अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के आवेदन लेने की पहल करने में करनाल जिला प्रदेश में पहले नंबर पर : आर.एस.बाठ

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Karnal district is number one in the state in regularizing illegal colonies: RS Bath

प्रवीण वालिया, करनाल:

  • नगर निगम सीमा से बाहर अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के लिए आए 16 आवेदन

नगर निगम सीमा से बाहर बनी अवैध कॉलोनियों को नियमित करवाने के लिए, जिला नगर योजनाकार के कार्यालय में 16 आवेदन आए हैं। इनमें करनाल सब-डिविजन एरिया की 6, असंध की 1, इन्द्री की 2 तथा घरौंडा सब डिविजन की 7 कॉलोनियां शामिल हैं। प्राप्त आवेदनों को डीटीपी आर एस बाठ की ओर से गुरूवार को विचार-विमर्श के लिए जिला स्तरीय स्क्रूटनी (जांच)कमेटी की मीटिंग में रखा गया। उपायुक्त अनीश यादव कमेटी के अध्यक्ष हैं, जबकि डीटीपी इसके संयोजक हैं। कमेटी के अन्य सदस्यों में जिला परिषद के सीईओ, डीडीपीओ, पीडब्ल्यूडी (बी एंड आर), जन स्वास्थ्य विभाग व पंचायती राज विभाग के कार्यकारी अभियंता, जिला अग्निशमन अधिकारी और उपायुक्त कार्यालय के तहसीलदार शामिल हैं।

5 कॉलोनियों को डीटीपी की ओर से एग्जामिन किया

विचार-विमर्श के दौरान उपायुक्त ने जानकारी दी कि उक्त 16 आवेदनों को कमेटी के सभी सदस्यों के पास भेज दिया गया था, इनमें से 5 ऐसी कॉलोनियां हैं, जिन्होंने आवेदन के साथ अपने ले-आउट प्लान दिए हैं। इनमें 1 कॉलोनी असंध की है, जो करीब 12 एकड़ में मौजूद है। दूसरी कॉलोनी इन्द्री एरिया में लगभग डेढ एकड़ में है, जबकि 3 घरौंडा में डेढ से दो एकड़ एरिया में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि उक्त 5 कॉलोनियों को डीटीपी की ओर से एग्जामिन कर लिया गया है, जिसमें पाया गया है कि कई प्लॉटों की रजिस्ट्रियां हैं, कुछ में 25 प्रतिशत से कम जगह विकसित है और कुछ जगह पर एक-दो मकान बने हुए हैं।

उन्होंने बताया कि अवैध कॉलोनियों को सरकार की ओर से निर्धारित मानदंड़ों के आधार पर नियमित करने के लिए बीती 19 जुलाई 2022 को एक पॉलिसी नोटिफाई की गई थी, जिसमें आवेदन के लिए क्राईटेरिया निर्धारित किया गया है। अर्थात श्रेणी ए के तहत 25 प्रतिशत तक निर्मित क्षेत्र वाली कॉलोनी, श्रेणी बी में 50 प्रतिशत तक लेकिन 25 प्रतिशत से अधिक निर्मित क्षेत्र होना चाहिए। इसी प्रकार श्रेणी सी में निर्मित क्षेत्र 75 प्रतिशत तक लेकिन 50 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए, जबकि श्रेणी डी में निर्मित एरिया 75 प्रतिशत से अधिक यानि 100 प्रतिशत तक निर्धारित किया गया है। ऐसे एरिया में सडक़ों की चौड़ाई कम से कम 9 मीटर होनी चाहिए। पार्क के लिए 5 प्रतिशत का ओपन स्पेस होना चाहिए, जबकि कॉमर्शियल कम्पोनेंट के लिए 4 प्रतिशत एरिया का प्रावधान होना चाहिए। इसके अतिरिक्त 200 वर्ग मीटर साईट एसटीपी के लिए भी होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पॉलिसी में यह भी मैन्शन है कि एरिया की रजिस्ट्री भी होनी चाहिए।

उपायुक्त ने बताया कि जिन 5 कॉलोनियों का उपर जिक्र किया गया है, उनमें कुछ के इकरारनामे हैं और कुछ में सडक़ों की चौड़ाई कम है। पार्क स्पेस के लिए भी ले-आउट में उपयुक्त जगह नहीं है, बावजूद इसके डव्ल्पर अथवा कॉलोनाईजर ने अपनी कॉलोनी को नियमित करवाने के लिए रिलेक्शेशन मांगी है।

डीटीपी को दिए निर्देश

ले आउट का अवलोकन करने के बाद उपायुक्त ने डीटीपी आर एस बाठ को निर्देश दिए कि सभी 5 कॉलोनियों के डव्ल्पर को अपने कार्यालय में बुलाकर पॉलिसी के अनुसार मापदंड पूरे करने के लिए समझाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि उक्त 5 के अतिरिक्त शेष 11 कॉलोनियों के डव्ल्पर को भी अपने पास बुलाकर पॉलिसी की शर्तें समझा दें और उनसे सभी जरूरी डॉक्यूमेंट ले लें, ताकि इन सभी के नियमितीकरण के मामले सरकार के पास भेजे जा सकें।

उन्होंने निर्देश दिए कि ले-आउट में प्लॉटों की संख्या स्प्ष्ट होनी चाहिए। कितने प्लॉट बने हुए हैं और कितने बेच दिए गए हैं, उनके भी प्रमाण होने चाहिएं। प्लॉट 1 जुलाई 2022 से पहले बिके होने चाहिएं, इकरारनामे भी 1 जुलाई से पहले होने चाहिएं। जिन प्लॉटों की नींव भरी गई है, वे बिल्टअप एरिया की परिभाषा में नहीं आएंगे। एक खास बात यह है कि किसी भी प्लॉट में कोई रिवेन्यू रास्ता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी एक कॉलोनी के ले-आउट में सभी चीजें हों, ऐसा एक मॉडल तैयार हो जाए, ताकि उसी के आधार पर अन्य कॉलोनियों के ले-आउट भी बनवाए जा सकें। उन्होंने डीटीपी से कहा कि अभी उपरोक्त 5 कॉलोनियों का केस तैयार कर लें, हालांकि कोई भी कॉलोनी नोर्म पूरे नहीं कर रही है, उस स्थिति में इनके मामले रिलेक्सेशन के लिए सरकार के पास भेजे जाएंगे। उन्होंने मीटिंग में मौजूद तहसील कार्यालय के कानूनगो को निर्देश दिए कि वे तहसीलदार से मिलकर ले-आउट में रिवेन्यू रास्तों को चैक कर लें और सिजरा बना लें। उन्होंने यह भी बताया कि जब तक कॉलोनी नियमित नहीं होती, उसमें कोई भी व्यक्ति निर्माण न करे।

कॉलोनी के रेगुलराईजेशन का मामला मंडल आयुक्त को भेजेंगे- उपायुक्त ने बताया कि जिन कॉलोनियों के आवेदन प्राप्त हुए हैं, उनके सभी पैरामीटर की पुन: जांच की जाएगी, जरूरी डॉक्यूमेंट लिए जाएंगे और उसके बाद कमेटी की फाईनल रिकमेंडेशन होगी। इसके बाद मामला मंडल आयुक्त के पास जाएगा और वहां से सरकार के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। रिलेक्सेशन पर गौर करने के बाद ही सरकार की ओर से अंतिम अनुमोदन सम्भव हो सकेगा।

पहली मीटिंग बीती 11 अगस्त को हुई थी

जिला नगर योजनाकार आर.एस. बाठ ने बताया कि अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के आवेदन लेने के लिए जिला में स्क्रूटनी कमेटी गठित की गई थी, जिसकी पहली मीटिंग बीती 11 अगस्त को हुई थी, जिसमें सरकार की ओर से नोटिफाई की गई पॉलिसी पर चर्चा हुई थी। आज कमेटी की दूसरी मीटिंग आयोजित की गई है, जिसमें अवैध कॉलोनियों को नियमित करवाने के लिए रिकमेंडेशन पर चर्चा की गई है। चर्चा के दौरान कमेटी के सभी सदस्यों से उनकी ऑब्र्जेवेशन भी पूछी गई। डीटीपी ने बताया कि अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के आवेदन लेने की पहल करने में करनाल जिला प्रदेश में पहले नंबर पर है। स्क्रूटनी कमेटी की मीटिंग में सीईओ जिला परिषद के अतिरिक्त अन्य सदस्य/प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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