चंडीगढ़, तीन कृषि कानूनों, बिजली संशोधन बिल 2020, व पराली संबंधी आर्डीनेंस के खिलाफ पंजाब की 32 किसान जत्थेबदियों का धरना 85वें दिन भी जारी है। किसान जत्थेबदियों की तरफ से पंजाब भर के टोल प्लाजों, रिलायंस पंपों, कार्पोरेट-मॉलज व भाजपा लीडरों की रिहायशों समेत 60 अलग अलग स्थानों पर पक्के धरने जारी है। भारतीय किसान यूनियन एकता ( डकौंदा) के जनरल सेक्रेटी जगमोहन सिंह पटियाला ने बताया कि दिल्ली में 500 किसान जत्थेबदियों के सयुंक्त किसान मोर्चो की तरफ से जारी मोर्चो में पंजाब के लोग लगातार भाग ले रहे है। उन्होंने अलग अलग स्थानों पर पुलिस की तरफ से की जा रही धक्केशाही को लेकर निंदा की। उन्होंने कहा कि पंजाब भाजपा लोगों के रोष को देखते हुए प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने के लिए कहा। सयुंक्त किसान मोर्चे की तरफ से आंदोलन के पसार के लिए 10 लाख हिंदी, 10 लाख पंजाबी व 5 लाख अग्रेंजी में पम्फलेट काले कानूनों संबंधी देश भर में लोगों को जागरूक करने के लिए बांटे जाएगें। 26-27 दिंसबर को दिल्ली मोर्चो में गुरू गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों व माता गुजरी जी का शहीदी दिहाड़ा मनाया जाएगा।
निधि योजना किसानों से धोखा
जगमोहन सिंह पटियाला ने कहा कि यह केन्द्र सरकार का किसानों के सिर पर कोई अहसान नहीं, यह लोगों की मेहनत का पैसा है। खेतों में पसीना बहाना, हर मौसम में मुश्किलें सहन कर देश का पेट भरने वाले किसानों को 500 रुपए प्रति महीना देना अपमान नहीं तो क्या है। किसान भिखारी नहीं है, अन्नदाता है। वह 500 रुपए प्रति महीना की इच्छा से अपनी औलाद जैसी फसल का पूरा मूल्य मांगता है। किसान की फसल पहले आधे मूल्य पर खरीदो और बाद में 500 रुपए उसका भीख के तौर पर वापस कर किसानों पर अहसान करो , यह कहां का इंसाफ है। कार्पोरेट घरानों के लिए हर साल कई लाख करोडों रुपए की छूट दी जाती है, वास्तव में देश के मंत्रियों के हाथी के दांत खाने को अलग व दिखाने को अलग है। खून पसीना बहाने वाले किसान कजे्र व मजदूर भूखें मरने के लिए मजबूर है।