प्रवीण वालिया, Karnal News:
नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में लर्निंग लेवल यानी सीखने का स्तर बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसी मकसद से अगले मास जुलाई में पहली से 12वीं तक के विद्यार्थियों के मूल्यांकन टेस्ट लिए जाएंगे। कुछ अंतराल के बाद संभवत: जुलाई के अंत में टेस्ट के आधार पर विद्यार्थी का मूल्याकंन किया जाएगा।
स्कूलों में लगेगी अतिरिक्त क्लास
मंगलवार को डीसी अनीश यादव की अध्यक्षता में मिनि सचिवालय के सभागार में एक बैठक का आयोजन हुआ। इसमें जिला शिक्षा अधिकारी राजपाल, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा, सभी खंड शिक्षा अधिकारी, असिस्टेंट ब्लॉक रिसोर्स कॉर्डिनेटर यानि एबीआरसी तथा ब्लॉक रिसोर्स पर्सन यानि बीआरपी शामिल हुए। टैस्ट से बच्चों की बेसलाईन बनाने के लिए तीन स्तर बनाए गए हैं। एल-1 में 50 से 60 प्रतिशत अंक, एल-2 में 34 से 50 प्रतिशत तथा एल-3 में 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले बच्चों का मूल्यांकन करके उनकी पढ़ाई पर जोर दिया जाएगा, इसके लिए प्रात: 1 घंटे की अतिरिक्त क्लास ली जाएगी, जो रेगुलर क्लास से अलग होगी।
उपायुक्त ने दिए ये निर्देश
मीटिंग में जिला शिक्षा अधिकारी व अन्य शिक्षाविदों के साथ इस विषय पर चर्चा करते हुए उपायुक्त ने निर्देश दिए कि हर बच्चे का लर्निंग लेवल कितना है, सम्बंधित टीचर के हवाले से विद्यालयवार इसकी जानकारी होनी चाहिएं। उसी के आधार पर लर्निंग से कितने बच्चों के स्तर को ईम्प्रूव किया गया है, उसका विश्लेषण कर एक डाटा तैयार करें और उसी आधार पर अगले वर्ष के लिए स्ट्रैटेजी पर फोकस करें। उन्होंने मीटिंग में मौजूद डीईओ, डीईईओ, एबीआरसी तथा बीआरपी से कहा कि स्कूलों में औचक निरीक्षण कर बच्चों की पढ़ाई और ज्ञान का लेवल चैक करें। इस तरह के निरीक्षण की संख्या बढ़ाई जाएं। प्रत्येक अधिकारी महीने में कम से कम 15 बार विजिट करें।
अध्यापक निभाएं जिम्मेवारी
उपायुक्त ने कहा कि अध्यापक और शिष्य यानि विद्यार्थी का प्राचीन काल से अटूट रिश्ता रहा है। अध्यापक ज्ञान देता है और शिष्य उसे ग्रहण करता है। सभी अध्यापकों को इस परम्परा का निर्वहन करना चाहिए और बच्चों में ज्ञान की योग्यता बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलो में साईंस की प्रयोगशालाएं हैं, वह सभी एक्टिव रहनी चाहिएं।
मीटिंग में चर्चा के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी राजपाल ने उपायुक्त को बताया कि शिक्षा में हरियाणा पंजाब से आगे है। करनाल जिला का जिक्र करते उन्होंने बताया कि गत 2 वर्षों से जिला में दसवीं व बारहवीं के परीक्षा परिणामों पर गौर करें तो इसमें काफी सुधार हुआ है।
उन्होंने उपायुक्त के साथ अवसर और दीक्षा एप पर भी चर्चा की, जो अध्यापक और विद्यार्थी दोनो के लिए हैं, इन पर बच्चे का परीक्षा परिणाम अपलोड करते हैं और अध्यापकों की उपस्थिति भी लगती है। उन्होंने बताया कि उड़ान प्रोजेक्ट के तहत जिला और खण्ड़ स्तर पर गठित मॉनिटरिंग टीमें विद्यार्थियों की स्कूली जरूरतों को देखने के लिए काम करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जिला में 487 प्राईमरी, 1018 मिडल, 60 उच्च विद्यालय और 116 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं।
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