नए साल की रात को बलड़ी बाईपास पर बिजली के खंबे से टकराई कार में सवार दो युवकों की मौत, हादसा नहीं बल्कि किया गया था प्लान मर्डर। लगभग 5 महीने बीत जाने के बाद कोर्ट ने पुलिस को दिया चार आरोपियों के खिलाफ धारा 302 का मुकदमा दर्ज करने का आदेश।
सोची समझी साजिश
करनाल नए साल के पूर्व संध्या पर बलड़ी बाईपास पर खंभे से टकराकर कार सवार दो युवकों अजय और शुभम जिनकी उम्र लगभग 20 से 22 वर्ष थीं इनकी मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। करीब पांच महीने में खुलासा हुआ कि वह हादसा नहीं था बल्कि दोनों युवकों की सोची समझी साजिश के तहत हत्या की गई है। परिजनों का आरोप है कि एक दूसरी कार में सवार आरोपियों ने मृतकों की कार को साइड मारी थी, जिस कारण उनकी कार बिजली के खंभे से टकरा गई थी और उनकी मौत हो गई थी।
इंसाफ की गुहार लगाते रहे मृतक के परिजन, पुलिस ने नहीं की गंभीरता से जांच
इस मामले में पीड़ित परिवारों के लोग दर-दर की ठोकर खाते हुए लगातार पिछले लगभग 5 महीनों से पुलिस को यह समझाने में लगे रहे कि उनके बच्चों की मौत हादसे में नहीं बल्कि सोची समझी साजिश के तहत दोनों की हत्या की गई है।
लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी मृतकों के परिजनों के अनुसार पुलिस ने पैसे के लालच और राजनीतिक दबाव के चलते मामले की गंभीरता से जांच नहीं की और मजबूरन उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस को इस मामले में परिजनों द्वारा आरोपित लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए। कोर्ट के आदेशों के बाद थाना सिविल लाइन पुलिस ने चार आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करते हुए मामले की नए सिरे से जांच शुरू कर दी है।
बिलखते हुए मृतक अजय के पिता ने लगाई इंसाफ की गुहार
इस मामले पर बिलखते हुए मृतक अजय के पिता करनाल के बसंत विहार निवासी महावीर ने बताया कि पुलिस ने उनके साथ नाइंसाफी करते हुए आरोपियों की लोकेशन को बदल दिया और मामले को दबाना चाहा। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद पुलिस ने इस मामले पर गंभीरता से जांच किए बिना सड़क हादसा बताते हुए केस को बंद कर दिया।
मृतक अजय के मां ने बताया कि मृतक के दो बच्चे हैं जिनमें से एक बच्चा तो अभी मृतक अजय की मौत के बाद पैदा हुआ है।
मिलनी चाहिए आरोपियों को सख्त सजा
मृतक शुभम के पिता ने बताया कि उनके बेटे शुभम की शादी पिछले 1 साल पहले हुई है और मृतक की पत्नी भी अभी गर्भवती है ऐसे में वह कितने बड़े दुख की घड़ी को कैसे सहन कर सकते हैं।
मृत्यु शुभम की मां ने रोते भी रखते हुए कहा कि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए और लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारी को भी नौकरी से हटा दिया जाना चाहिए ताकि वह अन्य किसी दुखी परिवार के साथ नाइंसाफी न कर सके।
पुलिस नहीं कर पाई किसी भी आरोपी को गिरफ्तार
कोर्ट के आदेशों के लगभग 1 सप्ताह बीत जाने के बाद भी अभी तक इस मामले में पुलिस किसी भी आरोपी को अपनी गिरफ्त में नहीं ले पाई है। इससे पुलिस की मानसिकता को साफ तौर पर देखा जा सकता है।
नए साल की पूर्व संध्या पर हुई हत्या की दास्तान
मृतक के पिता वसंत विहार निवासी महावीर ने बताया कि उसका बेटा अजय टूर ट्रैवल का काम करता था। एक जनवरी की रात को उसका बेटा अजय अपने मामा के लड़के गांव टिकरी निवासी शुभम के साथ कार में सवार होकर घर से निकला था। उन्हें सुबह पुलिस से सूचना मिली की बलड़ी बाईपास पर एक सड़क हादसा हुआ है। जब वह मौके पर पहुंचे तो उनकी कार एक बिजली के खंभे से टकराई हुई थी और बिजली का खंभा भी कार पर ही पड़ा था। उस कार में उसका बेटा अजय और साले का लड़का शुभम दोनों मृत अवस्था में थे।
तेज रफ्तार के कारण हुआ सड़क हादसा
उस दौरान सभी कह रहे थे कि तेज रफ्तार के कारण यह सड़क हादसा हुआ था, सड़क हादसा मानकर उन्होंने दोनों के शवों को पोस्टमार्टम करा कर संस्कार कर दिया। इसके बाद उन्हें शक हुआ था कि अजय के साथ उस रात को कोई और भी था। इस बारे में जांच करने के लिए उन्होंने अपने स्तर पर वसंत विहार, आईटीआई चौक व भाटिया कार गैरेज में लगे सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो पता चला की उनके बेटे की गाड़ी के साथ-साथ एक और k-10 गाड़ी चल रही थी। जहां पर हादसा हुआ उससे कुछ दूरी पहले भाटिया कार गैरेज के सीसीटीवी कैमरे में उस दिन रात के करीब 3.15 पर वह कार नजर आ रही है और वह बहुत तेज गति में थी।
जब इस कार का नंबर लेकर इसकी जानकारी निकाली गई तो यह कार गांव कैलाश निवासी विकास के नाम पाई गई। इस कार में विशाल के साथ तीन अन्य व्यक्ति मौजूद थे। जो उनकी गली में वसंत विहार में ही रहते हैं। जब इस बारे में और जानकारी निकाली तो पता चला कि विशाल को उसके बेटे अजय व साले के लड़के शुभम के साथ उस दिन झगड़ा हुआ था। इस कारण उन्हें शक है कि यह हादसा नहीं सोची समझी साजिश है। चारों आरोपियों ने कार की साइड मारकर इस वारदात को अंजाम दिया है।
पुलिस से उठा विश्वास, कोर्ट पर ही भरोसा
अब दोनों मृतकों अजय और शुभम के परिवार कब दुख की घड़ी से उभर पाएंगे यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इस पूरे मामले में पुलिस की लापरवाही और मामले पर लीपापोती किस प्रकार की गई है यह साफ दिखाई दे रहा है। फिलहाल पीड़ित दोनों परिवारों को केवल कोर्ट पर ही भरोसा है क्योंकि पुलिस से तो उनका पूरी तरह विश्वास उठ चुका है।