करनाल: कृत्रिम गभार्धान तकनीक बनी पशुपालकों के लिए वरदान, दशकों में अढाई गुना बढ़ा दूध उत्पादन

0
375
Inflation in Haryana
Inflation in Haryana

प्रवीण वालिया, करनाल

पशु हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तथा कृषि का मुख्य आधार है। पशु से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना उनकी नस्ल, जाति तथा उसकी मूल क्षमता पर निर्भर करता है। इसलिए प्रदेश में पशु विकास हेतु नस्ल सुधार का कार्य तेजी से जारी है। कृत्रिम गभार्धान तकनीक से दूध उत्पादन में हरियाणा प्रदेश लगातार समृद्ध हो रहा है। प्रदेश में श्वेत क्रांति के चलते पिछले दो दशकों में दूध उत्पादन में ढाई गुना वृद्धि हुई है। यही नहीं प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता जो 2016-17 में 930 ग्राम प्रति व्यक्ति थी वह बढकर आज 1344 ग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है। इसके पीछे हरियाणा सरकार की नस्ल सुधार योजना का बड़ा हाथ है। वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. तरसेम राणा ने बताया कि कृत्रिम गभार्धान सुविधा गाय व भैसों में नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादन वृद्धि हेतू चलाई गई है। इस स्कीम के अन्तर्गत उत्तम नस्ल के सांडो का वीर्य लेकर गाय व भैंसों को कृत्रिम विधि से गर्भित किया जाता है जिसके कारण नस्ल सुधार व अधिक दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिला है । उन्होंने बताया कि कृत्रिम गभार्धान की सुविधा गांवों में स्थित डिस्पेंसरी और घर पर जाकर भी दी जा रही है।

डा. तरसेम राणा ने कहा कि पशुपालक भी इस तकनीक में काफी रुचि ले रहे है , यही कारण है कि गायों में लगभग 100 प्रतिशत और भैंसों में 50 से 60 प्रतिशत कृत्रिम गभार्धान तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इस आंकड़े को शत प्रतिशत करना ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए खुशी की बात है कि इस वर्ष प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता व आय के मामले में हमने पंजाब को पछाड़ते हुए देश मे पहला स्थान हासिल किया है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम गभार्धान तकनीक में सबसे अच्छी नस्ल के सांडों के वीर्य का ही इस्तेमाल किया जाता है जिससे पशुओं में दूध उत्पादन पहले से कई गुना बेहतर मिलता है। किसान अधिक से अधिक इस तकनीक का लाभ उठाकर अपनी आय को और अधिक बढ़ा सकते है। डा. तरसेम राणा ने कहा कि प्रदेश में पशु गभार्धान की नई तकनीक सैक्स सोर्टिड सीमन भी अब हमारे पास उपलब्ध है जिससे 100 प्रतिशत बछडिय़ा ही पैदा होंगी। प्रदेश में इसका सफल प्रयोग जारी है।  इससे आने वाले समय में अच्छी नस्ल अधिक बछडिय़ों से दूध का उत्पादन बढ़ेगा जिससे किसान की आय में वृद्धि संभव होगी। उन्होंने बताया कि सेक्स सोर्टेड गभार्धान पद्धति के जरिए देसी गाय सिर्फ बछिया को जन्म देती है। इस पद्धति से बेसहारा पशुओं पर भी लगाम लगेगी।