जैव विविधता के ताने-बाने को ठीक करने की अनूठी पहल

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Unique Initiative to Restore Biodiversity
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प्रवीण वालिया, Karnal News:
प्रदेश के कुछ जिलों में जलवायु परिवर्तन का असर शुरू हो गया है। इनमें करनाल का नाम भी शामिल है। इसके अलावा पंचकूला, फरीदाबाद, पलवल और गुडगांव बताए गए हैं। इसे ठीक करने के लिए करनाल में वन विभाग की ओर से अनूठी पहल की है।

40 एकड़ क्षेत्र में लहलहाएंगे पेड़

इसमें सेक्टर 4 से आगे मिट्टी से अटी पुरानी बादशाही नहर पर 40 प्रजातियों के चौड़ी पत्ती वाले पौधे लगाए गए हैं। वन विभाग इनकी देखरेख भी करेगा और अगले कुछ वर्षों में करीब 40 एकड़ का यह क्षेत्र हरे-भरे वृक्षों से गुलजार होता दिखाई देगा। खास बात यह है कि इसे ऑक्सी वन का नाम दिया गया है यानि चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष अन्य पेड़-पौधों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन छोड़ते हैं। शुक्रवार को इस जगह पर हरियाली महोत्सव आयोजित करके उपरोक्त प्रजाति के 600 से अधिक पौधे रोपित किए गए।

डीसी ने वट का पौधा किया रोपित

सबसे पहले डीसी अनीश यादव ने वट का एक पौधा लगाया और उसके बाद वन विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य संरक्षक एमएल राजवंशी तथा मोंट फोर्ट स्कूल से आए बच्चों ने भी एक-एक पौधा लगाया। बतौर डीसी पिछले कुछ सालों के हालात पर नजर डालें तो शहरों के साथ लगती जमीन पर पेड़ों की संख्या कम हुई और कंक्रीट के जंगल खड़े कर दिए गए। परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की भी कमी हुई। इसका असर बीते कोविड के दो वर्षों में साफ दिखाई दिया। दूसरी ओर क्लाईमेट चेंज से जैव विविधता का ताना-बाना ही बिगड़ गया।

क्या है जैव विविधता

डीसी ने बताया कि जैव विविधता एक ऐसा तंत्र है, जिसमें मानव के साथ-साथ धरती पर पेड़-पौधे, जीव-जंतु और वनस्पति एक संतुलित मात्रा में होने चाहिए। इनमें से किसी भी चीज के कम होने पर असंतुलन हो जाता है और जैव विविधता का ताना-बाना बिगड़ जाता है। यह एक कड़वा सच अब सबके सामने है, लेकिन इस असंतुलन को ठीक करना होगा, जिससे कि अगली पीढ़ी के जीवन को सुरक्षित बनाया जा सके। इसके लिए बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाने की आवश्यकता हो गई है।

डीसी बोले- पौधे लगाने से ज्यादा महत्व संभालना

डीसी ने बताया कि पौधे लगाना आसान है, लेकिन महत्व इस बात का है कि लगाए गए पौधे जीवित रहें और संरक्षण पाकर वे पेड़ बन सकें। हर साल वन विभाग लाखों की संख्या में पौधे लगाने का लक्ष्य रखता है लेकिन उनमें से कितने जीवित रहते हैं, इस बात का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विभाग हो या व्यक्तिगत सबकी जिम्मेदारी बनती है कि वे लगाए गए पौधे की एक बच्चे की तरह देखभाल करें। समय पर उन्हें पानी मिले, जानवरों से बचाने के लिए बाड़ लगाई जाए या ईंटों अथवा लोहे की जाली से उसे सुरक्षित रखा जाए।

पुरानी बादशाही नहर की 82 एकड़ जमीन

उन्होंने कहा कि वन विभाग को चालू मानसून सीजन में पौधे लगाने के साथ-साथ इस बात पर भी ध्यान दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। यह भी कहा गया है कि जो पौधे लगाए जाएंगे, उनमें से कितने जीवित हैं, उनकी हर मास रिपोर्ट भी देनी होगी। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुरानी बादशाही नहर की करनाल शहर में 82 एकड़ जगह है और यह 60 से 80 मीटर चौड़ी है। अभी 40 एकड़ में पौधारोपण किया जाएगा और उसके बाद शेष जमीन में भी पौधे लगाकर उसे वन के अधीन किया जाएगा।

8-9 तरह की वाटिकाएं बनेंगी

ऐसे वन में 8-9 तरह की वाटिकाएं बनाई जाएंगी, जिनमें कृष्ण वाटिका, ऋषि वाटिका, तपोवन, मनोहर वन, चितवन और नीर वन विकसित किए जाएंगे। प्रजातियों में जंगल जलेबी, बांस, लहसूड़ा, बरगद, कचनार, कदम, अर्जुन, शहतूत, सागवान, बहेड़ा, बेल पत्थर, पिलखन, तूण, जामुन, शीशम, इमली, जमुआ और कटहल जैसे पौधे लगाए जाएंगे। नीर वन में देश के अंदर पाई जाने वाली कमल की 24 प्रजातियां पानी में लगाई जाएंगी।

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