प्रवीण वालिया, करनाल :
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल के प्रांगण में एमबीबीएस के स्वयंसेवक कॉलेज छात्रों द्वारा सेवा भारती के नेतृत्व में पौधारोपण किया गया। पौधारोपण के इस कार्यक्रम में करीबन 45 एमबीबीएस छात्रों व अन्य स्वयं सेवकों ने भाग लिया। इस पौधारोपण के कार्यक्रम में संयोजक छात्र रोहित ने बताया कि इस मौसम में पौधारोपण करने का बहुत लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में पौधारोपण किया जाता है परंतु भारत में पौधारोपण के साथ-साथ पौधे की पूजा भी की जाती है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण छात्रों द्वारा व अन्य लोगों द्वारा किया जाना चाहिए इस पौधारोपण के कार्यक्रम में 20 पौधे रोपित किए गए। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ समन्वय न करने का परिणाम आज पूरी दुनिया असहाय बनकर देख रही है। चौतरफा हाहाकार मचा है। अब न चेते तो बहुत देर हो जाएगी। अधिक से अधिक पौधरोपण कर धरती को हरा भरा किया जाए। बीते कुछ वर्षों में पेड़ों की हुई अंधाधुंध कटाई के चलते ही पर्यावरण में अंसतुलन बढ़ गया है। जिसका ही नतीजा है कि देश में कहीं बारिश इतना अधिक होती है कि बाढ़ से तबाही मच जाती है तो वहीं दूसरी ओर अल्प वर्षा के कारण सूखा पड़ जाता है। अगर इस समस्या से निपटना है तो सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है अधिक से अधिक पौधे लगाएं।
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल के प्रांगण में एमबीबीएस के स्वयंसेवक कॉलेज छात्रों द्वारा सेवा भारती के नेतृत्व में पौधारोपण किया गया। पौधारोपण के इस कार्यक्रम में करीबन 45 एमबीबीएस छात्रों व अन्य स्वयं सेवकों ने भाग लिया। इस पौधारोपण के कार्यक्रम में संयोजक छात्र रोहित ने बताया कि इस मौसम में पौधारोपण करने का बहुत लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में पौधारोपण किया जाता है परंतु भारत में पौधारोपण के साथ-साथ पौधे की पूजा भी की जाती है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण छात्रों द्वारा व अन्य लोगों द्वारा किया जाना चाहिए इस पौधारोपण के कार्यक्रम में 20 पौधे रोपित किए गए। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ समन्वय न करने का परिणाम आज पूरी दुनिया असहाय बनकर देख रही है। चौतरफा हाहाकार मचा है। अब न चेते तो बहुत देर हो जाएगी। अधिक से अधिक पौधरोपण कर धरती को हरा भरा किया जाए। बीते कुछ वर्षों में पेड़ों की हुई अंधाधुंध कटाई के चलते ही पर्यावरण में अंसतुलन बढ़ गया है। जिसका ही नतीजा है कि देश में कहीं बारिश इतना अधिक होती है कि बाढ़ से तबाही मच जाती है तो वहीं दूसरी ओर अल्प वर्षा के कारण सूखा पड़ जाता है। अगर इस समस्या से निपटना है तो सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है अधिक से अधिक पौधे लगाएं।