Kanchan Sagar President Of Naari Kalyaan Samiti Panipat : सड़क किनारे झुग्गी -झोपड़ियों के बाहर खेल रहे बच्चों की मासूमियत देख आया मदद का ख्याल 

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Kanchan Sagar President Of Naari Kalyaan Samiti Panipat
Kanchan Sagar President Of Naari Kalyaan Samiti Panipat
  • वर्ष 1997 में केवल पांच सदस्याओं से पंजीकृत कराई नारी कल्याण ‎समिति  
  • 26 वर्षों से समिति गरीब बच्चों एवं हर जरूरतमंद की कर रही मदद
Aaj Samaj (आज समाज),Kanchan Sagar President Of Naari Kalyaan Samiti Panipat , पानीपत : नाम खुदा का लेकर तुम ‘पुण्यात्मा’ एक पत्थर को फूलों में सजाते रहे, क्या कांटों की सेज पर लेटे अर्धनग्न की सिसकियां तुम्हें सुनाई ना दीं?
वाकया तकरीबन 26-27 वर्ष पुराना है। ‎‎सड़क किनारे झुग्गी -झोपड़ियों के बाहर खेल रहे बच्चों को ‎‎देखकर कि ये बच्चे स्कूल‎ क्यों नहीं जाते? ये बीमार होते होंगे ‎तो दवा कौन दिलाता होगा, किशोरावस्था में पहुंच रहीं किशोरियों के विवाह की चिन्ता, बस‎ ऐसे ही ना जाने कितने सवालों ने जहन में कौतूहल सा मचा दिया। भगवान का दिया हमारे पास सब कुछ है, लेकिन इन गरीबों की सिसकियां हम क्यों नहीं सुन पाते। सिर्फ भगवान को पूजने से ही नहीं, बल्कि गरीब, असहाय, जरूरतमंद की सेवा करने से भी पुण्य कमाया जा सकता है। कहते हैं कर्म ही पूजा है, तो स्वभाव वाले कर्म से तो पुण्य मिलना लाजमी है।

वर्ष 1997 में नारी कल्याण ‎समिति पंजीकृत कराई

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया…. बस इन्हीं सवालों का हल करने और जिंदगी में पुण्य कमाने के मकसद से वर्ष 1997 में नारी कल्याण ‎समिति पंजीकृत कराई। उस वक्त समिति को केवल पांच सदस्याओं से पंजीकृत किया गया था। एडवोकेट आशा शर्मा और एडवोकेट पदमा शर्मा ने साथ दिया और पूरी मेहनत और लगन के साथ समिति की बागडोर संचालिका कुसुम गुप्ता‎ ने संभाली, जो स्वयं तो कुछ वर्षों के बाद विदेश चली गई और नारी कल्याण समिति की‎ बागडोर कंचन सागर के हवाले कर गईं। ज्योतिका सक्सेना, शशि शर्मा, सरोज आहुजा, सुमन सिंगला प्रधान पद पर दो-दो वर्ष रहीं। फिर समितियों के नए एक्ट के पारित होने से 2017 में इसे फिर से पंजीकृत कराया गया। तब से अब तक कंचन सागर ही समिति की कमान सम्भाल रहीं हैं। काबिले तारीफ है कि यह सेवा ‎‎तभी से निर्विघ्न चल रही है।‎ अब इस समिति में अठाईस सदस्याएं हैं, जो हर दम सेवा के लिए तत्पर रहती हैं।

समिति की नेक दिल सदस्यों के सहयोग से ही सब संभव

कंचन सागर ने बताया कि समिति जरूरतमंदों को आर्थिक सहयोग देने के साथ साथ जरूरतमंद‎ बच्चों के लिए भी काम कर रही हैं।‎ समिति समय समय पर मेडिकल कैंप लगाती हैं, वहां निःशुल्क दवा दी जाती है। झुग्गियों‎ के बच्चों को स्वच्छता का पाठ ‎पढ़ाती हैं। कपड़े व ज़रूरत का सामान वितरित‎ करती हैं और कई स्कूल की बच्चों की फीस ‎की जिम्मेदारी भी उठती हैं। समिति द्वारा अब तक सैकड़ों बच्चों की‎ मदद की जा चुकी है। सेनेटरी पैड्स बांटे जाते हैं और महिलाओं और बेटियों को उनके सेहत एवं स्वास्थ्य के लिए जागरूक किया जाता है। घुमन्तु बच्चों के साथ पिकनिक, उन्हें उन की ज़रूरत का सामान, विभिन्न विद्यालयों में जर्सी, यूनिफॉर्म, स्वेटर, स्टेशनरी दी जाती है। कंचन सागर ने कहा कि ये सब समिति की नेक दिल सदस्यों के सहयोग से ही संभव हो रहा है।

जरूरतमंदों को रोजगार दिलाने का प्रयास

वहीं समिति द्वारा निर्धन कन्याओं के विवाह कराए जाते हैं। उन को गृहस्थी बसाने के लिए पूरा सामान दिया जाता है। किशोरावस्था की बच्चियों के लिए हॉबी क्लासेस लगाई जाती है, जिस में उन्हें सिलाई, ड्राइंग, पेंटिंग, कुकिंग कोर्स बिलकुल निःशुल्क कराए जाते हैं। जो सिलाई में निपुण हो जाती हैं, उन्हें रोजगार दिलाने का भरसक प्रयत्न किया जाता है। कंचन सागर ने बताया कि उनके द्वारा कोरोना‎ काल में तो घर से बनाकर खाना‎ पहुंचाया गया था, जिस में सभी सदस्याओं का भरपूर सहयोग मिला। ‎स्वयं सिलाई मशीन द्वारा कपड़े के मास्क सिले और निःशुल्क वितरित किए। समिति ने पहले ग्यारह बेरोजगार व्यक्तियों को रिक्शा, सौ लड़कियों को सिलाई मशीन और अब एक व्यक्ति को ई-रिक्शा दी है, जिस से वे अपना और अपने परिवार का पेट पाल सकें।
नए जमाने में नए तरीकों से पुराने जमाने की सीख
‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎अब हम नए‎ ज़माने के साथ भी कदम ताल कर रहें हैं। जापान के टोक्यो शहर में‎ बसीं दिल्ली मूल की रमा शर्मा के ‎साथ मिलकर ‘हिंदी की गूंज’ के ‎नाम से ऑनलाइन प्रेरक कहानियां, कविताएं, भजन ‎सुनाने का प्रोजेक्ट चल रहा है।‎ ‘जानवर कौन’, ‘छोटी बुआ’, ‘मां ‎का दर्द’, ‘मानवता’, ‘दायित्व’‎शीर्षक आदि कई कहानियां पेश की जा‎ चुकी हैं। जिन से कोई न कोई सीख मिलती है। साथ ही सोशल मीडिया ‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎पर‎ “आ सखी चुगली करें ग्रुप में सखियों का ग्रुप लाइव‎ श्रीमदभागवत पुराण की कथा सुना ‎चुकीं हैं। समिति की एक सदस्या बायो एंज़ाइम पर यूट्यूब के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहीं हैं और एक खाना बनाना सिखा रहीं हैं।