आज समाज डिजिटल, Kanpur Fire Update: उत्तर प्रदेश के कानपुर की बांसमंडी स्थित जिस मार्केट में आग लगी थी वह प्रदेश की सबसे बड़ी होलसेल रेडीमेड कपड़ा मार्केट है। गुरुवार आधी रात के बाद करीब 1.30 बजे भीषण आग लगने से सैकड़ों दुकानें खाक हो गई हैं। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया है। आज कई घंटों तक आग की लपटें दिखती रहीं। छह कॉम्प्लेक्स में स्थित सैकड़ों दुकानें जलकर राख हो गई।
आधिकारिक पुष्टि पर चलेगा जली दुकानों की सही संख्या का पता
कुछ रिपोर्टों में 500 से ज्यादा तो कुछ में 300 और कुछ रिपोर्टों में आग के कारण 800 दुकानों के पूरी तरह जलकर राख होने की जानकारी सामने आ रही है। आधिकारिक पुष्टि होने के बाद ही सही संख्या का पता चलेगा। व्यापारी रवि शंकर दुबे ने बताया कि 800 से ज्यादा दुकानें जली हैं। आग से 20 अरब यानी दो हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
खतरनाक मंजर के बाद सेना व वायुसेना को मोर्चा संभालना पड़ा
आग इतनी भयंकर थी कि इस पर 12 घंटे तक भी काबू नहीं पाया जा सका। पुलिस और दमकल के अलावा सेना व वायुसेना को भी आग बुझाने के लिए मोर्चा संभालना पड़ा। कानपुर के जॉइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी का कहना है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार आग के कारण अरबों रुपए के नुकसान होने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार एआर टावर से शुक्रवार दोपहर बाद भी आग की लपटें उठती दिखींं।
50 से ज्यादा दमकल की गाड़ियां आग बुझाने में जुटीं
कानपुर के अलावा उन्नाव व लखनऊ समेत आसपास के कई जिलों की 50 से ज्यादा दमकल की गाड़ियां शुक्रवार सारा दिन आग बुझाने में लगी रहींं। आग सबसे पहले एआर टावर में दुकानों के बाहर रखे सामान में लगी। तेज हवाओं के कारण आग ने पल भर में ही कई दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया। देखते ही देखते पूरा तीन मंजिला टावर धधकने लगा।
एआर टावर से एक व्यक्ति लापता
एआर टावर के कॉम्प्लेक्स में रुके ज्ञान चंद नाम के एक शख्स के लापता होने की जानकारी सामने आई। ज्ञान चंद की पत्नी का कहना है कि अभी उनका पता नहीं चल सका है। ज्ञान चंद से साथी ने बताया कि हम 6-7 लोग चौथे फ्लोर पर रात 12 बजे सोने गए थे। एक बजे के बाद आग लगी। आग लगने के बाद हम सभी बाहर आ गए। लेकिन, 40 साल के ज्ञान का पता नहीं चल रहा है। खबर लिखे जाने तक ज्ञान की तलाश के लिए बचावकर्मी जुटे थे।
यह भी पढ़ें : Weather 31 March 2023 Update: उत्तर भारत में अधिकतर जगह बारिश के कारण फसलों को ज्यादा नुकसान