प्रवीण वालिया, Karnal News:
संघ शास्ता शासन प्रभावक गुरुदेव श्री सुदर्शन जी महाराज के अनुवर्ती तपस्ची रत्न गुरुदेव सुधीर मुनि जी के सुशिष्य संघ संचालक गुरुदेव नरेश चंद्र जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य तपस्वी रत्न गुरुदेव सुधी मुनि जी ने कहा है कि व्यक्ति को जीवन में कभी कभी कष्ट सहना भी सीखना चाहिए।
निखर जाता है कष्ट को सहने वाले का जीवन
जो कष्टों को हंसते हंसते सह लेता है उसके जीवन में निखार आ जाता है। और जो नहीं सह पाता है उसका जीवन बिखर जाता हैं। जो धड़ा कुम्हार की थाप को , जो पत्थर शिल्पकार की छेनी को बर्दाष्त कर लेता है वही धड़ा और प्रतिमा बन जाता हैं। वह जैन स्थानक घरौंडा में प्रवचन कर रहे थे। मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान राम ने भी 14 सालों तक वनवास के दौरान कष्ट सहे। कितने कांंटों की चुभन को सहा। उसके बाद भी मुसकराते रहे। और आज वह घट घट के राम बन गए। आज का इंसान शरीर और मन से कमजोर हो गया हैं। उसे थोड़ा सा कष्ट भी विचलित कर देता हैं।
ये लोग भी रहे मौजूद
यदि हमें सुखी रहना है तो हमें ऐसी स्थिति तैयार करना चाहिए कि कष्ट आए तो हम खुशी खुशी सह लें। हम किसी को कष्ट नहीं दें। प्रवचन सभा में सहवर्ती संत पुनीत मुनि जी ने भी विविध प्रेरणा दी। प्रवचन सभा में प्रधान रामफल महामंत्री मुकेश, कोषाध्यक्ष प्रेम, पुरुषोत्तम, राजेंद्र, राहुल, सोनू मौजूद रहे।
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