करनाल: पिछले काफी समय से मानसून हरियाणा में दस्तक दे चुका है और सावन का महीना भी शुरू हो चुका है लेकिन करनाल में अभी तक बरसात ने दस्तक नहीं दी है। बरसात के सीजन में मानसून करनाल जिले से रूठा हुआ है । जुलाई महीने में कम बरसात का बीते दस वर्षो का रिकार्ड टूट गया है। जुलाई महीने में महज 19 एमएम बरसात हुई । बारिश के इंतजार में आषाढ़ महीना बीत गया लेकिन मानसून करनाल से दूरी बनाए हुए है । बारिश नहीं होने का सीधा असर कृषि क्षेत्र ओर भूमिगत जलस्तर पर होगा ।
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि करनाल जिले में चार लाख एकड़ से अधिक में रकबे में धान की रोपाई की गई है । किसान बरसात के भरोसे थे लेकिन अब ये उम्मीद धीरे धीरे टूट रही है । मजबूरन किसान फसल सिंचाई के लिए ट्यूबवेल पर निर्भर हो चुके है । धान में अधिक मात्रा में पानी इस्तेमाल होता है जुलाई महीने में बेहद कम बरसात हुई ऐसे में ट्यूबवेल पर दबाव बढ़ता जा रहा है ।
करनाल जिले में साल 2019 में 468 एमएम, वर्ष 2020 में 832 एमएम, 2021 में 728, 2022 में 767, साल 2023 में 572 एमएम बरसात हुई थी l जबकि साल 2024 में अब तक केवल 112 एमएम हुई । वही जुलाई महीने में हुई बरसात के आंकड़ों को देखा जाए तो इस बार जुलाई महीना सुखा निकल गया है । वर्ष 2020 के जुलाई महीने में 359 एमएम, 2021 की जुलाई में 365 एमएम , 2022 जुलाई में 280एमएम, वर्ष 2023 के जुलाई महीने में 267एमएम बारिश हुई थी जबकि इस साल जुलाई महीने में महज 19 एमएम बरसात हुई है ।
कृषि विभाग के उपनिदेशक वजीर सिंह ने विशेष बातचीत में बताया कि करनाल जिले चार लाख 25 हजार एकड़ में धान की ओर चालीस हजार एकड़ में गन्ने की खेती की गई है । जुलाई महीने में बरसात बीते वर्षों से काफी कम हुई है लेकिन अभी कम बारिश का असर फसल पर नहीं हुआ । अगले महीने में भी बरसात की स्थिति ऐसी रही तो दिक्कत बढ़ सकती है। वजीर सिंह ने बताया कि कम बरसात का सीधा असर भूमिगत जल के स्तर पर पड़ेगा क्योंकि सिंचाई के लिए ट्यूबवेल पर दबाव बढ़ा है और मानसून सीजन में ग्राउंड वाटर रिचार्ज भी बेहद कम हुआ है ।