प्रवीण वालिया, करनाल:
शहर के मौजूदा स्वरूप और इसमें रह रहे लोगों की जीवन शैली को देखते करनाल स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने कई परियोजनाओं पर काम किया है। इनमें से एक है ग्रीन वाल या वर्टिकल गार्डन यानि हरित दीवार या ऊर्ध्वाधर उद्यान। हालांकि इस प्रोजेक्ट को शहर की कई इमारतों पर अपनाकर उन्हें सौंदर्यबोधक बनाया जाएगा, लेकिन इसकी पहली बानगी लघु सचिवालय के प्रवेश द्वार पर देखी जा सकती है, जो लगभग तैयार बनकर तैयार हो गया है। उपायुक्त एवं केएससीएल के सीईओ निशांत कुमार यादव ने इसकी जानकारी दी।
क्या है वर्टिकल गार्डन
इस बारे उपायुक्त ने बताया कि वर्टिकल गार्डन या हरित द्वार का निर्माण भवन की आंतरिक और विशेष रूप से भवनो के बाहर दोनों में किया जाता है। इस तकनीक को लागू करने में एक क्षेत्र की अधिकतम क्षमता का उपयोग किया जा सकता है। यह सुंदरता के साथ-साथ पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। फिलहाल, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लघु सचिवालय भवन पर इसे लागू किया गया है, लेकिन इस प्रोजेक्ट को डॉ. मंगलसेन आडिटोरियम तथा नगर निगम के नए भवन पर दोहराया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि इमारत के बाहरी अग भाग पर बनाई गई हरित दीवार इसे सूर्य की सीधी तपिश से बचाती है, जिससे गर्मी के दौरान ऊर्जा की खपत कम होकर ईमारत के अंदर तापमान भी काम हो जाता है और इसका हरा-भरा दृश्य दिलो दिमाग को सुकून देता है।
कैसे बनाई गई हरित दीवार
इस बारे उपायुक्त ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए लघु सचिवालय के अग्रभाग में 95 वर्ग मीटर जगह लेकर उस पर एक तकनीक के सहारे 3300 पौधे, फाईबर निर्मित छोटे-छोटे गमलो में लगाए गए हैं। पौधो का चुनाव भी उनकी विशेषता और प्रकृति के अनुसार किया गया है, जिनका रख-रखाव आसानी से किया जा सकता है और जो अर्ध या पूर्ण धूप में मौसम के अनुरूप बने रह सकते हैं। इनमें सदाबहार, पत्ते झडने वाले छोटे-छोटे झाड़ीनुमा पौधे और जगह को अच्छे से कवर कर देने वाले पौधे शामिल है। प्रजाति में यह छपलेरा, डवार्फ, बोट लिलि, अल्टर्नथेरा ग्रीन व रेड, गोल्डन डोरांटा, वडिलिया तथा अस्पेरागस सप्रेंगरी हैं। इनमें कई प्रजाति औषधी पौधों की है, जो कार्बन डाई-आक्साईड को सोखकर उसे आॅक्सीजन में कन्वर्ट करते हैं। अलग-अलग पौधों को शामिल करने का मकसद स्पेस पर प्रतिरूपण कर उसे मौसमी रंगत देना है।
यह है तकनीक
हरित दीवार को बनाने के लिए एक विशेष तकनीक का सहारा लिया जाता है। पहले दीवार पर लोहे के फ्रेम को फिट किया जाता है और फिर उस पर बराबर आकार में प्लास्टिक निर्मित पॉट या गमलों के फ्रेम चढ़ाए जाते हैं। गमलों में ऊपर बताए गए पौधे मिट्टी में रोपे जाते हैं। खास बात यह है कि इसमें डिप इरिगेशन तकनीक से पौधों की सिंचाई होती है यानि बूंद-बूंद पानी सभी पौधो में जाता है, जो इजराईल की तकनीक है। पौधों को रोज पानी देने की जरूरत नहीं होती, हर तीसरे दिन देते हैं। एक ओर खास बात यह है कि आॅटोमेटिक तकनीक से सिंचाई के लिए इसमें टाईमर लगा होता है अर्थात जितनी जरूरत है, उतना ही पानी दिया जाता है। टाईमर का प्रयोग कहीं से भी मोबाईल सॉफ्टवेयर के जरिए किया जा सकता है। यदि करनाल में बारिश हो जाए और दूसरी जगह न हो, तो शहर से बाहर बैठे व्यक्ति को उसका संदेश मिल जाता है, ऐसी सूरत में स्वत: ही सिंचाई की जरूरत नहीं होती। उपायुक्त ने यह भी बताया कि वर्टिकल गार्डन देश की राजधानी और दूसरे बड़े-बड़े शहरों में देखी जा सकती है। इनमें राष्ट्रपति भवन, उच्च न्यायालय और मेट्रो पुल शामिल हैं। हरियाणा के करनाल में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत यह पहला प्रोजेक्ट है।
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