प्रवीण वालिया, करनाल:
कोई भी रासायनिक खाद विक्रेता किसानों को यूरिया के साथ कोई भी कीटनाशक दवाई खरीदने के लिए विवश नहीं कर सकता। ऐसा करने पर उसका लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है। करनाल जिले में चालू सीजन में इस तरह की कोई लिखित शिकायत कृषि विभाग के पास नहीं आयी है। पिछले सीजन में ऐसी शिकायतें मिलने पर तीन खाद विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित किए गए थे। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डा. वीरेंद्र सिंह चौहान ने जारी एक बयान में कहा कि कोई दुकानदार अगर इस समय इस तरह का दबाव ग्राहकों पर बनाता है या जबरदस्ती खाद के साथ दवाएं बेच चुका है तो उसकी लिखित शिकायत उप कृषि निदेशक कार्यालय में तो तत्काल की जाए। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार खाद के साथ दवाओं के विक्रेता किसी भी अन्य उत्पाद को जबरन टैग कर के बिक्री नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने वालों को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
मगर ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई लिखित शिकायत मिलने पर ही करना संभव है। कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग से प्राप्त आंकड़ों के हवाले से उन्होंने बताया कि जिले में पिछले साल भी इस सीजन में 82, हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद की आवश्यकता किसानों को अक्तूबर तक पड़ी थी। इस बार अब तक 78, हजार मीट्रिक टन यूरिया जिले को प्राप्त हो चुका है। डाक्टर वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि सहकारी क्षेत्र की कम्पनियों इफ्को और कृभको ने करनाल जिले में यूरिया की जो आपूर्ति की है वह सारा खाद सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया गया है। इसलिए इन कंपनियों के खाद के साथ किसी दवाई के जोड़े जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। निजी कम्पनियों पर पूर्व में भी खाद और दवा को एक साथ जोडकर भेजने के आरोप लगते रहे हैं। मगर जब भी इस आशय की कोई शिकायत रिकॉर्ड पर आयी है और सरकारी अमले ने उसमें हस्तक्षेप किया है। डा. चौहान ने कहा कि उन्होंने जिले के उप कृषि निदेशक डा. आदित्य डबास से इस संबंध में पड़ताल करने पर पाया है कि अब तक कोई लिखित शिकायत विभाग को प्राप्त नहीं हुई है। साथ ही उन्होंने कहा कि जिले में यूरिया की कमी नहीं है और फिलहाल इसकी माँग भी लगभग समाप्त है। उन्होंने बताया कि विभागीय जानकारी के अनुसार 15 अगस्त को यूरिया का एक और रैक करनाल जिले को प्राप्त हो जाएगा ।