प्रवीण वालिया, करनाल:
निगम की बनाई 10 टीमें, टीमें बाजारों में व घर-घर जाकर लोगों को सोर्स सैग्रीगेशन और होम कम्पोस्टिंग के लिए करेंगी जागरूक: निगमायुक्त डॉ. मनोज कुमार।
सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों के तहत नगर निगम आयुक्त डॉ. मनोज कुमार के निर्देश पर मोटीवेटर और सक्षम युवाओं की 10 टीमे तैयार की गई हैं, जो कॉमर्शियल एरिया के साथ-साथ घर-घर जाकर सोर्स सैग्रीगेशन व होम कम्पोस्टिंग के लिए जागरूक कर रही हैं। उन्होंने बताया कि यह टीमें बीते दो-तीन दिनो से वार्ड 1 व 2 में जाकर, दुकानदार व रेहड़ी चालक तथा गृहणियों को गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग रखने के लिए समझा रही हैं। इसके अतिरिक्त नगर निगम के कूड़ा उठाने वाले टिप्पर चालको को भी घरों से गीला व सूखा कचरा अलग-अलग लेने बोर जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए नगर निगम के उप निगम आयुक्त धीरज कुमार को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
अभियान के तहत पूरा अर्बन एरिया किया जाएगा कवर
निगमयुक्त ने बताया कि इस अभियान के तहत कॉमर्शियल एरिया और डोर टू डोर जाकर लोगों को गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग डस्टबिन में डालने, होम कम्पोस्टिंग कर उसमें किचन वेस्ट डालने तथा घरों में हरे व नीले रंग के डस्टबिन रखने को कहा। उन्होंने कहा कि मोटीवेटर्स की टीमें पूरा अर्बन एरिया कवर करेंगी और नागरिकों को इसके लिए जागरूक करेंगी।
सोर्स सैग्रीगेशन से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का है जुड़ाव
आयुक्त ने बताया कि प्रतिदिन अनुमानित 150 टन कचरा शेखपुरा स्थित सोलिड वेस्ट प्लांट में जाता है। यदि नागरिक सोर्स सैग्रीगेशन को शत-प्रतिशत रूप में करते हैं, तो करीब 10 टन कचरा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की जरूरत पूरी कर सकता है, जबकि 20 टन गीला कचरा वर्मी कम्पोस्ट और कम्युनिटी पिट्स में खपत होकर खाद के रूप में परिवर्तित हो सकता है। इसे देखते सोर्स सैग्रीगेशन का महत्व ओर बढ़ जाता है और इससे सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट पर भी अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।
जनता से अपील, गीले व सूखे कचरे को रखें अलग-अलग
निगमायुक्त डॉ. मनोज कुमार ने शहर की जनता से अपील कर कहा है कि कूड़े-कचरे के सही निस्तारण के लिए सबसे जरूरी है, उसका सोर्स सैग्रीगेशन। अर्थात प्रारम्भिक स्थल, घर या कॉमर्शियल एरिया से ही ड्राई व वेट कचरा अलग-अलग होना चाहिए, ताकि उसे अलग-अलग ही लिफ्ट कर वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट तक पहुंचाया जा सके। वेट कचरे से एक उम्दा कम्पोस्ट बनाई जाती है, जिससे कचरे का निस्तारण व सदुपयोग सम्भव होता है। ड्राई कचरे को भी रिसाईकिल में लेकर उसका पुन: प्रयोग किया जा सकता है। इन सब चीजों को देखते आयुक्त ने नागरिकों विशेषकर गृहणियों व सभी दुकानदारों से अपील की है कि वे गीले व सूखे कचरे को हरे व नीले डस्टबिन में रखें। उन्होंने यह भी बताया कि टिप्परों में गीला और सूखा कचरा डालने के लिए अलग-अलग बॉक्स हैं, जबकि बायोमैडिकल और हैजर्ड यानि हानिकारक वेस्ट के लिए टिप्पर के पीछे पीले और लाल बिन्स रखे गए हैं। पीले बिन में बेकार मास्क, ग्लब्स व पट्टी इत्यादि डाल सकते हैं, जबकि लाल डस्टबिन में सुई, पिन, ब्लेड, कांच के टुकड़े व इस्तेमाल किया हुआ टीका इत्यादि डाला जा सकता है।