Aaj Samaj (आज समाज), Kejriwal Supreme Court, नई दिल्ली: शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट गए। हाई कोर्ट ने पिछले कल उनकी याचिका खारिज कर दी थी। केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। साथ ही दिल्ली सीएम ने ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें ईडी रिमांड में भेजने के लिए पारित आदेश को भी चुनौती दी थी। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने 3 अप्रैल को लंबी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने खारिज किया गिरफ्तारी को लेकर दिया गया तर्क
हाई कोर्ट ने केजरीवाल के उस तर्क को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी लोकसभा चुनावों में पार्टी को नुकसान पंहुचाने के लिए की गई है और मामले में आरोपी से सरकारी गवाह बने इलैक्ट्रोल बांड एक राजनीतिक पार्टी को दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि चुनाव लड़ने के लिए टिकट कौन देता है या चुनावी बॉन्ड कौन खरीदता है, यह अदालत की चिंता नहीं है। अदालत ने ईडी के उस तर्क को भी स्वीकार कल लिया कि आम आदमी पार्टी (आप) एक कंपनी की तरह काम कर रही थी।
मामले में आकर्षित होती है धारा 70 पीएमएलए की कठोरता
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा, यह माना गया कि इस मामले में धारा 70 पीएमएलए की कठोरता आकर्षित होती है। धारा 70 कंपनियों द्वारा किए गए अपराधों को दंडित करती है। इसमें प्रावधान है कि जब कोई कंपनी पीएमएलए का उल्लंघन करती है, तो प्रत्येक व्यक्ति जो उल्लंघन के समय कंपनी के व्यवसाय के संचालन का प्रभारी था, उसे दोषी माना जाएगा।
ईडी पर्याप्त सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए सक्षम
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा पंकज बंसल मामले में निर्धारित कानून के सभी आदेशों का पालन किया गया है। केजरीवाल को हिरासत में भेजने का मजिस्ट्रेट अदालत का आदेश भी तर्कसंगत आदेश था। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने केजरीवाल की गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड को बरकरार रखते हुए कहा कि ईडी पर्याप्त सामग्री, अनुमोदकों के बयान और आप के अपने उम्मीदवार के बयान पेश करने में सक्षम है कि केजरीवाल को गोवा चुनाव के लिए पैसे दिए गए थे।
केजरीवाल ने साजिश रची और वह उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण में शामिल थे
कोर्ट ने कहा ईडी द्वारा एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि केजरीवाल ने साजिश रची और उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण में शामिल थे और अपराध की आय का इस्तेमाल किया। वह कथित तौर पर नीति के निर्माण में व्यक्तिगत क्षमता और रिश्वत की मांग में भी शामिल हैं और दूसरे आप के राष्ट्रीय संयोजक की क्षमता में भी शामिल हैं। केजरीवाल ने तर्क दिया था कि उन्हें परोक्ष रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि आप एक कंपनी नहीं है बल्कि जन प्रतिनिधि अधिनियम के तहत पंजीकृत एक राजनीतिक दल है।
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