Karnal News अस्पताल हड़ताल मामला : अब एजुकेटर संजय पर गिरी गाज

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खरखौदा: जुलाई महीने में शहर के सरकारी अस्पताल व इसके अधीन आने वाले उप स्वास्थ्य केंद्रों की सेवाऐं हाईजैक कर स्वास्थ्य सेवाऐं प्रभावित रखने के साथ साथ जिला उपायुक्त, जिला सिविल सर्जन, एसडीएम के खिलाफ नारेबाजी की गई थी। हड़ताल मामले में अब छठे ट्रांसफर के रूप में संजय एजुकेटर का तबादला खरखौदा अस्पताल से कैथल जिले के कलायत अस्पताल में किया गया है। कई स्वास्थ्य कर्मियों के आर्डर आदर्श आचार संहिता से पहले ही हो चुके थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में आर्डर रूके हुए थे।
हालांकि कुछ भाजपा कार्यकर्ता मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास पहुंच गए थे और उन्होंने जो स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल के दौरान भी सेवाऐं दे रहे थे। उनमें से एसएमओ आशा सहरावत व नर्सिंग आफिसर राजेश कुमारी का दबादला  कार्यकर्ताओं के कहने पर एक घंटे में कर दिया था। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री के सामने पूरी हड़ताल की सच्चाई बताई गई। अब दोनों पक्ष की बाते मुख्यमंत्री को पता चल चुकी है। जिसके चलते हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य कर्मियों के दबादलो की लाइन लग गई। हड़ताल में बैठे एसएमओ सतपाल सहित चार स्वास्थ्य कर्मियों के तबादले हो चुके हैं। हड़ताल के दौरान सेवाऐं देने वाली एसएमओ डा. आशा सहरावत का कहना है कि खरखौदा अस्पताल में योजनाबद्ध तरीके से हड़ताल की गई है। अगर इस हड़ताल मामले की जांच हुई तो सामने आएगा कि हड़ताल कराने के पीछे उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों का भी हाथ रहा है। इसीलिए अभी तक जांच शुरू नहीं की गई। यहां पर एसएमओ सतपाल को योजना के तहत हड़ताल में नेतृत्व की जिम्मेदारी दी गई। किसी भी स्वास्थ्य कर्मी की पहले कोई शिकायत नहीं थी। जैसे ही उनकी पदोन्नति हुई और वे यहीं पर एसएमओ बनी और ज्वाईनिंग के बाद तब हड़ताल शुरू की गई। कुछ स्वास्थ्यकर्मियों ने यहां पर हुक्का व शराब का अड्डा इस अस्पताल को बना दिया था। महिला स्टाफ का नौकरी करना दूभर हो रहा था। रात्रि को लैब में टेस्ट जांच सेवाऐं शुरू करवा दी गई थी।  इमरजेंसी के डॉक्टर रात्रि को अपने घरों में सोने लगे थे। इन सब पर कर्तव्य के प्रति ड्यूटी करने के लिए कहा था और उनकी एक्सप्लेशन कॉल की थी। इसके साथ साथ  बायोमैट्रिक लगाना नियमित कर दिया गया था। जिससे उनकी फरलो बंद हो गई थी। इसी से बौखलाकर कुछ स्वास्थ्यकर्मियों ने बगैर शिकायत होते हुए भी हड़ताल शुरू कर दी। जो स्वास्थ्यकर्मी हड़तालके दौरान स्वास्थ्य सेवाऐं चालू रखे हुए थे, उन्हें चाबियां नहीं दी गई। पूरी तरह से अस्पताल को हड़ताल पर बैठने वाले लोगों ने हाईजैक किया हुआ था। अगर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हुई तो स्वास्थ्य विभाग के बड़े चेहरे भी बेनकाब होंगे। क्योंकि यहां पर सोची समझी साजिश के तहत यह हड़ताल की गई थी। जिसमें निदेशालय में बैठे उच्च अधिकारियों की संलिप्ता भी नजर आती है। इसलिए हड़तालियों के ऑर्डर दबाए रखे गए।    सूत्रों के मुताबिक कोविड के दौरान एसएमओ डा. मीनाक्षी शर्मा यहां पर सेवाऐं दे रही थी। उस महिला एसएमओ को भी यहां पर कुछ  डॉक्टरों ने दबाव बनाकर परेशान किया था। जिसके चलते उन्होंने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेना ही उचित समझा था। इनके अलावा एसएमओ रहे डा. जितेंद्र रंगा को भी परेशान किया गया।
–    अस्पताल को हाईजैक करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर करवाई की जानी है। हड़ताल के दिनों का वेतन काटा गया है। इस हड़ताल की कोई जरूरत नहीं थी। हड़ताल से विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों के कारण यह क्षेत्र पिछड़ गया है। इस मामले में जो भी स्वास्थ्य कर्मी दोषी पाऐं जाएंगे उन पर कानूनी कार्रवाई की जानी है।
–    डा. जय किशोर, सिविल सर्जन सोनीपत।