मनोज वर्मा, Kaithal News:
वैश्विक आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा संचालित संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की कैथल इकाई के तत्वावधान में ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यात्मिकता की पावन लौ प्रज्वलित करने हेतू गुरु-ज्ञान, सेवा, साधना एवं सत्संग जैसे दिव्य रत्नों से सुसज्जित गहन ध्यान शिविर का समापन वेदविज्ञान महाविद्यापीठ, कपिस्थल आश्रम, कैथल में स्वामी दिव्यतेज तथा प्रतिभागी साधकों द्वारा सम्पूर्ण विश्व-कल्याण हेतू मंगलकामना के पवित्र श्लोक ऊँ सहनाववतु सहनौभुनक्तु सहवीर्यं करवावह। तेजस्विना वधीतमस्तु मां विद्विषावहै। ॐ शान्ति: ॐ शान्ति: ॐ शान्ति: के साथ सम्पन्न हुआ।
आत्मसाक्षात्कर की दिव्य अनुभूति अर्जित की
आर्ट ऑफ लिविंग आचार्या अल्पना मित्तल व कमल कांत गांधी ने बताया कि स्वामी दिव्यतेज के पावन सानिध्य में ग्रामीण साधकों ने ज्ञान-ध्यान, सत्संग, अदभुत सुदर्शन क्रिया, बौद्धिक एवं दार्शनिक वार्तालाप के अतिरिक्त गहरे ध्यान, मौन तथा विशिष्ट क्रियाओं-प्रक्रियाओं के माध्यम से दृष्टा भाव में उतरकर आत्मबोध, आत्मदर्शन, आत्मविश्लेषण एवं आत्मसाक्षात्कर की दिव्य अनुभूति अर्जित की।
विश्व-कल्याण एवं विश्व-शान्ति हेतू संजीवनी बूटी
इसके अतिरिक्त साधकों द्वारा मानस पटल की गहराइयों में पैठ कर चुके शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक अवरोधों से पार पाते हुए परमशान्ति, आत्मिक आनंद तथा दिव्य ऊर्जा का अद्भुत अनुभव इस शिविर की प्रमुख विशेषता रही। विश्व-कल्याण एवं विश्व-शान्ति हेतू ध्यान को संजीवनी बूटी रूपी रामबाण औषधि बताते हुए परमपूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने वेबकास्ट द्वारा सीधे प्रसारण के माध्यम से अपने दिव्य-संदेश में कहा कि रस, गन्ध, शब्द, स्पर्श तथा दृश्य के परे जा पाना ही ध्यान है।
सम्पूर्ण आयोजन का दिव्य आकर्षण
प्रतिभागी साधकों द्वारा परमपूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के पावन सानिध्य में गुरु-ज्ञान-गंगा में डुबकी लगाकर समर्पण ध्यान करते हुए अंतर्मुखी होकर स्वयं को जानना और फिर स्वयं को जानकर स्वयं को ही परमपूज्य गुरुदेव के समक्ष पूर्णरूपेण समर्पित कर देना इस सम्पूर्ण आयोजन का दिव्य आकर्षण रहा। इस शिविर की विशेषता का वर्णन करते हुए स्वामी दिव्यतेज ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यात्मिकता की पावन ज्योति का प्रसार होने के फलस्वरूप साधकों के जीवन में ध्यान-जनित विश्रांति से कार्यपटुता एवं कार्यक्षमता में आश्चर्यजनक सुधार आएगा।
सेवा, साधना तथा सत्संग के माध्यम से दुर्लभ जीवन
इसके अतिरिक्त प्राकृतिक खेती करने, पर्यावरण संरक्षण को महत्व देने हर प्रकार के नशे से मुक्त ज्ञानयुक्त आध्यात्मिक जीवन जीने से आदर्श गांव की परिकल्पना को सहजता से ही मूर्त्त रुप प्रदान किया जा सकेगा। प्रतिभागियों में से अनुपमा पुनिया ने शिविर सम्बन्धी अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि सेवा, साधना तथा सत्संग के माध्यम से न सिर्फ अपने दुर्लभ मानव जीवन को एक नवीन दृष्टिकोण के साथ समझने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ, अपितु शीतलता, तृप्ति व खुशी के साथ-साथ रसमय एवं प्रेममय जीवन की दिव्य अनुभूति भी अर्जित की।
जीवन समाजोपयोगी का एक दृढ़ संकल्प
कुलदीप कुणाल ने कहा कि न सिर्फ ग्रामीण आँचल में सेवा करते हुए ग्रामवासियों के जीवनस्तर सर्वांगीण विकास जारी रखने का प्रण लिया है, अपितु अपना भावी जीवन समाजोपयोगी बनकर जीने का एक दृढ़ संकल्प भी पैदा हुआ है। देश की वर्तमान स्थिति के दृष्टिगत स्वामी दिव्यतेज द्वारा साधकों को भोजन, संगति तथा वातावरण के मानव जीवन पर पडऩे वाले प्रभाव के बारे में गूढ़ एवं ज्ञानवर्धक ज्ञान प्रदान करते हुए समाजोपयोगी सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देना इस शिविर की अद्वितीय विशेषता रही।
गुरु-ज्ञान की मदद से वैदिक-संस्कार
स्वामी दिव्यतेज ने न सिर्फ प्रतिभागियों की अध्यात्म से सम्बद्ध प्रश्नों के उत्तर देते हुए उनकी जिज्ञासा शान्त की, अपितु उन्हें यह भी समझाया कि किस प्रकार हम गुरु-ज्ञान की मदद से वैदिक-संस्कारों को अपने दुर्लभ मानव-जीवन में समाविष्ट कर, अपना अमूल्य जीवन उच्चतम धरातल पर जीते हुए सभी प्रकार के ऋणों से उऋण हो सकते हैं। सभी प्रतिभागी साधकों ने न सिर्फ सेवा, साधना व सत्संग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना आध्यात्म की पवित्र सुगन्ध से सम्पूर्ण ग्रामीण समाज को सुगन्धित करने का शुभ संकल्प लिया, अपितु स्वामी दिव्यतेज द्वारा क्षमा, संजीदगी, करुणा, संतोष तथा सत्य जैसे दिव्य गुणों को अपने अमूल्य मानव जीवन में धारण करने की सद्प्रेरणा प्रदान करना इस शिविर की अद्वितीय विशेषता रही।
आर्ट आफ लिविंग परिवार का अटूट हिस्सा
कार्यक्रम के अंतिम चरण में स्वामी दिव्यतेज ने प्रत्येक प्रतिभागी साधक को शुभाशीष प्रदान करते हुए आव्हान किया कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को सुरभित करने हेतू अधिक से अधिक लोगों को आर्ट आफ लिविंग परिवार का अटूट हिस्सा बनाया जाए ताकि प्रत्येक व्यक्ति के दृष्टिकोण में स्वस्थ बदलाव लाते हुए दिव्य समाज निर्माण के दिव्य स्वपन को मूर्त रूप प्रदान किया जा सके। इस सम्पूर्ण दिव्य आयोजन की सफलता तय करने में सभी स्वयंसेवकों ने सराहनीय योगदान प्रदान किया।
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