करवा चौथ का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखकर पति की लंबी आयु की ईश्वर से कामना करती हैं। साथ ही इस दिन करवा माता की पूजा व रात को चंद्रोदय पर चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व है।
इस बार करवा चौथ के लिए दो पूजन मुहूर्त
इस बार चतुर्थी तिथि रविवार सुबह 6.46 मिनट पर शुरू होगी और 21 अक्टूबर की सुबह 4.16 मिनट पर इसका समापन होगा। इस बार करवा चौथ के लिए दो पूजन मुहूर्त हैं। पहला अभिजीत मुहूर्त रविवार को सुबह 11.43 मिनट से लेकर दोपहर 12.28 मिनट तक रहेगा। उसके बाद दोपहर 1.59 मिनट से 2.45 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।
चंद्रोदय से करीब 1 घंटा पहले शुरू करें पूजा
ज्योतिषों का कहना है कि चांद निकलने से करीब एक घंटा पहले पूजा शुरू करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार परिवार की सभी महिलाओं को एक साथ पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनें या एक-दूसरे को सुनाएं। करवा चौथ की पूजा के लिए इस बार केवल 1 घंटा 16 मिनट मिलेंगे। आप शाम 5.46 मिनट से 7.02 मिनट तक पूजा कर सकती हैं। शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 50 मिनट से 7 बजकर 28 मिनट तक है। वहीं शाम में 7.58 मिनट के बाद चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा करके अर्घ्य दे सकते हैं।
करवा चौथ के पूजन की यह है विधि
करवा चौथ में चौथ माता और चंद्र देवता की भी पूजा साथ ही की जाती है। सुबह सूर्योदय से पहले उठें और घर की सफाई करें। इसके बाद स्नान करके पूजा करें। फिर सास द्वारा दिया भोजन करें। उसके बाद भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। यह व्रत सूर्यास्त के बाद चन्द्रमा के दर्शन कर खोलना होता है।
बीच में जल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए
व्रत के बीच में जल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। शाम में एक चौकी पर शुद्ध और कच्ची पीली मिट्टी की वेदी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाकर लाल कपड़े पर स्थापना करें। पूजा की सामग्री में रोली, चंदन, धूप, दीप व सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहे, ताकि वह पूरा समय जलता रहे।
व्रती महिलाओं के लिए जरूरी बातें
- व्रती महिलाएं निराहार रहकर दिनभर गणेश मंत्र का जाप करें।
- पूजा के बाद करवा विवाहित महिलाओं को ही दे देना चाहिए।
- व्रत करने वाली महिलाएं नमक वाला भोजन न करें।
- रात को चांद का उदय होने के बाद विधिपूर्वक चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- चंद्रमा के साथ गणेश जी व चतुर्थी माता को भी अर्घ्य दें।
- कम से कम 12 या 16 साल व्रत तक करना चाहिए। इसके बाद उद्यापन करें।
चांद का ऐसे करें दर्शन
- चंद्रमा के दर्शन छलनी द्वारा किए जाने चाहिए।
- दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चांद की पूजा करें
- थाली में फल, मेवे, मिष्ठान व रुपए वगैरह रखें।
- थाली में रखी चीजें सास को देकर आशीर्वाद ले।
- सास बहू को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दें