Kerala, a lush cultural paradise: केरल, एक हरा-भरा सांस्कृतिक स्वर्ग

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ईश्वर के अपने देश के तौर पर प्रसिद्ध केरल हमारे देश के सबसे अधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। इसके पश्चिम में अरब सागर, पूर्व कीओर पश्चिमी घाट स्थित हैं तथा मैदानों में धान के हरे-भरे खेत सजे हुए दिखाई देते हैं तथा परस्पर जुड़ी 44 नदियों के ताने-बाने से सुसज्जित केरल राज्य अपनी विलक्ष्ण प्रकार की विशेषताओं से भरपूर है, इन्होंने ने उसे विश्व का सबसे अधिक आकर्षित पर्यटन स्थल बनाया है। केरल राज्य अत्यधिक लम्बी दूरी तक शांत समुद्र तटों व विद्यमान हरित बांध की शांत पट्टियों, चाय के मनमोहक बागान, दुर्लभ पौघों व पशु-पक्षियों से भरपूर अदभुत प्रकार के वन्य-जीवन, विशेष वस्त्रों से सजे हाथियों के साथ मनाए जाने वाले अनेक उत्सवों, पांरपरिक संगीत वाद्यों से लैस संगीत समूहों, रंगीन लोक-कलाओं, मन्दिरों व अनेक प्रकार के शास्त्रीय नाचों हेतु जाना जाता है तथा आप एक बार जा कर तो देखें, यहां ऐसे अन्य बहुत से करिश्मे आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। केरल का उत्तरी भाग – मालाबार तट प्राचीन समयों से ही मसालों व काले सोने की धरती े तौर पर समस्त विश्व में अत्यधिक प्रसिद्ध रहा है। पुर्तगालियों, डच, फिनीशियन्स सहित अरब सागर व फारस की खाड़ी से आए बहुत से व्यापारी इसी महान तट पर ही पहली बार उतरे थे – वे सब विश्व के मसालों के खजाने की ही खोज करने हेतु यहां पहुंचे थे। अन्यों के अतिरिक्त कोलम्बस, वास्को डा गामा, मार्को पोलो, फा-हियान जैसे साहसी यात्रियों व खोजियों ने इस धरती को देख कर ही अपनी कलमें चलाईं थीं। केरल के राजधानी नगर तिरुवनंतपुरम को नैश्नल ज्योग्राफिक ट्रैवलर द्वारा अनिवार्य तौर पर देखने योग्य ठिकाना चयनित किया गया है। महात्मा गांधी ने तिरुवनंतपुरम नगर को, यहां विद्यमान विशाल हरियाली व नगर के प्रत्येक भाग में विद्यमान सुन्दर भवनों की अद्वितीय वास्तु-कला के कारण, भारत का सदाबहार नगर करार दिया था। विश्व के सब से अधिक अमीर मन्दिरों से एक, प्रसिद्ध पदमनाभस्वामी मन्दिर भी तिरुवनंतपुरम में स्थित है।
केरल के दक्षिण से उत्तर तक 100 से अधिक देखने योग्य व सुन्दर ठिकाने हैं; जिन्हें कोवलम – भारत के सब से अधिक समुद्री तटों वाला गन्तव्य, कोल्लम – भारत का काजू नगर, अल्लपुजाह या अल्लेपे – पूर्व का वीनस, कुमाराकोम – हमारे देश का एक प्रतिशठित पर्यटन गन्तव्य, कोच्चि – अरब सागर की रानी, मुन्नर – भारत का स्कॉटलैण्ड, थेकाड़ी – भारत के दहाड़ते वन्य-जीवन का स्वर्ग, कुरुवायूर – दक्षिण भारत का मन्दिर-नगर, थ्रिसुर अथवा त्रिचूर – राज्य की सांस्कृतिक राजधानी, पल्ल्कड़ – केरल का अन्न भण्डार, कोटक्कल – देश की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद का जन्म- स्थान, नीलांबर – विश्व का प्रसिद्ध सागौन नगर, कोजीकोड – भारत का मसालों का नगर, वेयनाड – पश्चिमी घाटों का कबायली स्वग व बेकाल – एक प्राचीन किल व धार्मिक
सद्भावना वाला गांव सम्मिलित हैं। केरल व हिमाचल प्रदेश एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के जोड़ीदार राज्य हैं। प्रधान मंत्री ने यह विचार रखा थाकि सांस्कृतिक विभिन्नता एक ऐसा हर्ष है, जिसके जश्न परस्पर बातचीत व विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के लोगों के बीच परस्पर आदान-प्रदान द्वारा मनाने चाहिएं, ताकि समस्त देश में परस्पर समझ व साझी भावना गुंजायमान हो सके। हिमाचल प्रदेश पहले ही केरल के बहुत से यात्रियों की अनिवार्य तौर पर देखने योग्य स्थानों की सूची में शामिल है। एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना ने विभिन्न राज्यों की जनता के मध्य एक टिकाऊ व संरचनात्मक सांस्कृतिक समीपता के विचार को प्रत्यक्ष किया है। केरल में वह प्रत्येक वस्तु है, पर्यटक जिसकी खोज करना चाहते हैं; यहां केवल बर्फ़ से लदे पर्वत नहीं हैं परन्तु इस सुन्दर धरती की भरपूर हरियाली व असीमित अतिथि-सम्मान करने वाले यहां के लोग, स्वादिष्ट खाने, अमीर विरास्त व संस्कृति आपको अपनी छुट्टियों का एक विलक्ष्ण अनुभव देंगे।
-रविशंकर केवी
((लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।) )s