MUDA Land Scam, (आज समाज), बेंगलुरु: मैसूर अर्बन डेवल्पमेंट अथॉरिटी (MUDA) द्वारा साइट आवंटन में कथित गड़बड़ी को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता सिद्धारमैया पर जल्द शिकंजा कसने वाला है। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मामले में खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। प्रदीप, एंटी-करप्शन एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की ओर से दायर 3 याचिकाओं को देखते हुए राज्यपाल ने यह निर्णय लिया है।
सीएम पर इस धारा के तहत चलेगा केस
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुकदमा चलेगा। वकील और एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम द्वारा दायर याचिका के आधार पर राज्यपाल गहलोत ने 26 जुलाई को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था, जिसमें सीएम को उन पर लगाए पर आरोपों पर जवाब देने के साथ ही यह बताने के निर्देश दिए गए थे कि उनके खिलाफ केस चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए?
राज्य सरकार ने राज्यपाल पर लगाया यह आरोप
मुख्यमंत्री ने कारण बताओ नेटिस का जवाब तो दिया नहीं, लेकिन कर्नाटक सरकार ने एक अगस्त को राज्यपाल से सीएम को जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह जरूरी दे दी। सरकार ने राज्यपाल पर संवैधानिक कार्यालय के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया था। टीजे अब्राहम की याचिका में सिद्धारमैया पर MUDA में कथित गड़बड़ी के लिए मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। उन्होंने अपनी याचिका में राज्य के खजाने को करोड़ों रुपए नुकसान होने का आरोप लगाया था।
अब्राहम की शिकायत में सीएम की पत्नी व अन्य पर आरोप
अब्राहम ने जुलाई में लोकायुक्त पुलिस के पास इस घोटाले के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। इसमें आरोप लगाया था कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में 14 अरटर्नेट जमीनों का आवंटन अवैध था, जिससे सरकारी खजाने को 45 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। शिकायत में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, बेटे एस यतींद्र और MUDA के एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम शामिल है। अन्य एक्टिविस्ट स्नेहमयी कृष्णा ने भी कथित भूमि घोटाले में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और MUDA तथा प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप लगाया है।
जानिए क्या कहते हैं मुख्यमंत्री
सिद्धारमैया ने दावा किया था कि जिस जमीन के लिए उनकी पत्नी को मुआवजा मिला था, वह उनके भाई मल्लिकार्जुन ने 1998 में गिफ्ट में दी थी, लेकिन कार्यकर्ता कृष्णा ने आरोप लगाया कि मल्लिकार्जुन ने 2004 में इसे अवैध रूप से खरीदा था और सरकारी और राजस्व अधिकारियों की मदद से जाली कागजातों का उपयोग किया था।