- आस्था तथा सुंदरता पर भारी पड़ रहा महंगाई की मार
Aaj Samaj (आज समाज), Karva Chauth, नवांशहर, जगदीश :
सुहागानों के सजने संवरने का त्योहार करवा चौथ को लेकर शहर मैं मेहंदी लगाने वालों के जहां खासी भीड़ देखी जा रही है l सुहागानों के मुताबिक शगुन का सबसे बड़ा गहना मेहंदी है इसके बाद चूड़ी, बिंदी ,मंगलसूत्र का स्थान है l सुहागानों के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी करवा चौथ के व्रत को लेकर बड़ी उत्साहित हैं पुरानी कथा के मुताबिक सुहाग ने अपनी सुहाग की दीर्घायु के लिए व्रत धारण करती है तथा कुंवारी लड़कियां सुंदर ,सुशील तथा उनसे प्रेम करने वाले वर्क की कामना से व्रत धारण करती हैं l इसके साथ ही कुंवारी लड़कियों का सपना होता है कि उनकी शादी एक अच्छे संस्कारी परिवार में हो l
सुंदरता पर भारी पड़ रहा है महंगाई की मार
करवा चौथ का व्रत महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है इस दिन महिलाएं सोलह सिंगार करके अपने रूप को सुंदर बना दिया तथा एक दिन का व्रत रख के पति के प्रति अपनी समर्पण भावना को व्यक्त करती हैं l इसके अलावा में सती की कथा का सभी स्मरण करते हैं चांद निकलने पर वह अपने चांद के दर्शन करके व्रत खोलते हैं l करवा चौथ के लिए मेहंदी का रेट एक हाथ के लिए ₹200 दो हाथों के लिए₹400 हाथों तथा बाजू पर लगाई जाने मेहंदी के लिए ₹900 तक वसूल किया जा रहे हैं इसके अलावा स्पेशल मेहंदी हजार से 1500 रुपए के बीच में लगाई जा रही है l बांदा के पटेल चौक नया बाजार घाटी बाजार आजाद चौक रेलवे रोड माकनपुर रोड के इलाहाबाद बंगा के ब्यूटी पार्लर स्थल पर मेहंदी लगाने का स्पेशल काउंटर लगे हैं l नवदुल्हनों को मेहंदी लगाने के लिए विशेष रूप में डिस्काउंट भी दिया जा रहा हैl
कब निकलेगा चांद
पंडित प्रदीप शर्मा बताते हैं के कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं इस वर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 31 अक्टूबर रात 9:30 से शुरू होकर 1 नवंबर बुधवार को रात्रि 9:16 तक रहेगी 8:16 पर महिलाओं को चांद के दर्शन होंगे l करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को ही रखा जाएगा जिसमें महिलाएं सूर्य उदय होने से पहले प्रभाव के वक्त उठकर सरगी का सेवन करेगी तथा शिव तथा पार्वती का व्रत स्मरण करके अपने व्रत के पूर्णता क्या संकल्प लेगीl उन्होंने कहा की प्रार्थना कथा के मुताबिक सर्वप्रथम माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए इस व्रत का पालन किया थाl इसके बाद महाभारत युग में द्रोपती ने भी अपने पतियों की दीर्घायु के लिए इस व्रत का पालन किया l उन्होंने कहा कि कुंवारी लड़कियां मनचाहा पति हासिल करने के लिए इस व्रत का पालन करती है तथा वह सितारे के उदय होने पर अर्क देकर अपने व्रत का पालन करती है l
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