Karnataka High Court : प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी राजद्रोह नहीं, कर्नाटक हाईकोर्ट ने रद्द की एफआईआर*

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कर्नाटक हाईकोर्ट
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Aaj Samaj (आज समाज), Karnataka High Court , नई दिल्ली : 
6 *अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का महंत यति निरसिंहानंद को नोटिस*
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद से पिछले साल शीर्ष अदालत के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए दायर अवमानना याचिका पर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने पुजारी को नोटिस जारी किया और कार्यकर्ता शची नेल्ली द्वारा दायर याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने पीठ को सूचित किया कि उन्हें कथित अवमाननाकर्ता नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना याचिका के लिए तत्कालीन अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की सहमति मिल गई है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 अक्टूबर को याचिकाकर्ता से नरसिंहानंद के बयानों वाले वीडियो की सामग्री का ट्रांस्क्रिप्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
22 जनवरी, 2022 को, वेणुगोपाल ने पुजारी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए नेल्ली द्वारा किए गए अनुरोध पर अपनी सहमति दी थी।
न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, किसी निजी व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले अटॉर्नी जनरल की सहमति आवश्यक है।
नेल्ली ने अपनी याचिका में एक यूट्यूब चैनल को दिए गए साक्षात्कार में नरसिंहानंद के कथित अपमानजनक बयान का जिक्र किया, जो 14 जनवरी, 2022 को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
ये बयान शीर्ष अदालत में लंबित हरिद्वार अभद्र भाषा मामले के संदर्भ पर एकस साक्षात्कार में दिए गए थे। नेल्ली की याचिका में कहा गया, “यह बयान स्पष्ट रूप से इस अदालत के प्रति अवमाननापूर्ण है।
7 *केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत, गोविंद सिंह की याचिका खारिज*
सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए राहत भरी खबर है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट में केंद्रीय मंत्री सिधिया के राज्यसभा चुनाव के नामांकन पत्र में जानकारी छिपाने का आरोप लगाते हुए याचिका डाली गई थी।
जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पर लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने का आरोप लगाते हुए उनके नामांकन को चुनौती दी गई थी। हालांकि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से खारिज कर दी गई थी।
यह याचिका कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने दायर की थी। उन्होंने सिंधिया पर आरोप लगाया था कि सिंधिया ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाकर राज्यसभा चुनाव लड़ा, इसलिए उनका निर्वाचन निरस्त कर नए सिरे से चुनाव कराया जाना चाहिए। याचिका में इस बात पर जोर दिया गया था कि सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के नियमों का उल्लंघन किया है। नियमानुसार नामांकन पत्र में आपराधिक मामलों की भी जानकारी दी जानी चाहिए थी लेकिन छिपा ली गई। इसलिए निर्वाचन शून्य कर दिया जाना चाहिए।
चुनाव याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2018 में भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी। जिसे सिंधिया ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया था। अब वह कांग्रेस में नहीं हैं और भाजपा से राज्यसभा सदस्य चुने गए हैं। राज्यसभा के लिए प्रस्तुत अपने नामांकन पत्र में सिंधिया ने उक्त मामले की जानकारी न पेश कर उसे छुपाया। यह निर्वाचन आयोग के नियमों का उल्लंघन है। सूबे में बीते राज्यसभा चुनाव में भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट हासिल हुई थी। भाजपा की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेरसिंह सोलंकी जबकि कांग्रेस से दिग्विजय सिंह विजयी घोषित किए गए थे।
8 *प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी राजद्रोह नहीं, कर्नाटक हाईकोर्ट ने रद्द की एफआईआर*
कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी के एक मामले में स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ देशद्रोह का केस रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा है कि पीएम के खिलाफ कहे गए शब्द अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना थे, लेकिन यह देशद्रोह नहीं है। हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत चंदनगौदर ने बीदर के शाहीन स्कूल मैनेजमेंट के अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल इनामदार और मोहम्मद महताब के खिलाफ न्यू टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया।
जस्टिस हेमंत चंदनगौदर ने फैसले की सुनवाई करते हुए कहा- नाटक के दौरान दिए गए बयान कि प्रधानमंत्री को जूते से मारा जाना चाहिए, यह न केवल अपमानजनक था, बल्कि गैर-जिम्मेदाराना भी था। उस स्थिति में IPC की धारा 124-A (देशद्रोह से संबंधित) लागू की जा सकती है जब किसी शख्स के शब्दों या अभिव्यक्ति में सार्वजनिक अव्यवस्था, कानून और व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा करने की हानिकारक प्रवृत्ति या इरादा हो।
हाईकोर्ट का कहना है कि नागरिक को सरकार और उसके पदाधिकारियों की तरफ से उठाए गए कदमों की आलोचना या टिप्पणी करने का अधिकार है, लेकिन वो सरकार के खिलाफ या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के इरादे से लोगों को हिंसा के लिए उकसाता नहीं हो।
दरअसल, कर्नाटक में बीदर जिले के शाहीन स्कूल में साल 2020 में सीएए और एनआरसी को लेकर बच्चों ने नाटक किया था। इसके बाद आरोप लगा कि स्कूल देश के खिलाफ काम करके नकारात्मक बातें फैला रहा है। वहीं इस दावे को शाहीन ग्रुप ने खारिज करते हुए कहा था कि पुलिस हर रोज स्कूल आती थी और बच्चों के साथ देशद्रोही की तरह व्यवहार करती है।
साथ ही यह आरोप भी लगाया गया था कि सीएए कानून के खिलाफ कक्षा 4 के छात्रों के मंच पर किए गया नाटक सांप्रदायिक प्रकृति का था। इसमें दावा किया गया था कि मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगे थे। इसको लेकर निलेश राकेश्याला ने बीदर के पुलिस स्टेशन में IPC के सेक्शन 504, 505 (2), 124 (A) और 153 (A) के तहत केस दर्ज कराया था।
9 *राजस्थान की एक अदालत ने नाबालिग से बलात्कार और गर्भपात के दोषियों को 20 साल की सजा सुनाई*
राजस्थान के पाली जिले की एक अदालत ने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म कर उसका गर्भ गिराने के मामले में सात आरोपियों को दोषी करार देते हुए 20 साल के लिए जेल भेज दिया है।
विशेष पोक्सो अदालत के न्यायाधीश सचिन गुप्ता ने मुख्य आरोपी 42 वर्षीय डुंगाराम और पीड़िता की 21 वर्षीय दोस्त रोशना को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। लड़की का गर्भ गिराने वाले डॉक्टर समेत चार अन्य को पांच साल की सजा सुनाई गई है। डूंगाराम की पत्नी नटकी देवी को एक साल जेल की सजा सुनाई गई है।
विशेष लोक अभियोजक संदीप नेहरा ने कहा कि डूंगाराम ने अपनी सहेली रोशना की मदद से पीड़िता के साथ बार-बार बलात्कार किया। डूंगाराम ने पहले पीड़िता का भाई होने का नाटक किया। नेहरा ने कहा, फिर, रोशना की मदद से, उसने 2020 के अंत से कई बार लड़की के साथ बलात्कार किया।
सरकारी वकील ने कहा कि पीड़िता ने रोशना की चाची सीता देवी के साथ अपनी आपबीती साझा की, लेकिन डूंगाराम ने पैसे के बदले में उसे चुप करा दिया। इस दौरान पीड़िता गर्भवती हो गई। जब उसके परिवार को इसके बारे में पता चला, तो आरोपी ने उसके पिता के साथ मामला सुलझाने की पेशकश की। उसने लड़की की गर्भावस्था को समाप्त करने का वादा किया और परिवार को कुछ पैसे भी दिए। वे पीड़िता को पालनपुर के एक डॉक्टर चिराग परमार के पास ले गए, जिन्होंने गर्भपात कर दिया। नेहरा ने कहा, आरोपी को परमार से शंकरलाल नामक व्यक्ति ने मिलवाया था।
हालाँकि, डुंगाराम अपने वादे से मुकर गया और पीड़िता के पिता ने मई 2021 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आठ लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और आरोप पत्र दायर किया।
डॉक्टर चिराग  परमार, शंकरलाल, रोशना के पिता मांगीलाल और सीता देवी को पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है। एक अन्य आरोपी राणाराम अभी भी फरार है।
10 *राउज एवेन्यू कोर्ट ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ चार्जशीट पर लिया संज्ञान, 18 जुलाई को किया तलब*
महिला पहलवानों द्वारा डब्लूएफआई के पूर्व चैयरमैन बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के मामले में दाखिल चार्जशीट पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। कोर्ट ने चार्जशीट के आधार पर आरोपी बृजभूषण सिंह  18 जुलाई को तलब किया है।
पुलिस ने चार्जशीट में बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौनशोषण से जुड़ी आईपीसी की धारा 354, 354-A और 354 D और सह आरोपी विनोद तोमर के ख़िलाफ़ आइपीसी की धारा 109, 354, 354 (A), 506 के तहत आरोप लगाए हैं।
महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली पुलिस ने 15 जून को भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के निवर्तमान अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ राउज एवेन्यू कोर्ट में 1000 से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। बृजभूषण के खिलाफ मामले में दो एफआईआर दर्ज है। इनमें एक पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज है।
दिल्ली पुलिस नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह को क्लीन चिट दे चुकी है। दिल्ली पुलिस द्वारा बृजभूषण के खिलाफ 7 पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों में दो अलग-अलग अदालतों में चार्जशीट दाखिल की थी। एक चार्जशीट 6 बालिग महिला पहलवानों की शिकायत पर दर्ज केस में रॉउज एवन्यू कोर्ट में दाखिल की  थी। जबकि दूसरी चार्जशीट पटियाला कोर्ट में नाबालिग की शिकायत पर दर्ज केस में दाखिल की गई थी।