करनाल: मंहगाई हाय-तौबा, लोग बोले-क्या कर रही है सरकार  

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issue of rising inflation.
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प्रवीण वालिया, करनाल:
बढ़ती मंहगाई ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। मंहगाई की मार ने लोगों की कमर तोड़ दी है। ऊपर से कोरोना काल में बढ़ रही मंहगाई से आम-जन काफी परेशान है। लोग सरकार को कोसने लगे हैं। डीजल हो या फिर पैट्रोल या फिर रसोई गैस सभी की कीमतों में भारी उछाल आ गया है। अब तो गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों के मुंह से रोटी का निवाला सरकार छीनने का काम कर रही है। बढ़ती मंहगाई से लोगों ने हाय-तौबा कर ली है। आखिरकार गरीब व्यक्ति लगभग 900 रुपए का गैस सैलेंडर भरवाए तो कैसे। लोगों को काफी तकलीफ हो रही है। लोगों का कहना है 900 रुपए का सिलैंडर लेना अब उनके बस की बात नहीं रही। बढ़ती मंहगाई के मुद्दे को लेकर आज समाज डिजीटल ने कुछ लोगों से बातचीत की। इस बारे सोनू मल्होत्रा ने कहा कि क्या कर रही है सरकार। मंहगाई से आम जन परेशान है। डीजल, पैट्रोल, रसोई गैस से लेकर खाद्य वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों से लोग दुखी हैं।
सता पक्ष के लोग अब चुप क्यों हैं। उन्होंने कहा कि राजनेता जब विपक्ष में होते हैं तो कमर तोड़ मंहगाई पर बड़ा सवाल उठाते हैं, बवाल मचाते हैं लेकिन जब सत्ता में आते हैं तो इसका जिम्मेदार विपक्ष को बताने लगते हैं। संदीप मल्होत्रा ने कहा कि चुनावों से पहले लोगों से वोट मांगते समय तो देश में विकास व गरीबों के लिए योजनाएं बनाने व बड़ी बड़ी ढींगे हांकने वाले अब कहां हैं। इन मुद्दों को लेकर चुप क्यों हैं। लोगों को बेवकूफ बनाकर वोट हथिया लिए जाते हैं। सुनील ग्रोवर ने कहा कि सरकार कानों में रुई डाले बैठी है। मंहगाई की रोकथाम के लिए सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है। सरकार को चाहिए की इस मुद्दे को गंभीरता से ले और लोगों की भावनाओं को समझे।
राजेश मदान ने कहा कि गरीब लोगों को पहले चना मिला करता था इसके अलावा सरसों का तेल भी सरकार देती थी। अब तो न चना मिल रहा है न ही सरसों का तेल। गत दो महीने से लोग सरसों के तेल के पैसे खाते में आने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन विडम्बना है कि अभी तक तो खाते लिंक करवाने की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पा रही है। आखिर कब तक लोगों के खाते में सरसों के तेल के पैसे आएंगे। सरकार गरीबों के मुंह से निवाला छीनने का काम कर रही है। रिफाईंड तेल व सरसों के तेल के रेट तो आसमान छू रहे हैं। मंहगाई कम होगी या नहीं अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। चारों ओर मंहगाई के कारण हाहाकार मची हुई है। सरकार गरीबों के साथ भद्दा मजाक कर कर रही है। सब्सिडी के नाम पर चूना लगाया जा रहा है। रसोई का बजट भी पूरी तरह से बिगड़ गया है।