Aaj Samaj (आज समाज), Karnataka High Court Judgement, बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पति व पत्नी के बीच शादी के बाद शारीरिक संबंध न बनाने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि शादी के बाद एक पति द्वारा पत्नी के साथ शारीरिक संबंध न बनाना हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत गलत या निर्दयता हो सकता है लेकिन आईपीसी की धारा 498 के तहत इसे अपराध अथवा क्रूरता नहीं माना जा सकता।
- महिला की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
आध्यात्मिक वीडियो देखता था पति : महिला
दरअसल एक महिला ने अपनी याचिका में पति पर आरोप लगाया था कि आध्यात्मिक वीडियो देखने के कारण पति ने शादी के बाद उसके बाद कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाया और इस तरह यह क्रूरता की श्रेणी में आता है। महिला के इस आरोप के खिलाफ पति व उसके माता-पिता हाईकोर्ट पहुंचे थे। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का अपनी पत्नी के साथ कभी शारीरिक संबंध बनाने का इरादा नहीं था, जो हिंदू मैरिज एक्ट के तहत निर्दयता है क्योंकि यह हिंदू विवाद अधिनियम की धारा 12(1)(ए) के तहत विवाह को पूर्ण नहीं करता है लेकिन यह आईपीसी की धारा 498ए के तहत अपराध नहीं है। दंपति की शादी दिसंबर 2019 में हुई थी।
केवल 28 दिन ही ससुराल में रही पत्नी
शादी के बाद पत्नी केवल 28 दिन ही ससुराल में रही। फरवरी 2020 में महिला ने आईपीसी की धारा 498ए और दहेज कानून के तहत मामला दर्ज कराया। महिला ने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12(1)(ए) के तहत फैमिली कोर्ट में भी मामला दर्ज कराया। इसके बाद दोनों की शादी को नवंबर-2022 में खत्म कर दिया गया। हालांकि महिला ने पति के खिलाफ आपराधिक मामला जारी रखा।
हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ आपराधिक मामले को खारिज करते हुए यह भी कहा कि उसके खिलाफ आपराधिक कानून के तहत कार्रवाई कानून का गलत इस्तेमाल मानी जाएगी। कोर्ट ने शिकायतकर्ता पत्नी के आरोप पर यह भी कहा कि क्रूरता शब्द का उपयोग जानबूझ कर किया गया जबरदस्ती आचरण है। यह हिंसा उत्पीड़न से संबंधित है। आईपीसी की धारा 494(ए) ही पति या रिश्तेदार को दंडित का प्रावधान करते हैं, जिससे महिला के साथ कोई क्रूरता की गई हो।
ब्रह्माकुमारी का फॉलोवर है पति
दरअसल महिला का पति ब्रह्माकुमारी का अनुयायी है और इसी वजह से उसका कभी भी अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का इरादा नहीं किया। पत्नी ने अपने पति के खिलाफ दहेज रोकथाम अधिनियम 1961 की धारा 4 और आईपीसी की धारा 498ए के तहत दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि पति हमेशा बहन शिवानी ब्रह्माकुमारी के वीडियो देखता रहा है और उसे इन वीडियो से काफी प्रेरणा मिलती है। पति ने अपनी याचिका में कहा है कि वह अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने में विश्वास नहीं रखता है और शरीर के बजाय केवल आत्मा के आत्मा से मिलन में उसका विश्वास है।
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