करनाल: झींगा मछली पालन में हरियाणा देश का अग्रणी राज्य

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prawn farming
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प्रवीण वालिया, करनाल:
मत्स्य पालन विभाग हरियाणा के निदेशक प्रेम सिंह मलिक ने कहा कि हरियाणा पहला राज्य है जहां सर्वाधिक झींगा मछली का उत्पादन करके किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहा है। किसानों की ओर एक एकड़ भूमि में तीन से चार महीनों में ही 2 लाख 50 हजार रुपये से 3 लाख रुपये तक का मुनाफा लिया जा रहा है, जोकि अन्य कृषि उत्पादों से दोगुना है। झींगा मछली जोकि एक समुद्री मछली है, का पालन हरियाणा में वर्ष 2014 में शुरू किया था। इसकी शुरुआत 28 हेक्टेयर भूमि से की गई थी, अब 493 हैक्टेयर भूमि में इसका उत्पादन किया जाता है। यह एक बड़ी सफलता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 तक इसे 4 हजार हेक्टेयर भूमि तक करने का लक्ष्य है। इसके लिए भिवानी, सिरसा, फतेहाबाद, कैथल आदि जिलों में कार्य करने की योजना बनाई गई है।

निदेशक मलिक कर्ण लेक पर आयोजित अंबाला व गुरूग्राम मंडल के जिला मत्स्य अधिकारियों की समीक्षा बैठक में बोल रहे थे। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक धर्मेंद्र बुधवार, गुरुग्राम मंडल के इंचार्ज रमेश सिंह डांगी, अंबाला मंडल के इंचार्ज आत्मा राम, करनाल जिला मत्स्य अधिकारी शकुंतला देवी सहित अन्य जिलों के मत्स्य अधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि इससे पहले हिसार डिवीजन की मीटिंग हो चुकी है और आज करनाल में कर्ण लेक पर अंबाला व गुरूग्राम डिवीजन की मीटिंग आयोजित की गई। इसमें मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और किसान आमदनी दोगुनी कैसे हो, पिछले वर्ष की कमियों को दूर करने तथा इस वर्ष के लक्ष्य को कैसे पूरा किया जाए।
इस पर विचार-विमर्श किया गया तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि भविष्य में मत्स्य पालन के उत्पादन को बढ़ाना तथा उसकी मार्कीटिंग किस प्रकार की जाए तथा किसानों को उनके उत्पादन का अच्छा भाव मिले, इस पर भी चर्चा हुई।  बैठक में उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की गई थी।

इस स्कीम के तहत प्रार्थी निजी भूमि में या पट्टे पर भूमि लेकर मछली फीड हैचरी, बायाफेलाक, आरएएस, फीड मिल, कोल्ड स्टोर लगाने पर विभाग से वित्तीय एवं तकनीकि सहायता प्राप्त कर सकते हैं। विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना स्कीम में सभी प्राजैक्ट पर सामान्य जाति के प्रार्थियों को 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति/महिला प्रार्थियों को 60 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक आरएएस की नई तकनीक अपनाकर मछली पालन का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। हरियाणा में खाली पड़ी भूमि जो कृषि कार्यों के लिए उपयोग में नहीं लाई जा रही उसको पट्टे पर लेकर उसमें मछली पालन करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए पंचायत विभाग तथा पंचायतों को लिखा गया है। कलस्टर के हिसाब से भूमि को पट्टे या लीज पर किसानों को दी जाएगी तथा उसमें मछली पालन किया जाएगा।