Karva Chauth is the fast for unbroken fortune: अखंड सौभाग्य प्राप्ति का व्रत है करवा चौथ

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क ार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीघार्यु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिनविवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेश महात्म्य है। आधुंनिक युग में चांद से जुड़ा यह पौराणिक पर्व महिला दिवस से कम नहीं है जिसे पति व मंगेतर अपनी अपनी आस्थानुसार मनाते हैं। करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी जो कि भगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता है एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएं पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएं भगवान शिव माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चंद्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है। करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण जोकि अर्घ कहलाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दियाजाता है।
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 अक्टूबर 2019 (गुरुवार) को सुबह 06 बजकर 48 मिनट से।
चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर 2019 को सुबह 07 बजकर 29 मिनट तक।
करवा चौथ व्रत का समय: 17 अक्टूबर
सुबह 06 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक।
पूजा का शुभ मुहूर्त : 17 अक्टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक।
च्ांद्रोदय का समय : रात्रि 8 बजकर 27 मिनट पंचांगानुसार
परंतु वास्तव में कई नगरों में यह पौने 9 से 9 बजे के मध्य दिखेगा।
विशेष- गर्भवती महिलाओं को गर्भस्थ शिशु का ध्यान रखते हुए, यह व्रत नहीं रखना चाहिए।
पूजन सामग्री
करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें। पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे।
पूजा विधि
करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।
अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’
सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिन भर निर्जला व्रत रखें।
दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और भीगे हुए चावलों को पीसकर घोल तैयार कर लें। इस घोल से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। वैसे बाजार में आजकर रेडीमेड फोटो भी मिल जाती हैं। इन्हें वर कहा जाता है। चित्रित करने की कला को करवा धरना का जाता है।
आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। मीठे में हलवा या खीर बनाएं और पकवान भी तैयार करें।
अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ अर्पित करें। जल से भर हुआ लोट रखें।
करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें।
रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं।
अब गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें।
पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘ऊं नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’
करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
पानी का लोटा और 13 दाने गेहूं के अलग रख लें।
चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
चंद्रमा को अर्घ्य देते वक्त पति की लंबी उम्र और जिंदगी भर आपका साथ बना रहे इसकी कामना करें।
अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीएं। अब पति के साथ बैठकर भोजन करें।
कैसे करें पारंपरिक व्रत
प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके पति,पुत्र,पौत्र,पत्नी तथा सुख सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखें। शिव, पार्वती, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें। बाजार में मिलने वाला करवा चौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा स्थान पर लगा लें। चंद्रोदय पर अर्घ्य दें। पूजा के बाद तांबे या मिटट्ी के करवे में चावल, उड़द की दाल भरें। सुहाग की सामग्री,- कंघी, सिंदूर,चूड़ियां ,रिबन, रुपये आदि रखकर दान करें। सास के चरण छूकर आशीर्वाद लें और फल, फूल, मेवा, बायन, मिश्ठान,बायना, सुहाग सामग्री, 14पूरियां ,खीर आदि उन्हें भेंट करें। विवाह के प्रथम वर्ष तो यह परंपरा सास के लिए अवश्य निभाई जाती है। इससे सास- बहू के रिश्ते और मजबूत होते हैं।
सरगी का वैज्ञानिक आधार
व्रत रखने वाली महिलाओं को उनकी सास सूर्योदय से पूर्व सरगी ‘सदा सुहागन रहो’ के आशीर्वाद सहित खाने के लिए देती हैं जिसमें फल, मिठाई, मेवे, मटिठ्यां, सेवियां, आलू से बनी कोई सामग्री, पूरी आदि होती है। यह खाद्य सामग्री शरीर को पूरा दिन निर्जल रहने और शारीरिक आवश्यकता को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम होती है। फल में छिपा विटामिन युक्त तरल दिन में प्यास से बचाता है। फीकी मटठ्ी ऊर्जा प्रदान करती है और रक्तचाप बढ़ने नहीं देती। मेवे आने वाली सर्दी को सहने के लिए शारीरिक क्षमता बढ़ाते हैं।
मिठाई सास बहू के संबंधों मेंमधुरता लाने का जहां प्रतीक है, वहीं यह व्रत के कारण शुगर का स्तर घटने नहीं देती जिससे शरीर पूरी क्षमता से कार्य करता है और व्रत बिनाजल पिए सफल हो जाता है। यह व्रत शारीरिक व मानसिक परीक्षा है ताकि वैवाहिक जीवन में विशम व विपरीत परिस्थितियों में एक अर्धांगनी, पति का साथ निभा सके। भूखे प्यासे और शांत रहने की कला सीखने का यह भारतीय सभ्यता व संस्कृति में पर्वोंं के माध्यम से अनूठा प्रशिक्षणहै। चंद्र सौंदर्य एवं मन का कारक ग्रह है अत: चंद्रोदय पर व्रत खोलने से मन में शीतलता का संचार होता है और सोलह श्रृंगार किए पत्नी देख कर कुरुपता में भी सौंदर्य बोध होता है।
चंद्र राशि एवं सामर्थ्य अनुसार गिफ्ट और डैÑस का करें चुनाव
मेष: उपहार: विद्युत या इलेक्ट्रिोनिक उपकरण दें। डैÑस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट या लंहगा।
वृष: उपहार: डायमंड या चांदी का अलंकरण। डैÑस: लाल व सिल्वर साड़ी या सूट।
मिथुन: उपहार:विद्युत या इलेक्ट्रोनिक उपकरण दें। डैÑस: हरी बंधेज साड़ी या सूट, हरी – लाल चूड़ियां।
कर्क: उपहार: चांदी का गहना दें। डैÑस लाल सफेद साड़ी या सूट, मल्टी कलर चूड़ियां।
सिंह: उपहार: गोल्डन वाच दें। डैÑस: लाल , संतरी, गुलाबी ,गोल्डन साड़ी या सूट।
कन्या: उपहार: विद्युत या इलेक्ट्रिोनिक उपकरण दें। डैÑस: लाल हरी गोल्डन साड़ी या सूट।
तुला: उपहार: कास्मैटिक्स दें। डैÑस: लाल सिल्वर गोल्डन साड़ी, लहंगा या सूट।
वृश्चिक: उपहार: विद्युत या इलेक्ट्रिोनिक उपकरण दें। डैÑस: लाल ,मैरुन ,गोल्डन साड़ी या सूट।
धनु: उपहार: पिन्नी या पीला पतीसा, लड्डू दें। डैÑस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट व 9 रंग की चूड़ियां।
मकर: उपहार: विवाह की ग्रुप फोटो ग्रे फे्रम में गिफ्ट करें। डैÑस: इलैक्ट्रिक ब्लू साड़ी या सूट।
कुंभ: उपहार:हैंड बैग, ड्राई फू्रट,चाकलेट दें। डैÑस: नेवी ब्लू व सिल्वर कलर की मिक्स साड़ी या सूट।
मीन: उपहार: राजस्थानी थाली में कोई गोल्ड आयटम और ड्राई फू्रट। डैÑस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट।
वैवाहिक जीवन को आनंदमय बनाने के करवा चौथ पर विशेष उपाय
यदि आपके वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां हैं या पति-पत्नी के मध्य किसी वो के आगमन से विस्फोटक स्थिति बन गई है तो इस करवाचौथ के अवसर पर हमारे ये प्रयोग करने से न चूकें। ये उपाय सरल, सफल अहिंसक एवं सात्विक हैं जिससे किसी को शारीरिक नुक्सान नहीं पहुंचेगा और आपके दांपत्य जीवन में मधुरता भी लौट आएगी।
4जीवन साथी का सान्निध्य पाने के लिए, एक लाल कागज पर अपना व जीवन साथी का नाम सुनहरे पैन से लिखें। एक लाल रेशमी कपड़े में दो गोमती चक्र, 50 ग्राम पीली सरसों तथा यह कागज मोड़ कर एक पोटली की तरह बांध लें। इस पोटली को कपड़ों वाली अलमारी में कहीं छिपाकर करवा चौथ पर रख दें। अगले करवा पर इसे प्रवाहित कर दें।
4यदि पति या पत्नी का ध्यान कहीं और आकर्षित हो गया हो तो आप जमुनिया नग परपल एमीथीस्ट 10 से 15 रत्ती के मध्य चांदी या सोनेके लॉकेट में बनवा कर, शुद्धि के बाद करवा चौथ पर धारण कर लें।
4यदि आप अपने जीवन साथी से किसी अन्य के कारण उपेक्षित हैं तो करवा चौथ के दिन 5 बेसन के लडडू, आटे के चीनी में गूंधे 5 पेड़े, 5 केले, 250 ग्राम चने की भीगी दाल, किसी ऐसी एक से अधिक गायों को खिलाएं जिनका बछड़ा उनका दूध पीता हो। करवा चौथ पर इस समस्या को दूर करने के लिए अपने ईष्ट से विनय भी करें।
4यदि पति या पत्नी के विवाहेत्तर संबधों की आशंका हो तो एक पीपल के सूखे पत्ते या भोजपत्र पर ‘उसका’ नाम लिखें । किसी थाली में इस पत्र परतीन टिक्कियां कपूर की रख कर जला दें और इस संबंध विच्छेद की प्रार्थना करें।
करवा चौथ की कहानी
ुइस पर्व पर बिना खाए या पिए महिलाएं अपने पति या होने वाले पति की लंबी उम्र की कामना में व्रत रहती हैं करवा चौथ को लेकर कई कहानियां हैं-एक कहानी महारानी वीरवती को लेकर है-सात भाइयों की अकेली बहन थी वीरवती। घर में उसे भाइयों से बहुत प्यार मिलता था। उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत अपने मायके यानी पिता के घर रखा। सुबह से बहन को भूखा देख भाई दुखी हो गएण् उन्होंने पीपल के पेड़ में एक अक्सबनायाए जिससे लगता था कि चंद्रमा उदय हो रहा है।
वीरवती ने उसे चंद्रमा समझा। उसने व्रत तोड़ दिया। जैसे ही वीरावती ने खाने का पहला कौर मुंह में रखा, उसे नौकर से संदेश मिला कि पति की मौत हो गई है। वीरवती रात भर रोती रही, उसके सामने देवी प्रकट हुईं और दुख की वजह पूछी, देवी ने उससे फिर व्रत रखने को कहा। वीरावती ने इस बार पूरी विधि विधान से व्रत रखा। अब उसकी तपस्या से खुश होकर यमराज ने उसके पति को जीवित कर दिया।