एचआईवी संक्रमित युवक-युवतियों के पुनर्वास के लिए करनाल स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक नहीं किया कोई प्रयास

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Karnal health department has not yet made any effort to rehabilitate HIV infected youth
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 इशिका ठाकुर,करनाल, 8अप्रैल:
एचआईवी एक ऐसा डरावना वायरस माना जाता है, जिसकी वजह से किसी भी व्यक्ति को एड्स हो सकता है। आज जिस तरह का दौर चल रहा है, उसमें ऐड्स एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह वायरस बहुत ही आसानी से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है तथा ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बिल्कुल कम कर देता है, और मनुष्य का शरीर तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। अभी तक की जांच में सामने आया है कि एचआईवी असुरक्षित यौन संबंध, दूषित रक्त संक्रमण से फैलता है। एचआईवी और एड्स में काफी अंतर है। एचआईवी वायरस की तरह होता है जबकि AiDs एचआईवी संक्रमण के बाद सिंड्रोम के रूप में प्रकट होता है। एड्स के लक्षण किसी भी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में 8 से 10 साल बाद नजर आते हैं। एचआईवी से संक्रमित कोई भी व्यक्ति यदि सही ढंग से इलाज को अपनाएं तो सामान्य जीवन बिता सकता हैं।

हरियाणा के कुछ जिलों में सामाजिक संस्थाओ ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर तेजी से अभियान चलाते हुए एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) संक्रमित युवक-युवतियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास के रूप में काम करते हुए उनकी शादी करवा रही हैं। जिससे कई एचआईवी मरीजों की जिंदगी सवरने लगी है। ताकि ये बीमारी से लड़ते हुए आम इंसान की तरह अपना जीवन व्यतीत कर सकें।

एचआईवी पॉजिटिव अपना वेबसाइट पर जीवनसाथी खोज सकते हैं

इसको लेकर एचआईवी मैरिज डॉट कॉम वेबसाइट की दो वर्ष पहले शुरुआत की गई है। जिसमें एचआईवी पॉजिटिव अपना रजिस्ट्रेशन नंबर और एचआईवी संक्रमण की मौजूदा स्थिति को बताकर अपने लिए जीवनसाथी खोज सकते हैं। शादी के बाद इन जोड़ों के बच्चे भी सामान्य हों और उनमें माता-पिता के जरिए एचआईवी संक्रमित न हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनका ट्रीटमेंट भी दिया जाता है।

करनाल के साथ लगते जिले पानीपत में अब तक तीन जोड़े परिणय सूत्र में बंध चुके हैं। लेकिन वहीं अगर बात करनाल जिले की करें तो जिले में एचआईवी संक्रमित युवक-यवतियों की शादी करवाने को लेकर अभी तक ऐसा कोई भी प्रयास स्वास्थ्य विभाग की ओर से नहीं गया हैं। इस संबंध में जब एचआईवी नोडल अधिकारी डॉ सिम्मी कपूर से बात की तो उनके पास भी कोई स्पष्ट रूप से जानकारी उपलब्ध नहीं थी, हालांकि एचआईवी संक्रमित युवक-युवतियों के पुनर्वास को लेकर स्वास्थ्य विभाग की सबसे बड़ी जिम्मेवारी बनती है। लेकिन इस को लेकर करनाल का स्वास्थ्य विभाग काफी सुस्त दिखाई दे रहा है। जब स्वास्थ्य विभाग के एचआईवी नोडल अधिकारी के पास ही इस संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है तो फिर ये एचआईवी संक्रमित युवक-युवतियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये आखिर कैसे इन्हें मानसिक रूप से तैयार करेंगे ? जब इनके पास साथ लगते जिले की ही जानकारी उपलब्ध नहीं है।

Karnal health department has not yet made any effort to rehabilitate HIV infected youth
Karnal health department has not yet made any effort to rehabilitate HIV infected youth

एचआईवी मरीजों को लेकर जब स्वास्थ्य विभाग की एचआईवी नोडल अधिकारी डॉ सिम्मी कपूर से बात की तो उन्होंने कहा कि एचआईवी को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। इसको लेकर जिले में 6 आईसीटीसी सेंटर और 25 एफआइटीसी सेंटर है, इसके अतिरिक्त जिले में जितने भी पीएससी सेंट्रल हैं वहां सभी जगह एचआईवी टेस्ट किए जाते हैं तथा समय-समय पर स्लम एरिया ट्रक यूनियन आदि स्थानों पर कैंप लगाकर लोगों को जागरूक किया जाता है।

वर्ष 2022 से लेकर अब तक 445 एचआईवी जागरूकता कैंप लगाए जा चुके हैं। इसके साथ ही 54 गांव में लोगों को एचआईवी के प्रति जागरूक करते हुए मौके पर ही उनके टेस्ट भी किए गए हैं।

एचआईवी फैलने के कारण

डॉक्टर सिम्मी कपूर ने कहा कि एचआईवी अनप्रोटेक्टेड सेक्स करने या नीडल्स शेयर करने अथवा संक्रमित रक्त चढ़ाने आदि दो-तीन तरीकों से एचआईवी वायरस फैलने की अधिक संभावना रहती है। यदि कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की एक्टिविटी में इंवॉल्व होता है तो ऐसे में तुरंत उन्हें अपना एक एचआईवी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। और दूसरा टेस्ट 6 हफ्ते बाद करवाना चाहिए।
डॉक्टर सिमी ने कहा कि मां से बच्चे को एचआईवी होने की संभावना अधिक बनी रहती है।
इसीलिए गर्भवती महिलाएं महिलाओं को तुरंत अपना एचआईवी टेस्ट करवाना चाहिए, लेकिन जिले में कुछ ऐसी महिलाएं हैं जिनके बच्चे बिल्कुल स्वस्थ हुए हैं।
डॉ सिम्मी कपूर ने कहा कि ट्रांसजेंडर में एचआईवी फैलने की संभावना अधिक रहती है जिले में इस वक्त 3 ट्रांसजेंडर एचआईवी पॉजिटिव है जो a.r.t. पर चल रहे हैं। सरकार द्वारा पूर्ण एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों को 2250 रुपए की पेंशन भी दी जा रही है जिनकी परिवारिक आय दो लाख रुपये से कम है।

एचआईवी और एड्स में विविधता

उन्होंने कहा कि एचआईवी एक वायरस का नाम है एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब यह नहीं है कि संबंधित व्यक्ति को एड्स है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एड्स से ग्रसित होने में करीब 8 से 10 वर्ष लग जाते हैं। करनाल ए आर टी सेंटर में 1600 के करीब एचआईवी मरीज इलाज ले रहे हैं जिनकी समय-समय पर काउंसलिंग और टेस्ट भी किए जाते हैं, इनमें 9 सौ पुरुष तथा 6 सौ से अधिक महिलाएं, 39 बच्चे और तीन ट्रांसजेंडर हैं जो a.r.t. पर चल रहे हैं। एड्स से बचने के लिए लोगों को इसके प्रति जागरूक रहने की बेहद आवश्यकता है।