Aaj Samaj (आज समाज), Kerala Governor Arif Mohammed Khan, नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का विरोध करने के फैसले को लेकर बोर्ड पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि तीन तलाक जैसे कई बड़े फैसलों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 40 वर्ष बाद भी हमारी पीढ़ियां याद करेंगी।
- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी का विरोध करने का फैसला किया
प्रधानमंत्री ने की है जल्द यूसीसी लागू करने की वकालत
गौरतलब है कि भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने 27 जून को देशभर में यूसीसी को जल्द लागू करने की वकालत की थी और बुधवार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वर्चुअल मीटिंग करके इसका विरोध करने का फैसला किया है। बोर्ड ने लेटर जारी कर लोगों से यूसीसी का विरोध करने की अपील की है। इसी को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हमला बोला है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाने वाले अपने आप को खुदा से कम नहीं समझते
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाने वाले अपने आप को खुदा से कम नहीं समझते। शरियत कानून पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि बादशाहों की जरूरत पूरी करने के लिए लिखे गए कानूनों को शरियत का नाम दिया गया और ये लोग उसी की वकालत करते हैं।
भेदभाव करते हैं इस्लामी कानून
केरल गवर्नर ने यह भी कहा कि इस्लामी कानून भेदभाव करते हैं। उन्होंने कहा कि 90 फीसदी कानूनों का कुरान से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि यूसीसी समय की मांग है। आप कानून बदल सकते हैं, लेकिन आदतें बहुत मुश्किल से बदलती हैं। कुछ लोगों की वोट बैंक के लिए धर्म का प्रदर्शन करने की आदत है, इसलिए उनसे किसी समझदारी की उम्मीद करना बेमानी होगी।
ट्रिपल तलाक के मामलों में 95 फीसदी की कमी
राज्यपाल ने कहा कि पीएम मोदी ने 2019 में तीन तलाक खत्म किया और तब से आज तक मुस्लिमों में ट्रिपल तलाक के मामलों में 95 फीसदी की कमी आई है। इससे उन महिलाओं को फायदा हुआ, जो तीन तलाक के बाद दर-दर भटक रही थीं। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस कानून से उनकी जिंदगी बदल गई।
यूसीसी समय की मांग : गवर्नर
केरल गवर्नर ने यह भी कहा कि इस्लामी कानून भेदभाव करते हैं। उन्होंने कहा कि 90 फीसदी कानूनों का कुरान से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि यूसीसी समय की मांग है। आप कानून बदल सकते हैं, लेकिन आदतें बहुत मुश्किल से बदलती हैं। कुछ लोगों की वोट बैंक के लिए धर्म का प्रदर्शन करने की आदत है, इसलिए उनसे किसी समझदारी की उम्मीद करना बेमानी होगी।
संघ के इंद्रेश कुमार का कहना है कि विरोध से ज्यादा लोग यूसीसी के पक्ष में हैं। इसके लागू होने से धार्मिक संस्कार और छुआछूत खत्म हो जाएगा। महिलाओं पर अत्याचार भी खत्म होगा और लोग एकजुट होंगे वह स्वतंत्र रूप से वे अपने धर्म का पालन कर सकेंगे।
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