प्रवीण वालिया, करनाल:
हरियाणा के तालाबों से बदबू और गंदे पानी का फैलाव अब जल्द ही दूर होगा। तालाबों के पुनर्जीवन और पुनरुद्धार को लेकर हरियाणा तालाब और अपशिष्ट जलप्रबंधन प्राधिकरण पूरी तरह कमर कस चुका है । अब एक – एक तालाब का डिजिटल ब्यौरा पीडीएमएस पर उपलब्ध है। 2022 तक 442 गांवों के 1493 तालाबों को प्राकृतिक रूप से पुनस्र्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। कोरोना काल में भले ही गति धीमी पड़ी हो किंतु शीघ्र ही यह लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष व प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान की हरियाणा तालाब प्राधिकरण के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रभाकर वर्मा से रेडियो ग्रामोदय के जय हो कार्यक्रम के अंतर्गत हुई वार्ता में ये तथ्य सामने आए। इस से पूर्व प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और ग्रन्थ अकादमी उपाध्यक्ष ने पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के साथ जिले के विभिन्न निर्माणाधीन तालाबों पर चल रहे विकास कार्यों का मौके पर जा कर निरीक्षण किया व काम की प्रगति की समीक्षा की।
प्राधिकरण के गठन व उद्देश्यों के बारे में इंजीनियर प्रभाकर कुमार वर्मा ने बताया कि तालाबों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से अक्टूबर 2018 में जब प्राधिकरण का गठन हुआ तो हरियाणा में जोहड़ों व तालाबों की स्थिति को लेकर कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। प्राधिकरण ने सर्वप्रथम संबंधित विभागों के जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे कर्मचारियों व अधिकारियों की मदद और तकनीक का सहारा लेते हुए पोंड डाटा मैनेजमेंट सिस्टम (पीडीएमएस) तैयार किया। इस पीडीएमएम में हर तालाब को एक यूनिक आई डी दी गई और क्षेत्रफल, स्थान, अक्षांश व देशांतर आदि विभिन्न 21 तथ्यों के आधार पर प्रत्येक तालाब की सूचना दर्ज की गई। इसके पश्चात सुनिश्चित किया गया कि तालाब को पुनर्जीवित करने की योजना मात्र सौंदर्यीकरण तक सीमित न रह जाए बल्कि यह कार्य प्राकृतिक रूप से तालाब को वर्षा के जल के संचयन, भूमि के जल स्तर में सुधार, सिंचाई, गांव के पर्यावरण संतुलन में सहायक और विभिन्न जलीय जीवो के एक सुंदर घर के रूप में विकसित कर सके।
तालाबों की वर्तमान स्थिति के संबंध से जुड़े अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान के प्रश्न के उत्तर में तालाब प्राधिकरण के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रभाकर वर्मा ने कहा कि इस समय हरियाणा में कुल 18438 तालाब हैं जिनमें 17650 ग्रामीण अंचल में और 788 शहरी क्षेत्र में आते हैं। प्रदूषणग्रस्त तालाबों की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्र के कुल 11452 तालाब प्रदूषित हैं जिनमें से 1839 में ओवरफ्लो की समस्या भी है।
डॉ.वीरेंद्र सिंह चौहान द्वारा तालाबों की दशा सुधारने की योजना के बारे में पूछने पर प्रभाकर वर्मा ने कहा कि पहले चरण में प्रदेश में 18 तालाबों का चयन आदर्श तालाब के रूप में विकसित करने के लिए किया गया है जिसमें करनाल के पाढा, सग्गा, काछवा और गोंदर के विभिन्न जोहड़ व तालाब शामिल हैं। वर्मा ने कहा कि प्रदेश में 117 महाग्राम है। हर महाग्राम का न्यूनतम एक तालाब पहले पुनर्जीवित करना है और फिर बाकी। सभी तालाब, जिनका कोई ऐतिहासिक महत्व है वह भी प्राथमिकता सूची में हैं। इसके अतिरिक्त हाईवे के दोनों ओर स्थित 200 तालाबों पर भी तेजी से काम चल रहा है, 18 आदर्श तालाब में से 9 तालाबों का काम लगभग पूरा हो चुका है। यहां तालाब प्राधिकरण के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रभाकर वर्मा ने पाढा, काछवा, सग्गा (करनाल), झनौड़ा (झज्जर), तेपला (अम्बाला) व धनौली के तालाबों का विशेष जिक्र किया जो आदर्श तालाब के रूप में विकसित हो चुके हैं। कुल मिलाकर तालाब प्राधिकरण ने 442 गांवों के 1493 तालाबों के लिए 2022 तक का लक्ष्य रखा है।