करनाल : प्रशासन और संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों के बीच हुई बैठक

0
382
karnal administration
karnal administration

प्रवीण वालिया, करनाल :
उपायुक्त निशांत कुमार यादव और भारतीय किसान यूनियन के संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ शनिवार को लघु सचिवालय के सभागार में हुई मीटिंग में उपायुक्त ने कहा कि जिस तरह से किसानों को अपना आंदोलन करने का अधिकार है उसी तरह नेताओं को भी जन प्रतिनिधि होने के नाते जनता से मिलने, उनके बीच जाने और उनकी समस्याएं सुनकर उनका समाधान करने का अधिकार है। यह प्रजातांत्रिक मूल्यों की बात है। इसे बनाए रखने के लिए किसी भी पक्ष को दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए। हर व्यक्ति को शांति से अपनी बात कहने व आने-जाने की इजाजत बनी रहनी चाहिए। मीटिंग में जिला पुलिस अधीक्षक गंगाराम पुनिया भी मौजूद थे। किसान नेताओं से परिचय के बाद उपायुक्त ने बीते दिनों हिसार, सिरसा और टोहाना में किसानों के प्रदर्शन और वीआईपी दौरों के बीच हिंसात्मक घटनाओं का जिक्र करते कहा कि ऐसी घटनाएं उम्मीद से परे थी जो नहीं होनी चाहिए थी। फिर करनाल की बात की और कहा कि करनाल एक शांतिप्रिय लोगों का जिला है, चाहे वह किसान हों या दूसरे व्यक्ति। यहां हिंसा की कोई गुंजाईश नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन व प्रदर्शन कर रहे हैं, अवश्य करें, सरकार भी इसकी इजाजत दे रही है। लेकिन कोई भी वीआईपी, नेता व मंत्री जब जनता के लिए मीटिंग करने आएं तो उसमें खलल डालने या न होने की बात करना गलत है। यह काबिले बर्दाश्त नहीं होगा। नेता जनता से चुनकर आते हैं, उनका हक है कि वे जनता के बीच जाएं। इसके लिए उन्हें रोकना सरासर गलत है। हालांकि उन्होंने कहा कि किसान भी शांतिप्रिय वर्ग है, कुछ शरारती लोग ही उपद्रव मचाकर माहौल बिगाड़ते हैं। जिस कारण प्रशासन व पुलिस को सख्ती करनी पड़ती है, जो उनकी ड्यूटी है। हर व्यक्ति अपनी-अपनी ड्यूटी से बंधा है। उन्होंने कहा कि आपकी लड़ाई कृषि कानूनों के खिलाफ है, व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं होनी चाहिए। वीआईपी जिद्द में दौरे करते हैं ऐसा न समझें। पब्लिक में जाना उनका अधिकार है, वे उन्हीं के वोट से चुनकर आए हैं। काफी दिनों से चल रहे किसान आंदोलन को देखकर वह भी खुश नहीं हैं और यदि कोई नेता किसी तरह की ब्यानबाजी करता है तो उससे उसी का कैरियर खराब होता है।

मीटिंग में दोनों ओर से सौहार्द्रपूर्ण संवाद बना रहा। उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक की बातों को किसानों ने ध्यान से सुना और फिर भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य, संयुक्त किसान मोर्चा के मास्टर रामकुमार, जगदीप सिंह औलख, रामपाल चहल बीबीपुर जाटान और जिला प्रधान यशपाल राणा ने अपनी-अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि झगड़ा या हिंसा करना किसानों का काम नहीं, हम तो केवल संयुक्त मोर्चा के बड़े नेताओं के आदेशों का पालन करते हैं। जब तक हमारी नहीं सुनी जाति हमारा प्रदर्शन शांति से जारी रहेगा। अगर कोई गड़बड़ करता है या वीआईपी के दौरे में उपद्रव का कारण बनता है अथवा रास्ता रोकने की बात करता है तो हम उसकी स्पोर्ट नहीं करेंगे। ऐसे लोगों के खिलाफ प्रशासन सख्ती से कार्यवाही करे। किसान नेताओं ने ऐसे लोगों का भी जिक्र किया जो सोशल मीडिया के जरिए समाज में धर्म और जाति के नाम पर वैमनस्य फैलाने का काम करते हैं और कहा कि प्रशासन इनसे सख्ती से निपटे। इस पर उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जब भी इस तरह की शिकायतें आई हैं, प्रशासन ने दोनों ओर के लोगों को समझा-बुझाकर मामला शांत किया है, आगे भी इसी तरह के प्रयास जारी रहेंगे। प्रशासन भी जनता के दुख-दर्द सुनने व उनका समाधान करने के लिए है। किसी का नुकसान नहीं चाहता।

यह रहा मीटिंग का नतीजा
उपायुक्त और किसान नेताओं के बीच हुई मीटिंग में स्वस्थ संवाद बना रहा। नतीजतन उपायुक्त ने कहा कि कार्यक्रमों से दूर बैठकर शांति से प्रोटैस्ट करें कोई मना नहीं करेगा, लेकिन घेराव करना व रास्ता रोकना मंजूर नहीं। इस पर किसान नेताओं ने प्रशासन को आश्वासन दिया कि धरने प्रदर्शन शांति से करेंगे। यदि कोई शरारत करता है तो वह किसान नहीं, ऐसे व्यक्ति के साथ प्रशासन सख्ती से निपटे। संयुक्त किसान मोर्चा शांति भंग करने वाले शरारती लोगों को स्पोर्ट नहीं करेगा।