इशिका ठाकुर,करनाल:
ऑस्ट्रेलिया,अर्जेंटीना,अमेरिका और कनाडा को गेहूं निर्यात में टक्कर देगा भारत, चावल के बाद अब गेहूं निर्यात की ओर बढ़ रहा देश ,गेहूं निर्यात का रोड मैप तैयार करने को लेकर कृषि अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों ने करनाल में किसानों के साथ किया मंथन ,वैज्ञानिकों ने किसानों को बताएं गेहूं की गुणवत्ता और स्टोरेज के गुर , केंद्र व प्रदेश के कृषि अधिकारियों के साथ केंद्रीय कृषि संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों ने लिया भाग।
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भारत ने विदेशों में अब तक 7:50 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया
गेहूं निर्यात को लेकर भारत सरकार द्वारा किसानों के साथ मिलकर रोड मैप बनाया जा रहा है। चावल निर्यात में भारत विश्व का एक बड़ा निर्यातक देश है, यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच इस वर्ष भारत ने गेहूं निर्यात के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा दिए हैं। मार्च तक भारत ने विदेशों में अब तक 7:50 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया है। अभी 5 लाख मिलियन टन गेहूं और निर्यात किया जाना है। गेहूं निर्यात में अपार संभावनाओं को देखते हुए कृषि विभाग , विभिन्न कृषि संस्थानों के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को गुणवत्ता , स्टोरेज और निर्यात की बारीकियां बताने के लिए आज करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में किसान समूह, निर्यातको, प्रगतिशील किसानों और प्रदेश व केंद्र के कृषि अधिकारियों ने भाग लिया।
5 मिलियन टन गेहूं का आर्डर अब भी पेंडिंग
सेमिनार के बारे में बताते हुए राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि किसानों को गेहूं निर्यात और हैंडलिंग की जानकारी देने के लिए आज यह सेमिनार आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि गेहूं निर्यात का रोडमैप तैयार करने के लिए और निर्यात की बारीकियां बताने के लिए किसानों के साथ विस्तृत चर्चा की जा रही है। किसान भी गेहूं निर्यात को लेकर खासे उत्साहित हैं। अगर हम क़्वालिटी में सुधार कर लेते हैं तो देश का किसान गेहूं निर्यात कर खुशहाली की ओर बढ़ सकता है। ज्ञानेंद्र प्रताप ने बताया कि आने वाले समय में भारत एक बड़े निर्यातक देश के रूप में उभरेगा और इसकी शुरुआत हो गई है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जिन देशों में गेहूं निर्यात की शुरुआत हुई है वह आगे भी जारी रहेगी। इस वर्ष मार्च तक देश ने 7:50 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया है और 5 मिलियन टन गेहूं का आर्डर अभी पेंडिंग है। भारत एक ऐसा देश है जो साल भर तक गेहूं का निर्यात कर सकता है। उन्होंने कहा कि गेहूं निर्यात में अभी तक ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, अमेरिका और कनाडा सहित कुछ देश है जिन्हें भारत प्रतिस्पर्धा दे सकता है। भारत के पास 25 मिलियन टन अतिरिक्त गेहूं का भंडार है। विश्व व्यापार संगठन अगर इसे निर्यात की अनुमति दे तो हम काफी देशों तक पहुंच बना सकते हैं।
गेहूं में बीमारियों की रोकथाम और उसकी गुणवत्ता को लेकर किसानों से की चर्चा
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अतिरिक्त महानिदेशक डॉक्टर एससी दुबे ने कहा कि भारत में गेहूं के निर्यात की अपार संभावनाएं हैं भारत में गेहूं का उत्पादन बहुत अधिक होता है। भारत में गेहूं उत्पादन की लागत को देखते हुए अगर गेहूं का निर्यात करें तो निश्चित रूप से किसानों को काफी लाभ होगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि अगर हमें निर्यात में आगे बढ़ना है तो किसानों को अपने उपभोक्ता देशों के हिसाब से गेहूं की गुणवत्ता को बनाकर रखना होगा। इसके लिए उन्हें तकनीकी सहायता हमारे विशेषज्ञ देंगे। गेहूं में बीमारियों की रोकथाम और उसकी गुणवत्ता को लेकर हम आज किसानों से चर्चा कर रहे हैं। अब किसानों को विशेषज्ञ बनना पड़ेगा। डॉक्टर दुबे ने कहा कि अभी ऐसे 50 से अधिक देश हैं जहां गेहूं निर्यात की संभावनाएं हैं इनमें मिडल ईस्ट, अफ्रीका और यूरोप के भी कई देश शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों में भारत का नाम कर रहे हैं रोशन
किसान उत्पादक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर सरदार सिंह ने कहा कि भारत के किसान गेहूं निर्यात करने में सक्षम है बशर्ते उन्हें आवश्यक सुविधाएं और तकनीकी सहायता मुहैया कराई जाए। उन्होंने कहा कि एफपीओ इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। इनको इसके लिए जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। सेमिनार में आए किसानों ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने निर्यात को लेकर एक आह्वान किया है, किसान उनके मार्गदर्शन में गेहूं निर्यात करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत का गेहूं खाने में बहुत बढ़िया होता है और उसमें पोषण भी काफी है ऐसे में अगर किसान गेहूं निर्यात की तरफ बढ़ता है तो उन्हें काफी फायदा हो सकता है। किसानों ने कहा कि जिस प्रकार वैज्ञानिक और सरकार निर्यात को प्रोत्साहन दे रहे हैं उसमें हम किसान भी पूरी मदद करने को तैयार हैं।
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