Sonipat News: ब्राह्मण वोटरों पर नजर, जीटी बेल्ट की 30 सीटों समेत खट्टर की पसंद की वजह से मोहन लाल बड़ौली को मिली हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी

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ब्राह्मण वोटरों पर नजर, जीटी बेल्ट की 30 सीटों समेत खट्टर की पसंद की वजह से मोहन लाल बड़ौली को मिली हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी
ब्राह्मण वोटरों पर नजर, जीटी बेल्ट की 30 सीटों समेत खट्टर की पसंद की वजह से मोहन लाल बड़ौली को मिली हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी

Sonipat News (आज समाज) सोनीपत: हरियाणा में अगले चार माह के भीतर होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बड़ा उलटफेर किया गया है। सोनीपत जिले की राई विधानसभा से विधायक मोहन लाल बड़ौली को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। बड़ौली की ताजपोशी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पसंद से ही हुई है। पार्टी ने दिग्गज ब्राह्मण चेहरा रामबिलास शर्मा को दरकिनार कर बड़ौली को प्रोजेक्ट किया है। अभी तक प्रदेशाध्यक्ष का पद मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास था। कई दिनों से प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर सीनियर नेताओं द्वारा लॉबिंग की जा रही थी, लेकिन आखिर में शीर्ष नेतृत्व ने मोहन लाल बड़ौली के नाम पर मोहर लगा दी।

बड़ौली के प्रदेशाध्यक्ष बनने के कारण

मोहन लाल बड़ौली के प्रदेशाध्यक्ष बनने के तीन अहम कारण है। एक सूबे में बीजेपी के कौर वोटर्स के रूप में जाने वाला 7.5% ब्राह्मण वोट बैंक और दूसरा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पसंद। इसके अलावा तीसरा कारण बड़ौली का शुरू से फरर से जुड़ा होना भी रहा। क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले फरर की नाराजगी उजागर होने के बाद बीजेपी संगठन में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैकग्राउंड वाले नेताओं को तवज्जों दे रही है। इसी के चलते बुड़ौली को संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि मोहन लाल बड़ौली को पूर्व सीएम खट्टर की सिफारिश पर ही सोनीपत लोकसभा सीट से टिकट मिली थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी से चुनाव हार गए थे।

मोहन लाल बड़ौली का सियासी अनुभव

सोनीपत जिले की राई विधानसभा सीट के अधीन आने वाले गांव बड़ौली में जन्मे मोहन लाल का सियासी करियर नपा तुला रहा है। वे 1989 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। इनेलो की सरकार के वक्त मुरथल से जिला परिषद का चुनाव जीतने वाले वह पहले भाजपा उम्मीदवार थे। मोहन लाल को 2019 में बीजेपी ने सोनीपत की राई विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा और बड़ौली अपना पहला ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 2020 में बड़ौली को सोनीपत भाजपा का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके अलावा 2021 में उन्हें प्रदेश महामंत्री के पद के साथ हरियाणा भाजपा की कोर टीम में शामिल किया गया। बड़ौली केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के करीबी हैं। इसी के चलते उन्हें हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सोनीपत सीट से कैंडिडेट बनाया गया, लेकिन बड़ौली इस बार चुनाव हार गए।

भाजपा की गैर जाट पॉलिटिक्स

बड़ौली को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने एक बार फिर हरियाणा में गैर जाट पॉलिटिक्स पर मोहर लगा दी है। 2014 में पहली बार सूबे में अपने दम पर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली बीजेपी ने जाट बाहुल्य इस राज्य में शुरू से ही गैर जाट की पॉलिटिक्स की और मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बना दिया। हालांकि बीजेपी ने अपने पहले कार्यकाल में जाट चेहरे के तौर पर सुभाष बराला को और दूसरे कार्यकाल में ओमप्रकाश धनखड़ को प्रदेशाध्यक्ष बनाया, लेकिन इसके बाद भी जाटों का साथ नहीं मिला तो ओबीसी चेहरे नायब सैनी को प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। 2024 में लोकसभा चुनाव से एन वक्त पहले 12 मार्च को बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूटा और सीएम मनोहर लाल ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सीएम मनोहर लाल के सबसे भरोसेमंद नायब सैनी को संगठन के साथ-साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया। नायब सैनी के सीएम बनने के बाद चर्चा चली की पार्टी अब फिर से किसी जाट नेता को प्रदेशाध्यक्ष बना सकती है। इसमें पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाम सबसे टॉप पर रहा।

रामबिलास शर्मा क्यों पिछड़े

हरियाणा में बीजेपी के दूसरे सबसे मजबूत किले दक्षिणी हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा सीनियॉरिटी के हिसाब से पार्टी में सूबे के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। रामबिलास शर्मा दो बार प्रदेशाध्यक्ष रहने के साथ ही प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। 2014 में उन्हीं की अगुआई में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था। उस वक्त वे सीएम पद की दौड़ में भी शामिल थे, लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर उनसे प्रदेशाध्यक्ष पद वापस ले लिया गया। नायब सैनी के सीएम बनने के बाद अब एक बार फिर रामबिलास शर्मा के प्रदेशाध्यक्ष बनने की प्रबल संभावनाएं थी। रामबिलास शर्मा पिछले तीन दिनों से दिल्ली में डटे हुए थे। रामबिलास केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा अन्य मंत्रियों से मुलाकात कर चुके थे, लेकिन पार्टी ने उन पर भरोसा जताने की बजाए बड़ौली को कमान सौंपी। रामबिलास शर्मा का प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए पिछड़ने का सबसे अहम कारण उनकी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से नजदीकियां भी रही। रामबिलास शर्मा खुलकर राव इंद्रजीत सिंह की तारीफ करते आए हैं, लेकिन बीजेपी का एक बड़ा धड़ा अंदरखाने राव इंद्रजीत सिंह की मुखालफत करता आया है। इसी की वजह से रामबिलास शर्मा पिछड़ गए।