करनाल: हिंदी हमारी राजभाषा ही नहीं, संस्कार भाषा और रोजगार भाषा भी है : डा. चौहान

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Granth Academy Vice President Dr. Virendra Singh Chauhan
Granth Academy Vice President Dr. Virendra Singh Chauhan

प्रवीण वाालिया, बल्ला/करनाल:
 विश्व के लगभग हर देश में हिंदी जानने और बोलने वाले लोग निवास करते हैं। हिंदी सिर्फ हमारी राजभाषा नहीं है। हिंदी हमारी पहचान है और मातृभाषा भी। यह भाषा देश के जन-जन में संस्कार रोपित करने का कार्य भी बखूबी निभा रही है। यह टिप्पणी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने राजकीय माध्यमिक विद्यालय जुंडला में स्वभाषा स्वाभिमान अभियान को प्रारंभ करते हुए की। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषी लोगों की संख्या को देखते हुए बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पाद व सेवाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए अब हिंदी भाषा का सहारा लेने लगी हैं। तकनीक के इस दौर में हिंदी में रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। आवश्यकता समाज व बाजार के इस बदलते स्वरूप को पहचानने और युवाओं को इस प्रकार तैयार करने की है कि वे हिंदी आधारित इस नवनिमार्णाधीन अर्थव्यवस्था में स्वयं को सफलतापूर्वक स्थापित कर सकें। हरियाणा ग्रंथ अकादमी द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु प्रदेश भर में चलाए जाने वाले इस अभियान का शुभारंभ करते हुए ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि इस अभियान के तहत आफलाइन व आनलाइन दोनों मोड में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ‘हमारी भाषा, हमारा अभिमानझ् संदेश प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रदेश के सभी विद्यालयों के कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थी आनलाइन माध्यम से अपना संदेश रिकॉर्ड करके अकादमी को भेजेंगे। जिनमें से चयनित संदेशों को समापन कार्यक्रम में पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हिंदी लेखन/ शोध अभिप्रेरण तथा हिंदी में रोजगार विषय पर विशेषज्ञों के माध्यम से आनलाइन या आफलाइन कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी। विद्यार्थी हिंदी आधारित रोजगार के विकल्पों को जानें, समझें और उसके अनुरूप अपने हिंदी ज्ञान को विकसित करें, इसकी महती आवश्यकता है।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शेखपुरा, सोहाना, करनाल से पधारे हिंदी के प्रवक्ता दुलीचंद कालीरमन ने देश में हिंदी के बढ़ते दखल को विद्यार्थियों के सामने रखा और बताया कि किस प्रकार हिंदी में रोजगार के विभिन्न अवसर बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। अब कोई भी विदेशी कंपनी मात्र अंग्रेजी पर निर्भर नहीं रहना चाहती क्योंकि ऐसा करने से वह बाजार के बहुत बड़े हिस्से को नहीं छू पाती है। बड़ी- बड़ी बहुराष्ट्रीय व आईटी कंपनियां अपनी सेवाएं हिंदी भाषी लोगों के अनुरूप ढाल रही हैं। इस काम को अधिक से अधिक बेहतर तरीके से करने के लिए उन्हें हिंदी के विशेषज्ञों की निरंतर आवश्यकता है। ‘हमारी भाषा हमारा अभिमान संदेश प्रतियोगिताझ् के अंतर्गत विद्यालय के विभिन्न छात्र- छात्राओं ने अपने संदेश प्रस्तुत किए। हिंदी को रोजगार के रूप में दोयम दर्जे का समझे जाने पर विभिन्न शिक्षकों ने अपनी पीड़ा को भी मंच के साथ सांझा किया। रेडियो ग्रामोदय से पधारी टीम ने बताया कि छात्र/ छात्राओं के संदेशों को अकादमी के आनलाइन प्लेटफॉर्म के अतिरिक्त रेडियो ग्रामोदय पर भी प्रसारित किया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य लक्ष्मीनारायण चोपड़ा जी ने हास्य शैली में हिंदी के महत्व और इसके बदलते स्वरूप पर अत्यंत रोचक व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में स्कूल के विद्यार्थी दीपिका नई कविता वाचन अक्षय ने भाषण व संदेश गौरव ने भाषण अभिषेक ने ज्ञानवर्धक संदेश, प्रवेश ने कविता वाचन और वंश ने भाषण के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। इसी प्रकार स्कूल के शिक्षक चंद्र लाल, सुशील कुमार, रोशन लाल, रीटा और रजनीत कौर ने भी अपने विचार सांझा किए।