक संशोधन होने की भी संभावना है। दरअसल पिछली सरकारों में ऐसे जिहादियों को हौसले इतने बुलंद थे कि इनको किसी का डर नही लगता था और सरकार से अप्रत्यक्ष रुप में इनको समर्थन मिलता था। यह खेल खुलेआम चलता था और शासन-प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नही होती थी। मोदी व खट्टर सरकार के पिछले कार्यकाल में जिहादियों कई बार चेतावनी दी गई थी जिससे यह थोडे समय के लिए सुधर जाते थे लेकिन फिर दोबारा उस ही ट्रैक आ जाते थे। लेकिन इस बार हिन्दुओं की पीडा को खट्टर सरकार ने समझा और उनकी जिंदगी को सरल बनाने के लिए यह कदम उठाया।एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले ढ़ाई दशक में मेवात के पचास गावों में हिन्दुओं की संख्या शून्य हो गई मतलब एक भी परिवार हिन्दुओं का नही बचा। आंकड़ों के अनुसार करीब दशकभर पहले मेवात में हिन्दु-मुस्लिम आबादी आधी-आधी थी लेकिन अचानक हिन्दुओं की जनसंख्या लगातार गिरने से आंकडा चौकाने वाला हो गया और अब स्थिति यह है यहां मुसलमानों की आबादी 70 फीसदी से ज्यादा और बाकी अन्य धर्मों की बहुत कम हो गई। हाल ही में मेवात की कुल जनसंख्या करीब साढे ग्यारह लाख है। यहां हम सिर्फ एक जिले के मामले पर गंभीरता दिखाते हुए चीजों को बदल रहे हैं लेकिन अभी हिन्दुस्तान जैसे देश में तमाम ऐसी जगह है जहां इस तरह एक्शन ऑफ प्लॉन की जरुरत है।यदि पश्चिम बंगाल पर भी गौर करें तो वहां भी हिन्दुओं को स्थिति बहुत खराब है। हिन्दुओं को ऐसा लगता है मानो वह पाकिस्तान में रह रहे हों चूंकि वहां शासन-प्रशासन उनकी कोई मदद नही करता। हर रोज वहां से भी दर्दनाक खबरों का आना जारी है। यह भी हिन्दुओं पर स्थिति अचानक खराब नही हुई बल्कि प्लान के तहत यह काम किया जा रहा है। इसकी नींव कम्युनिस्ट सरकार में रखी गई थी जिसे ममता बनर्जी ने और बड़े स्तर पर बरकरार रखा। यहां के भी कुछ इलाके हिन्दू अल्पसंख्यक नही हुआ ब्ल्कि सीधे हिंदू विहीन हो गए। ममता सरकार के संरक्षण में बांग्लादेशी मुस्लिमों ने सीमावर्ती हिस्सों में जो घुसपैठ हुई है, उसके भी रिजल्ट आने शुरु हो गए। उत्तरी परगना, मालदा और मुर्शिदाबाद जैसे कई इलाकों में मुस्सिम समुदाय जब चाहता है तब बवाल कर देता है। खासतौर पर जब भी हिन्दुओं के पर्वों पर जरुर ऐसा होता है। वहां के मुख्य पर्व दुर्गा पूजा की यात्रा तक को भी नही निकलने दिया जाता और इस मामले में सरकार हिन्दुओं की बिल्कुल मदद नही करती ब्लकि शरारती तत्वों को बढ़ावा देती है। इसके अलावा लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में हिन्दू अल्पसंख्यक होना भी चिंता का विषय बना हुआ है। इस मामले पर 2017 में एक याचिकाकर्ता ने इन आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग तक कर डाली थी। केन्द्र सरकार को इस तरह के मामलों की गंभीरता को समझते हुए बहुत काम करने की जरुरत है। यदि समय के साथ रहते हुए ऐसी घटनाओं को नियंत्रित नही किया गया तो देश की दशा व दिशा दुर्भाग्यपूर्ण होगी।

योगेश कुमार सोनी

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