प्रवीण वालिया, करनाल:
करनाल के 17 वर्षीय परमवीर सिंह ने आज देश भर के 247 बच्चों के साथ मिलकर नशाखोरी व बाल शोषण के विरुद्ध एक नया विश्व रिकोर्ड बनाकर करनाल का नाम रोशन किया। समाज में औरतों व बच्चों को सबसे ज़्यादा प्रभावित कर रही इन सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध परमवीर सिंह की पहल पर बच्चों ने एक अनूठा अभियान शुरू किया हुआ है। स्पीक अप फ्रैंड्स अभियान के तहत आज देश के अलग अलग राज्यों के 12-18 वर्ष की आयु के इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बच्चों द्वारा नशे व बाल शोषण के खिलाफ सबसे लम्बे वैबिनार का रिकोर्ड बनाया। जिसे वल्र्ड बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड लंदन में शामिल किया जाएगा। वल्र्ड बुक आफ रिकार्ड द्वारा इसे पहले ही आधिकारित विश्व रिकोर्ड प्रयास के रूप में मान्यता दी जा चुकी है व अब इसके सबूत भेजने के बाद इसका प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। अंग्रेज़ो भारत छोड़ो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को यह नारा महात्मा गांधी ने दिया। जिसका उद्देश्य भारत से ब्रिटिश राज को समाप्त करना था। करनाल निवासी सेंट थरेसा कॉन्वेंट स्कूल के विद्यार्थी व निफ़ा अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नु के पुत्र परमवीर सिंह की पहल पर बच्चों ने इस दिन को एक अनूठे ढंग से मनाने का निश्चय किया औ नशाखोरी व बाल शोषण भारत छोड़ो के नारे के साथ बच्चों द्वारा विश्व के सबसे लम्बे ऑनलाइन वेबिनार की शुरुआत की।
परमवीर द्वारा शुरू किए गए अभियान स्पीक अप फ्रैंड्स के अंतर्गत 8 अगस्त को सुबह 6:00 बजे अंग्रेजा भारत छोड़ो दिवस की महत्ता पर चर्चा के साथ इस वेबिनार की शुरुआत की गई जो निरंतर 9 अगस्त सुबह 4 बजे तक चला ओर कुल 22 घंटे के समय के साथ एक नया विश्व रिकोर्ड बन गया। इस पूरे प्रयास में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलेंगना, मिज़ोरम, नागालैंड, सिक्किम, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, पंजाब व पश्चिमी बंगाल के कुल 247 बच्चों ने भाग लिया ओर नशा खोरी व बाल शोषण के विरुद्ध खुल कर अपने विचार व्यक्त किए। 22 घंटे तक लगातार चले इस लाइव वेबिनार का परमवीर सिंह पन्नु ने संयोजन किया व पानीपत निवासी वासु जैन व कोलकाता की प्रत्युषा ने संयोजन में सहयोग किया। एक सफल विश्व रिकार्ड प्रयास के आयोजन से उत्साहित परमवीर सिंह पन्नु ने कहा कि स्पीक अप फ्रैड्स अभियान का उद्देश्य बच्चों को नशे व बाल शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करना है। क्योंकि इन दोनों बुराइयों की वजह से सबसे ज़्यादा शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा का शिकार बच्चों को ही होना पड़ता है। अगर आज के बच्चे इन के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक होंगे तो जहां वे नशे से दूर रहेंगे वहीं बाल शोषण पर चुप रहने की बजाय उसका खुलकर विरोध करेंगे। बच्चों का यह कदम धीरे धीरे समाज की मानसिकता में भी बदलाव लाएगा। परमवीर ने बताया कि इस अभियान के साथ अब तक पूरे देश से लगभग 8000 बच्चे जुड़ चुके हैं औ धीरे धीरे यह अभियान जोर पकड़ रहा है।