प्रवीण वालिया, करनाल :
सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर संजय कुमार दीपू ने इंटीग्रेटिड फार्मिंग के क्षेत्र में अपनी आय को कईं गुणा बढ़ाया है। यह तब संभव हो सका जब उन्होंने अपने दोस्तों से प्रेरणा लेकर उसने अलग किस्म का प्रोजैक्ट तैयार करने का निर्णय लिया। गांव बसताड़ा में परिवार की 8 एकड़ जमीन में से तीन एकड़ में मछली पालन तथा कुछ में बागवानी का कार्य शुरू किया। इस प्रोजैक्ट की सबसे खास बात यह है कि इन क्षेत्रों की खाद्य, खाद व पानी की पूर्ति एक दूसरे से हो रही है और गांव के ही युवा उनके मछली पालन व्यावसाय से प्रेरणा लेकर अपना व्यावसाय स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत करीब 3 वर्ष पहले मछली पालन का काम शुरू किया था।
सरकार द्वारा मछली के बीज व खाद पर भी सब्सिडी दी गई। उन्होंने बताया कि नया काम करने के लिए जोहड़ों की खुदाई के लिए सरकार ने आर्थिक सहयोग किया। इतना ही नहीं मछली पालन के अनुभव को सांझा करने के लिए विभाग की ओर से डाक्टरों की टीम आती है जोकि मछली पालन को बढ़ावा देने की जानकारी प्रदान करती है, जिसका हमने व मेरे साथियों ने लाभ उठाकर अपनी आय को बढ़ाया है। मछली पालन अधिकारी शकुंतला देवी ने सरकार की योजना से मछली पालन करने की सलाह दी, जिससे एक साथ दो समस्याएं हल हो गई। तालाब में हर वर्ष 12 टन प्रति हैक्टेयर की उत्पादन क्षमता है। इसके साथ ही बाग में 85 प्रतिशत तक अनुदान पर ड्रिप इरीगेशन सिस्टम भी लगवाया व 75 प्रतिशत अनुदान पर सोलर ट्रैप भी लगावाया। मछलियों के तालाब से निकलने वाले पानी को बाग की संचाई जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जा रहा है।