Udupi district News, (आज समाज), बेंगलुरु: नक्सल निरोधक बल ने कर्नाटक के उडुपी जिले में नक्सल नेता विक्रम गौड़ा को मार गिराया है। अधिकारियों के अनुसार सोमवार रात यह कामयाबी मिली। हेबरी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर महेश टीएम ने विक्रम गौड़ा के मारे जाने की पुष्टि की। उनके मुताबिक जिले के करकला तालुक के इडु गांव में सोमवार देर रात को नक्सल विरोधी बल द्वारा चलाए जा रहे अभियान में कुख्यात नक्सली नेता विक्रम गौड़ा का एनकाउंटर किया गया।
एसआई महेश टीएम ने बताया कि दक्षिण भारत का एक प्रमुख चरमपंथी व माओवादियों के सैन्य अभियानों का नेता विक्रम गौड़ा पिछले डेढ़ दशक से नक्सली था। वह हेबरी के पास कब्बीनाले गांव का रहने वाला था और 2016 में नीलांबुर मुठभेड़ के दौरान वह भाग गया था। पुलिस के अनुसार इडु गांव में सोमवार को हुई मुठभेड़ 21 साल के अंतराल के बाद हुई। 17 नवंबर 2003 को इडु के पास पुलिस के साथ मुठभेड़ में दो महिला नक्सली मारी गई थीं। तब कोप्पा निवासी सुमति (24) और शिवमोगा निवासी उषा (23) मारी गई थीं।
सूत्रों के अनुसार ताजा मुठभेड़ के दौरान तीन अन्य नक्सली भाग निकले हैं। इसके बाद करकला और हेबरी के पास पश्चिमी घाट के इलाकों में तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है। विक्रम गौड़ा की टीम इस साल मार्च में पड़ोसी डीके जिले में थी। पुलिस के अनुसार 17 मार्च, 2024 को दक्षिण कन्नड़ और कोडागु जिलों की सीमा पर संपाजे के पास कूजीमाले में चार हथियारबंद संदिग्ध देखे गए थे। जंगल में जाने से पहले चावल और अन्य किराने का सामान खरीदते समय इन व्यक्तियों ने एक दुकानदार से खुद को वन विभाग के कर्मचारी के रूप में पेश किया था। इसके बाद, संदिग्ध माओवादी सदस्यों को 23 मार्च और 27 मार्च, 2024 को डीके जिले के सुब्रह्मण्य में देखा गया।
ग्रामीणों द्वारा दिए गए विवरण के आधार पर पुलिस को संदेह था कि वे विक्रम गौड़ा, वनजाक्षी, लता और जॉन हैं। ‘कबिनी दलम’ के इन चार सदस्यों को राज्य के खिलाफ अपने अभियान को जारी रखने के लिए कर्नाटक में नए स्थान की खोज करने का काम सौंपा गया था। इस महीने के पहले सप्ताह में, इडु में संदिग्ध माओवादियों के घूमने की सूचना मिली थी और नक्सल निरोधक बल ने उडुपी जिले के करकला तालुक के गांव और आसपास के स्थानों में तलाशी अभियान तेज कर दिया था।
बता दें कर्नाटक में 2001 से साकेत राजन नक्सलियों का नेतृत्व कर रहा था और 6 फरवरी, 2005 को चिकमगलुरु जिले के कोप्पा तालुक के पास मेनासिनहाद्या नामक स्थान पर पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया था। बाद में नेलागुली पद्मनाभ ने नेतृत्व संभाला। बरकाना के पास पुलिस की गोलीबारी में उसने अपना पैर खो दिया। 2006 से 2011 तक, बी जी कृष्णमूर्ति ने राज्य में नक्सलियों का नेतृत्व किया। जब उनकी पत्नी, नक्सली होसागडे प्रभु की तबीयत खराब हुई, तो उनका ध्यान उनके इलाज पर चला गया। बाद में, विक्रम गौड़ा ने 2011 के दौरान राज्य में नेतृत्व संभाला।
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